मेरे पिताजी मेरे चिन्तन व विचारों से परेशान रहते है, शायद उन्होंने हमेशा मेरी बातें एक नेता की दृष्टि से सुनी और मुझे येड़ा समझा: आनंद रावत
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के पुत्र आनंद रावत जो की उत्तराखंड के युवा कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके हैं ने लम्बे समय बाद अपनी चुप्पी तोड़ी सोशल मीडिया पर और अपने पिता सहित, एक साथ लपेट दिया भाजपा के विधायकों और उत्तराखंड की महिला स्पीकर को भी.
अपने पिता के मुख्यमंत्री काल और बाद के वर्षों में आनंद रावत भले ही सक्रीय रहे हों लेकिन उन्होंने अपने पिता के पद का ज्यादा राजनैतिक फायदा नहीं उठाया सिवाय एक बार प्रदेश कांग्रेस युवा अध्यक्ष बनकर. हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत जो अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव है इस बार हरिद्वार ग्रामीण से विधायक हैं.
ऐसा भी माना जा रहा है की रावत ने अपने बेटे आनंद को पॉलिटिकली ज्यादा प्रमोट नहीं किया जबकि उनकी बेटी ने इस बार विधायक बनकर प्रदेश की राजनीती में बाजी मार ली . यही नहीं बल्कि विधान सभा सत्र के शुरू होते ही पहले दिन उन्होंने अपनी प्रजेंस भी दर्ज़ करा दी साधारण उपस्थिति से नहीं बल्कि विधान सभा के भीतर महंगाई पर बड़ा सा बैनर हाथ में लेकर भाजपा सर्कार के विरोध से और खूब प्रेस पब्लिसिटी बटोरी.
बहरहाल लगता है अब हरीश रावत के बेटे ने अपने पिता की तरह इस धमाकेदार पोस्ट से सक्रिय राजनीती में कूदने का मन बना लिya है , सम्भवता उन्हें रिप्लेस करने हेतु.
अपने ससोशल मीडिया पोस्ट पर पूर्व उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष ने जहाँ अपने पिता को भी नहीं बक्शा वहीँ दूसरी ओर उन्होंने भाजपा के विधायकों को भी खासा आड़े हाथों लिया , यहाँ तक की स्पीकर उत्तराखंड ऋतू खंडूरी को ही यही छोड़ा.नौजवानों की रोजगार की समस्याओं के लिए नेताओं को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने लिखा :
skill+ communication सफलता का मूलमंत्र है । प्रदेश के आईटीआई, पॉलीटेकनिक व सॉफ़्टवेयर इंजीनीयर लड़के और लड़कियाँ, उत्तराखंड के आधूनिक शिल्पकार है, और इनकी दक्षता पूरे विश्व में बुलंदी के झण्डे गाड़ सकती है ।
सवाल है कि “ ये कैसे सम्भव हो “ ?
हमारे नेताओं ने प्रदेश में 72 पॉलीटेकनिक व 48 आईटीआई
तो खोल दिए, जो पूरे भारत में सबसे अधिक किसी राज्य में है, और प्रति वर्ष 20 हज़ार स्किल्ड (skilled ) लड़के और लड़कियाँ बाज़ार में नौकरी के लिए तयार हो भी रहे है ।
सिडकुल (sidcul) में अनुभवी पॉलीटेकनिक पास युवा को प्रतिमाह रुपे 12974 (बारह हज़ार नौ सौ चौहतर मात्र )और अनुभवी आईटीआई पास युवा को प्रतिमाह रुपे 10340 (दस हज़ार तीन सौ चालीस मात्र) मिलते है ।
जबकि केरल में पॉलीटेकनिक की संख्या 42 और आईटीआई 35 के आसपास है और वहाँ की न्यूनतम आय दक्ष कारीगर के लिए 22 हज़ार है । क्योंकि वहाँ का युवा विदेश में नौकरी करने का इच्छुक अधिक होता है, इसीलिए वहाँ माँग अधिक है ।
केरल की सरकार skill + communication पर ज़ोर देती है और अपने अनुभवी कारीगरी में दक्ष युवाओं को अन्तरराष्ट्रीय बाज़ार में भी रोज़गार उपलब्ध कराती है । जैसे उत्तराखंड सरकार ने उपनल एजेन्सी सरकारी विभाग में नौकरी देने के लिए बनायी है, ऐसे केरल सरकार ने नोरका रूट्स एजेन्सी बनायी है, जो विदेशों में स्किल्ड (skilled ) युवाओं को रोज़गार दिलाती है ।
कनाडा में स्किल्ड युवा मतलब पॉलीटेकनिक व आईटीआई पास युवा साल के 46800 डॉलर कमाता है जो प्रतिवर्ष बत्तीस लाख के आस पास होता है और इसी अनुपात में जापान, ताइवान व खाड़ी देशों में भी कमाता है ।
अब फिर सवाल वही है कि “ करेगा कौन “
आपके नेता तो अपने समर्थकों को उनके जन्मदिन पर बधाई या किसी परिचित के शोक संदेश वाले पोस्ट करने में व्यस्त है, और आप लोग उनके क्रियाकलाप से ख़ुश हो ?
चाहे हरीश रावत जी हो या किशोर उपाध्याय जी या फिर युवा नेता विनोद कंडारी, सुमित हृदेश, रितु खण्डूरी सबके Facebook पर आपको इसी तरह की पोस्ट मिलेगी, लेकिन राज्य चिन्तन पर कुछ नहीं मिलेगा ?
मेरे पिताजी मेरे चिन्तन व विचारों से परेशान रहते है, शायद उन्होंने हमेशा मेरी बातें एक नेता की दृष्टि से सुनी और मुझे येड़ा समझा ।
आनंद रावत कहना क्या चाहते है? कुछ समझ नहीं आया.
उनके पिता उन्हें ऐड़ी समझे या कुछ और इससे वह अपणे को उनकी निष्फल नीतियों से अलग शो करने की कोशिश का नाटक कर अपना स्थान बनाना चाहते हैं. भूल रहे है कि अब से पहले वह पिता की ही गोद में थे और उनकी नीतियों का चुपी बना कर समर्थन करते थे.
उत्तराखंड की भोली जनता हो सकता है उनके छ्द्म में फंसे और कल हरीश रावत का बंस राजनीति में छ जाय.