O Supreme light !
Sitting in every particle of the universe, you created everything, everything is wonderful. While making, he did not put a chutiya on anyone’s head and did not circumcise anyone, did not give weapons to anyone, nor did he scale anyone or sweep anyone. All are born by male and female. By the same method. Even if you’ve taken off the test tube baby too. Clearly all of them are equal. All are the same. World Family. Vasudhaiva Kutumbakam. Apart from this, everything has been created by your servants. By your own will. The golden age, the silver age, the copper age and the iron age are your faces. Religion and unrighteousness, knowledge and science, non-violence and violence, sin and virtue, truth and falsehood. But it’s all your imagination. That’s why something is always changing. You tell this truth only to those who always say it – do as you wish. But when you tell them all this, you take away the world from them. It also makes them lonely in the crowd. Even if the world gives it to him, it just makes him act, he does not allow him to enter the world. Buddha, Mahavira, Kabir, Raidas, Nanak, Jesus, Mohammed, whose light is still being seen. There are other names too. But when did those who didn’t care about it? They told you what you gave, and they were crucified, stoned to death. It’s all a film made by you. Characters are changing, a new film is being made. Kabir has rightly written that the utensils are different, but the water is the same, the supreme light is in everyone. All of them are moving around in a new form and spreading the knowledge given by you in new ways.
O supreme light! In its ongoing play, make changes in the film. Once again, give joy to your children, make everyone happy and let them live in peace. You have already told me that you are a good deed and you are an inauspicious deed.
BHANU
January 22, 2025
हे परम ज्योति!
ब्रहमांड के कण-कण में विराजमान आपने सब कुछ बनाया, सब का सब अद्भुत है. बनाते समय किसी के सिर पर चुटिया नहीं रखी और किसी का भी खतना नहीं किया, किसी को शस्त्र नहीं दिया, न ही किसी को तराुज दी और न ही किसी को झाडू दी. सब नर और नारी के द्वारा ही पैदा हुए हैं. एक ही विधि से. भले ही आपने टेस्ट टूयूब बेबी को भी उतार दिया है. साफ है कि सब के सब समान है. सब एक ही हैं. विश्व परिवार. वसुधैव कुटुम्बकम. इसके अलावा जो भी है सब तेरे ही बन्दों ने बनाया है. तेरी ही इच्छा से. सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलियुग तेरे ही चेहरे हैं. धर्म-अधर्म,ज्ञान-विज्ञान, अहिंसा-हिंसा, पाप-पुण्य, सच-झूठ. लेकिन है यह सब आपकी कल्पना ही. तब ही तो कुछ न कुछ बदलता रहता है सदैव. यह सत्य भी केवल तू उन्हीं को बताता है जो हमेशा यही कहते हैं-जैसी तेरी इच्छा, वो तू कर. लेकिन यह सब बताते समय तू उनसे संसार छीन लेता है. उन्हें भीड़ में भी अकेला कर देता है. फिर उन्हें अगर संसार देता भी है तो भी बस उनसे अभिनय करवाता रहता है, उन्हें संसार में प्रवेश नहीं करने देता. बुद्ध,महावीर,कबीर, रैदास,नानक,यीशु,मोहम्मद जिनका प्रकाश आज भी देखा जा रहा है. कुछ ओर नाम भी हैं. पर जिनके नहीं है उन्हें कब इसकी परवाह रही थी? जो तूने दिया, उन्होंने बताया और सूली से लटक गए,पत्थरों से मार डाले गए. सब तेरी ही बनाई फिल्म है. किरदार बदल रहे हैं नई फिल्म बन रही है. कबीर ने ठीक लिखा-बरतन अलग-अलग हैं लेकिन पानी एक ही है, परम ज्योति सबमें है. आसपास ही यह सब नए रूप में घूम-घूम कर नए-नए मिल रहे तरीकों से तेरे ही दिए ज्ञान को फैला रहे हैं.
हे परम ज्योति! अपनी चल रही लीला में, फिल्म में परिवर्तन कर. पुनः अपनी संतान को आनन्द प्रदान कर, सबको खुशहाल बना, शान्ति में रहने दें. तूने पहले ही बता रखा है कि तू ही शुभ कर्म है और तू ही अशुभ कर्म है.
भानु
22 जनवरी 2025