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Uttrakhand

हमारा संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक जोशीमठ की जनता की एक एक मांग पूरी नहीं की जाती , हज़ारों का मशाल जुलुस

उत्तराखंड आज सही मायनों में उबल रहा है. चारो तरफ भयंकर क्रोध और असंतोष का माहौल है . एक तरफ जहाँ हज़ारों बेरोजगार युवक उत्तराखंड पुलिस द्वारा उनपर भांजी गयी जबरदस्त लाठियों से कराह रहे हैं और देहरादून में हज़ारों की तादाद में संघर्षरत हैं , अपनी मांगों के समर्थन में , वहीँ दूसरी ओर पिछले कई हफ़्तों से जोशीमठ की संघर्षरत जनता अपने वाजिब हक़ हुकूक के लिए सड़कों पर उतर आयी है. पूरा उत्तराखंड मौजूदा सरकार की जनविरोधी नीतियों और अक्षमता के चलते प्रोटेस्ट मोड पर आ चूका है.

राज्य के बेरोजगार युवक , महिलाएं , पुरुष और समाज के लगभग सभी वर्गों के लोग आज न्याय की गुहार करते सड़कों और गली मुहल्लों पर उत्तर आये हैं. देहरादून में रोजगार के लिए संघर्षरत युवकों और छात्रों ने जब उत्तराखंड सबोर्डिनेट सर्विसेज सिलेक्शन कमीशन के नक़ल और रोजगार घोटाले की केंद्रीय अन्वेक्षण ब्यूरो से जांच की और चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने की मांग की – शांति पूर्ण लोकतांत्रिक तरीके से – तो उत्तराखंड पुलिस ने उन्हें लाठियों से पीट पीट कर लहूलुहान कर दिया .

आज पूरा उत्तराखंड और वहां के हज़ारों हज़ार बेरोजगार बेहद गुस्से में हैं , उत्तराखंड के चीटिंग , नक़ल , और भर्ती घोटाले के चलते मौजूदा सर्कार सकते में है क्योंकि ज्यादातर घोटालेबाज सत्तारूढ़ दल से सम्बद्ध हैं. अंकिता भंडारी दुखद हत्याकांड को सरकार की अक्षमता और रेवेन्यू पुलिस व उत्तराखंड पुलिस की उदासीनता भी किसी से छुपी नहीं है जिसके चलते न्याय की गुहार लिए दिवंगत अंकिता के गरीब और असहाय माता पिता दर दर की ठोकरें खा रहे हैं. गौर तलब है कि इस जघन्य हत्या में भाजपा के नेता का पुत्र ही लिप्त है .

उधर जोशीमठ के भू धंसाव और वहां के एक हज़ार घरों में आयी दरारों के चलते हज़ारों तादाद में जोशीमठवासी घर विहीन हो चुके हैं और अपने हक़ हुकूकों के लिए पिछले कई दिनों से कड़कड़ाती ठण्ड में सड़कों पर संघर्षरत हैं. आज हज़ारों की तादाद में जोशीमठ की पीड़ित और कुंठित महिलाओं , पुरुषों , युवाओं , बच्चों , छात्रों और बुजुर्गों ने अपनी मूलभूत मांगों के समर्थन में जोशीमठ शहर की गलियों में विशाल मशाल जुलूस निकला और अपने जबरदस्त गुस्से का इजहार किया . उनकी नाराजगी न सिर्फ मौजूदा राज्य सरकार के खिलाफ थी बल्कि वे जोशीमठ भू धंसाव और एक हज़ार घरों में आयी दरारों के लिए जिम्मेदार ऍन टी पी सी हाइड्रोपावर परियोजना और मारवाड़ी बद्रीनाथ हाइवे को तात्कालिक प्रभाव से बंद किये जाने की मांग भी कर रहे थे. हाथ में मशाल लिए , हुए हज़ारों की संख्या में जोषीमठ वासियों की अन्य मांग थी :
…..विस्थापन पुनर्वास, सभी वर्गों को उनके अध्यवसाय के हिसाब से उचित मुआवजा, नुकसान की उचित भरपाई, धंसाव और तबाही के कारणों की उचित पड़ताल और समाधान । विनाशकारी परियोजनाओं पर रोक , जिम्मेदारी और जुर्माना ।

हज़ारों की संख्या में इस मशाल जुलुस को सम्बोधित करते हुए जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिती के अध्यक्ष और जोशीमठ आंदोलन के प्रणेता अतुल जोशी ने उत्तराखंड की मौजूदा सरकार को अक्षमता और जोशीमठ की जनता को पुनर्स्थापित करने में बरती गयी उदासीनता के लिए सीधे और स्पष्ट तौर पर जिम्मेद्दार ठहराते हुए चेतावनी दी कि जब तक उनकी तमाम मांगो का जल्द समाधान नहीं निकाला गया तो इस नगर की शांतिप्रिय जनता को डायरेक्ट एक्शन पर उतारू होने पर बाध्य होना पड़ेगा जिसकी जिम्मेदारी सर्कार और प्रसाशन की होगी . उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा की उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार उनकी एक एक मांग पर अमल नहीं करती .

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