डॉ. अंबेडकर अस्पताल और रोहिणी आयुर्विज्ञान संस्थान में नगण्य (कुछ) दवाओं को छोड़कर इंसुलिन उपलब्ध नहीं है, जिससे गरीब मरीज़ों को खुले बाज़ार से इंसुलिन खरीदना पड़ रहा है


सुनील नेगी

दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र में डॉ. अंबेडकर अस्पताल और चिकित्सा संस्थान, जो रोहिणी, रिठाला, मंगोलपुरी और सुल्तानपुरी सहित नाहरपुर आदि के गरीब और निम्न मध्यम वर्ग के मरीजों की सेवा करता है, पिछले छह महीनों से मरीजों को इंसुलिन और सस्ती सभी दवाइयां नहीं दे रहा है, सिर्फ कुछ ही।

समाज के निचले तबके के मरीज जो तीव्र मधुमेह, तंत्रिका संबंधी समस्याओं और अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं, सुबह 7 बजे से ही लंबी कतारों में खड़े रहते हैं और जब फार्मासिस्टों के काउंटर सुबह 9.30 बजे खुलते हैं तो वे आपस में गपशप करते हैं और कतार में खड़े मरीजों पर ध्यान नहीं देते हैं, उनका एक ही जवाब होता है कि इंसुलिन, इंजेक्शन और दवाइयां बहुत कम उपलब्ध हैं, जिससे गरीब और असहाय मरीज खाली हाथ और निराश होकर घर लौट जाते हैं।

यह बेहद चौंकाने वाली बात है कि जब आप की पिछली सरकार थी, तब इंसुलिन, इंजेक्शन और दवाइयाँ आसानी से और आसानी से उपलब्ध थीं।

कई साल पहले शीला दीक्षित के कार्यकाल में इस अस्पताल में छापे पड़े थे और दवाओं में भ्रष्टाचार और अकुशलता का एक बड़ा घोटाला सामने आया था, जिसमें तत्कालीन चिकित्सा अधीक्षक और अधीनस्थ कर्मचारियों को इस घिनौने मामले में शामिल होने के आरोप में निलंबित कर दिया गया था।

गौरतलब है कि पिछले कई सालों से दिल्ली के हर सरकारी अस्पताल में दवाइयाँ, इंसुलिन, इंजेक्शन और अन्य चिकित्सा सुविधाएँ मुफ़्त उपलब्ध हैं। लेकिन पिछले छह महीनों से रोहिणी स्थित डॉ. अंबेडकर अस्पताल में इंसुलिन, इंजेक्शन और अन्य ज़रूरी दवाइयाँ उपलब्ध नहीं हैं, जिससे हज़ारों गरीब मरीज़ खुले बाज़ार से दवाइयाँ खरीदने को मजबूर होकर घर लौट रहे हैं।

उत्तराखंड पत्रकार मंच दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री श्री Dr. Pankaj Kumar Singh से अपील करता है कि वे रोहिणी स्थित डॉ. अंबेडकर अस्पताल का औचक निरीक्षण करें और व्यापक जनहित में मरीज़ों को तुरंत इंसुलिन और अन्य दवाइयाँ उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।

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