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Uttrakhand

वरिष्ठ (सेवानिवृत्त) वैज्ञानिक Dr. राम प्रसाद ध्यानी नहीं रहे। दिल्ली में आखिरी सांस ली

उत्तराखंड के लिए दुखद खबर है। प्रमुख वैज्ञानिक Dr. राम प्रसाद ध्यानी ने 94 वर्ष की उम्र में अपने दिल्ली स्थित आवास पर अंतिम सांस ली। मूल रूप से नैनीडांडा ब्लॉक के रहने वाले वह अपनी बेटी और दामाद के साथ रहते थे। 1930 में पौडी गढ़वाल जिले के नैनीडांडा ब्लॉक के जड़ौखंड, सांगलिया में जन्मे वयोवृद्ध वैज्ञानिक सेवानिवृत्ति के बाद अपने गृहनगर आते थे लेकिन अपनी बेटी और दामाद के साथ दिल्ली में रह रहे थे और उत्तराखंड के सामाजिक दायरे में काफी सम्मानित थे। बचपन से ही एक उच्च विद्वान और समर्पित छात्र राम प्रसाद ध्यानी सर ने प्राथमिक विद्यालय कोचियार में पढ़ाई की, नैनीडांडा से मिडिल और जहरीकाल लैंड्सडाउन से इंटरमीडिएट पास किया। उन्होंने देहरादून से बीएससी और एमएससी की पढ़ाई की और अंत में दिल्ली से पीएचडी की और उसके बाद पूसा भौतिक प्रयोगशाला में वैज्ञानिक के रूप में शामिल हुए। उन्होंने वर्ष 1990 में पूसा से वरिष्ठ वैज्ञानिक के पद से इस्तीफा दे दिया। राम प्रसाद ध्यानी उत्तराखंड के सामाजिक क्षेत्रों में काफी सक्रिय थे और पहाड़ी क्षेत्रों की समस्याओं के संबंध में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लेख भी लिखते थे। उन्होंने झौखांध में एक नर्सरी खोलने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन समवर्ती सरकारों के असहयोग के कारण वह इसे जारी नहीं रख सके। उनके निधन की दुखद खबर सुनकर दिल्ली में उत्तराखंड बिरादरी स्तब्ध है। उत्तराखंड जर्नलिस्ट्स फोरम के अध्यक्ष और यूकेनेशनन्यूज के संपादक सुनील नेगी ने कहा कि उनके निधन से उत्तराखंड में एक खालीपन पैदा हो गया है, जिसे भरना बहुत मुश्किल है।

डा. रामप्रसाद ध्यानी जी ने 1950 में जहरीखाल (राजकीय इंटर कालेज लैंसडाउन) से इन्टरमीडिएट किया था, प्रथम श्रेणी में। वहां के सम्मान पट्ट में ये नाम आज भी दर्ज है।

Retired Scientist and Science author Dr. Subhash Chandra Lakhera ke mutabik : दुःखद खबर । उनके बहुत से रिश्तेदारों से मेरा निकट का परिचय रहा। उनके ससुर स्वर्गीय श्री जे एन पोखरियाल जी से मेरा परिचय तब हुआ जब ध्यानी जी की पत्नी की तीसरे नंबर की बहन का रिश्ता मैंने अपने एक रिश्तेदार से करवाया। ख़ैर वे एक वैज्ञानिक संगठन The Association of Scientific Workers of India (ASWI ) के अध्यक्ष भी रहे और उनके इस संगठन के बुलेटिन में मेरा आज से लगभग चालीस वर्ष पूर्व “ Science in social context “ शीर्षक से एक लेख भी छपा था। उन्होंने सेवा से निवृत होने के बाद उत्तराखंड में कुछ कार्य करने के प्रयास किए।
ख़ैर, वे डॉ० राम प्रसाद के नाम से जाने जाते थे। एन पी एल में सेवा के दौरान उन्होंने ASWI के लिए बहुत कुछ किया। उनसे व्यक्तिगत मुलाकात तो कभी नहीं हुई लेकिन उनके बारे में मुझे काफी कुछ जानकारी निरंतर मिलती रही। ईश्वर उनको अपने श्री चरणों में स्थान दें और उनके परिवार को इस पीड़ा से उबरने की शक्ति दे। नमन 🙏

विनम्र श्रद्धांजलि।

ॐ शांति.

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