जापान की कम्पनी डैकी एक्सईस की पहल: भारतीय छात्रों को पर्यावरण सुधार के लिए किया आमंत्रित
बेस्ट आइडियाज देने वाले पांच छात्रों को कम्पनी कराएगी जापान का ट्रिप

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नई दिल्ली
जापान की पलवल जिला के गांव देवली स्थित कम्पनी डैकी एक्सईस इंडिया ने पर्यावरण सुधार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए एक अनूठी पहल की शुरुआत की है।
कम्पनी ने देश की 200 प्रमुख यूनिवर्सिटियों और आईआईएम के छात्रों को आमंत्रित किया है ताकि वे पर्यावरणीय स्थिरता, अपशिष्ट जल प्रबंधन और सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग जैसे मुद्दों पर अपने बेस्ट आइडियाज प्रस्तुत कर सकें।
इस कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली के एक होटल Shangrila में किया गया, जिसमें जापान के राजदूत और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने शिरकत की।
कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्जवलित कर की गई। इस मौके पर Daiki जापान के प्रेसिडेंट हिरोकी प्रेसिडेंट, पलवल में देवली स्थित डैकी कम्पनी के मैनेजिंग डायरेक्टर रियो वाजा, डैकी एक्सईस इंडिया के Advisor केसी पांडेय समेत , CEO , Director Kamlesh Tiwari etc गणमान्य लोग मौजूद रहे।
इस अवसर पर कम्पनी ने उपस्थित छात्रों को स्पष्ट किया कि उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए बेस्ट आइडियाज को तीन महीने के भीतर मूल्यांकन किया जाएगा। इसके बाद, चयनित पांच छात्रों को जापान का दौरा करने का मौका मिलेगा, जहां वे वहां के सफल पर्यावरण सुधार उपायों का अध्ययन करेंगे।
डैकी एक्सईस इंडिया के प्रबंध निदेशक, केसी पांडेय ने बताया, “हमारा उद्देश्य भारत को 2047 तक एक विकसित देश बनाना है।
इस पहल के माध्यम से हम छात्रों को वास्तविक दुनिया की चुनौतियों का सामना करने और समाधान खोजने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा, “जापान का अनुभव हमारे लिए प्रेरणादायक है, और हम चाहते हैं कि भारतीय छात्र वहां की सफलताओं से सीखकर अपने देश में लागू करें।”

कार्यक्रम की विशेषताए
यह कार्यक्रम एक हाइब्रिड भागीदारी मॉडल के तहत आयोजित किया गया है, जिसमें छात्रों को वास्तविक प्रोजेक्ट विषय दिए गए हैं। कार्यक्रम की समयरेखा के अनुसार, 27 नवंबर को इसकी आधिकारिक घोषणा की गई थी, जिसके बाद दिसंबर में आवेदकों की स्क्रीनिंग की जाएगी। जनवरी से मार्च के बीच छात्रों को अपने प्रोजेक्ट पर कार्य करने का अवसर मिलेगा, जबकि अप्रैल में उन्हें प्रमाणपत्र और पुरस्कार दिए जाएंगे।
कार्यक्रम में भाग लेने वाले छात्रों को उद्योग विशेषज्ञों से मार्गदर्शन भी मिलेगा, जिससे वे अपने विचारों को और बेहतर तरीके से प्रस्तुत कर सकें। इस पहल के तहत डाइकी एक्सईस ने छात्रों को पुरस्कार, वजीफा और मान्यता देने का भी आश्वासन दिया है।
भारतीय और जापानी सहयोग
मात्र 32 वर्ष की आयु में विश्व भर में डाइकी एक्सिस का संचालन देख रहे डाइकी जापान के सीईओ श्री ओगामे हिरोकी ने कहा कि उनकी कंपनी पर्यावरण सुधार और विश्व भर में स्वच्छ एवं सुरक्षित जल सुनिश्चित करने के लिए समर्पित है तथा उनकी प्रतिष्ठित कंपनी लाभोन्मुखी नीति को दूसरी प्राथमिकता रखते हुए विकेन्द्रीकृत स्तर पर इसी पहलू पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि हम देश के हर राज्य में अपने कारखाने स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं ताकि आईआईटी रुड़की द्वारा अनुमोदित हमारी सर्वोत्तम नवीन और नवीनतम तकनीक का उपयोग करके स्वच्छ, हरित और सुरक्षित पेयजल सुनिश्चित किया जा सके।
दाइकी एक्सिस – पलवल संयंत्र सहित भारत में परिचालन के प्रबंध निदेशक रियो वाजा ने अपने संबोधन में कहा कि छह दशक पहले जापान बुरी तरह प्रदूषित था और स्थिति अत्यंत विकट और दयनीय थी, लेकिन आज यह प्रदूषण मुक्त जापान, स्वच्छ वायु और सुरक्षित पेयजल के मामले में एक मिसाल कायम कर रहा है। हम अधिक से अधिक छात्रों को शामिल करके और पर्यावरणीय मुद्दों पर विचारों के आदान-प्रदान के लिए जापानी छात्रों को भारत लाकर भारत में भी यही उदाहरण स्थापित करना चाहते हैं। इस संबंध में हमारी DIAL पहल अधिक से अधिक छात्रों को स्वच्छ और हरित पर्यावरण तथा सुरक्षित एवं स्वच्छ पुनर्नवीनीकृत जल से जोड़ने का एक स्वस्थ प्रयास है। हमारा प्राथमिक उद्देश्य भारी मुनाफा कमाने के बजाय पर्यावरण को समर्पित रूप से स्वच्छ बनाना है, ऐसा दाइकी एक्सिस भारत में परिचालन के प्रबंध निदेशक रियो वाजा ने कहा।
केसी पांडेय ने बताया कि यह पहल भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अगस्त में वेस्ट वाटर मैनेजमेंट के लिए मिनिस्ट्री ऑफ जनशक्ति और मिनिस्ट्री ऑफ इन्वायरमेंट जापान के साथ एक समझौता करार किया था।
इस समझौते पर दोनों देशों के प्रधानमंत्री ने हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत, दोनों देशों ने जल प्रबंधन के कार्यों को ग्रामीण क्षेत्रों में विस्तारित करने का संकल्प लिया है।
DIAL 2025 (Daiki Axis Innovation Application League 2025) के लिए पंजीकरण 1 दिसंबर से शुरू होगा।
छात्र नीचे दिए गए लिंक पर जाकर अपना पंजीकरण कर सकते हैं:
👉 https://daikiaxis.in/form/
पंजीकरण की अंतिम तिथि 1 दिसंबर से 15 दिसंबर 2025 है।
सभी इच्छुक युवाओं का स्वागत है।
Japanese company Daiki AXIS’s initiative : Indian students invited to improve the environment

