गैरसैण को स्थायी राजधानी बनाने की माँग पर ऑनलाइन संगोष्ठी संपन्न

गैरसैण को स्थायी राजधानी बनाने की माँग पर ऑनलाइन संगोष्ठी संपन्न
दिनांक : 21 अगस्त 2025
देहरादून।
उत्तराखण्ड की स्थायी राजधानी गैरसैण बनाने की माँग को लेकर एक महत्वपूर्ण ऑनलाइन बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें उत्तराखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े वरिष्ठजन, प्रवासी संगठनों के प्रतिनिधि, पूर्व अधिकारी, पत्रकार और जनप्रतिनिधि बड़ी संख्या में शामिल हुए।
इस ऑनलाइन संगोष्ठी में मुख्य प्रतिभागियों में श्री देवेंद्र रतूड़ी (संयोजक), श्री विनोद प्रसाद रतूड़ी (सेवानिवृत्त IAS), श्री विजय प्रसाद ड्युण्डी, प्रवासी संगठन से श्री कमलकांत ध्यानी, श्री जे.एस. गुसाईं, श्री जगदीश प्रसाद पुुरोहित तथा वरिष्ठ पत्रकार देवेन एस. खत्री सहित अनेक गणमान्य नागरिक सम्मिलित हुए। साथ ही पूर्व विधायक श्री विनोद चमोली सहित अनेक सेवानिवृत्त अधिकारी और समाजसेवी भी इस संगोष्ठी में उपस्थित रहे।
सभी प्रतिभागियों ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया कि उत्तराखण्ड की स्थायी राजधानी केवल गैरसैण ही होनी चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार एवं विचारक देवेन एस. खत्री ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि गैरसैण उत्तराखण्ड की जीवनरेखा है। उन्होंने ऐतिहासिक तथ्यों को प्रस्तुत करते हुए बताया कि प्राचीन काल में गैरसैण के समीप स्थित चांदपुर गढ़ी को उत्तराखण्ड की पहली राजधानी के रूप में स्थापित किया गया था। वहीं से सम्पूर्ण उत्तराखण्ड का शासन होता था और यह भू-भाग सांस्कृतिक तथा आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है।
सभी प्रतिभागियों का स्पष्ट मत है कि यदि पर्वतीय राज्य की राजधानी पर्वतीय क्षेत्र में होगी तो न केवल संतुलित विकास संभव होगा बल्कि पलायन, बेरोजगारी और क्षेत्रीय असमानता जैसी समस्याओं का भी स्थायी समाधान निकलेगा।
बैठक में उपस्थित सभी प्रतिभागियों ने एक स्वर में घोषणा की कि गैरसैण को स्थायी राजधानी बनाए बिना उत्तराखण्ड का भविष्य उज्ज्वल और प्रगतिशील नहीं हो सकता।