गौरतलब है कि
डाइकी एक्सिस विकेंद्रीकृत अपशिष्ट जल उपचार समाधानों की एक प्रसिद्ध प्रदाता है, जो स्वच्छ और सुरक्षित जल पहलों पर केंद्रित है। कंपनी की प्रमुख पहलों में शामिल हैं
– विकेंद्रीकृत अपशिष्ट जल उपचार, जिसके अंतर्गत डाइकी एक्सिस उन्नत जोहकासौ तकनीक का उपयोग करके अपशिष्ट जल को स्रोत पर ही उपचारित करती है, जिससे प्रदूषण कम होता है और स्थानीय संसाधनों का कुशल उपयोग होता है। यह दृष्टिकोण चुनौतीपूर्ण बुनियादी ढाँचे वाले क्षेत्रों में विशेष रूप से प्रभावी है। कंपनी भारत में स्थानीय स्तर पर सीवेज उपचार संयंत्र बनाती है, जो “मेक इन इंडिया” पहल का समर्थन करते हैं और तेज़ आपूर्ति, लागत-प्रभावशीलता, मापनीयता और स्थानीय रोज़गार सृजन सुनिश्चित करते हैं। उपचारित अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग शौचालय फ्लशिंग, भूनिर्माण और सड़क सफाई के लिए किया जाता है, जिससे मीठे पानी का उपयोग और भूजल की कमी कम होती है। कंपनी की पर्यावरण पहलों के संदर्भ में
डाइकी एक्सिस कॉर्पोरेट गतिविधियों के माध्यम से पर्यावरण सुधार को बढ़ावा देती है, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं, जिसके अंतर्गत कंपनी सौर ऊर्जा उत्पादन, छोटे पैमाने पर पवन टरबाइन जनरेटर और बायोडीज़ल ईंधन उत्पादन में संलग्न है।
डाइकी एक्सिस अपने कार्बन पदचिह्न को कम करने और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए काम करती है।
कंपनी विभिन्न सामाजिक पहल भी करती है, जिनमें से एक है
विविधता, कार्यशैली सुधार और सामाजिक समर्थन पहलों को अंजाम देna, जिसमें महिलाओं के करियर में उन्नति को बढ़ावा देकर विविधता और समावेशन शामिल है और एक विविध कार्य वातावरण का निर्माण करती है।
कंपनी कार्य-जीवन संतुलन को प्रोत्साहित करती है और कर्मचारियों के कल्याण का समर्थन करती है, जिसमें नमामि गंगे परियोजना जैसे स्थायी अपशिष्ट जल प्रबंधन समाधानों को लागू करने के लिए सरकारी एजेंसियों, शैक्षणिक संस्थानों और स्थानीय निकायों के साथ सहयोग करना शामिल है।
डाइकिन एक्सिस की पहलों का उद्देश्य अंततः एक स्थायी समाज का निर्माण, पर्यावरण की रक्षा और लोगों के जीवन को बेहतर बनाना है। उनके प्रयासों को पर्यावरण प्रबंधन प्रणालियों के लिए ISO 14001:2015 सहित विभिन्न प्रमाणपत्रों के माध्यम से मान्यता मिली है।



