नजफगढ़ की निर्भया के बलात्कारी और कातिल बरी, महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट प्रांगण में किया प्रोटेस्ट
आज भारत के उच्चतम न्यायलय ने नजफगढ़ की निर्भया के कातिलों के पक्ष में फैसला देते हुए द्वारका सेशन कोर्ट के फांसी के फैसले को ठेंगा दिखते हुए टर्न डाउन कर तीनो दुर्दांत हत्यारों और बलात्कारियों को बरी कर दिया. इस खबर और फैसले ने पूरे उत्तराखंड़ी समाज और नजफगढ़ की निर्भया के माता पिता को भीतर से बुरी तरह झकजोर कर रख दिया है.
गौर तलब है कि वसंत विहार की बस में हुए गेंग रेप और दुर्दांत हत्या से पूर्व ९ फेब्रुअरी २०१२ को घटे किरण नेगी के सामूहिक बलात्कार के बाद हरयाणा में दुर्दांत हत्या में लिप्त तीन दरिंदों को द्वारका सेशन कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी जिसे बाद में दिल्ली उच्चतम न्यायलय ने बरकरार रखा. बाद में तीनो कन्विक्ट अपनी फांसी की सज़ा के खिलाफ उच्चतम न्यायलय की शरण में पहुंचे.
देश के सभी न्याय पसंद जनता को उम्मीद थी की माननीय सुप्रीम कोर्ट नजफगढ़ की निर्भया को अवश्य न्याय देगा और द्वारका सेशन कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट के निर्णय को बरकरार रखते हुए इन तीनो दरिंदों को फांसी के तख्ते पर लटकाएंगे लेकिन ७ नवंबर के निर्णय ने इन तीनो दरिंदों को रिहा कर सम्पूर्ण उत्तराखंड की जनता और सही सोच वाले लोगों को सकते में डाल दिया.
इस फैसले ने सभी को झकजोर कर रख दिया.
नजफगढ़ की निर्भया किरण नेगी जो अपने परिवार की एक मात्र अर्निंग फॅमिली मेंबर थी को २०११ में क़ुतुब विहार नजफगढ़ से तीन युवकों ने अपनी गाडी में अपहृत कर हरियाणा में न सर्फ बेदर्दी से सामूहिक बलात्कार किया था बल्कि उनके शरीर में २१ गंभीर घाव भी किये और जघन्य तरीके से मौत के घाट उतार दिया .
२०१३-१४ में ठन्डे बस्ते में पढ़े इस मामले को संजीवनी गैर सरकारी संस्था की अध्यक्षा अनीता नेगी गुप्ता, उत्तराखंड पत्रकार फोरम के अध्यक्ष सुनील नेगी और दिल्ली के कई संगठनों व् क़ुतुब विहार की संघर्षील महिलाओं ने किरण नेगी के कातिलों को क़ानून के शिकंजों में कसने हेतु जंतर मंतर और द्वारका सेशन कोर्ट के सम्मुख आंदोलन चलाया , कई प्रोटेस्ट डेमोंस्ट्रेशन्स , कैंडल मार्च किये.
मरहूम किरण नेगी के माता पिता माननीय सुप्रीम कोर्ट में वर्षों तक ऐड़ियाँ रगड़ते रहे , उनकी नौकरी भी चली गयी , परिवार की आर्थिक स्थिति अत्यंत चिंताजनक है. उत्तराखंड जर्नलिस्ट्स फोरम , गढ़वाल हितेषिणी सभा , और उत्तराखंड की दिल्ली में रह रही जनता उन्हें विश्वास दिलाती है की उन्हें न्याय अवश्य मिलेगा. हमारा संघर्ष जारी रहेगा.
इसी बीच आज सुप्रीम प्रांगण में दीपिका नयाल, बृजमोहन उप्रेती, रौशनी चमोली, सर्च चाइल्ड फाउंडेशन की कुसुम कंडवाल भट्ट , किरण लखेड़ा और कई महिलाओं ने अपना जबरदस्त विरोध दर्ज़ किया .
पूर्व उत्तराखंड मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लिखा : अभी-अभी एक अत्यधिक दु:खद खबर आई है। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने किरण नेगी के साथ वीभत्स बलात्कार और उसकी हत्या के लिए जिम्मेदार अभियुक्तों को जिन्हें जिला न्यायालय और माननीय हाईकोर्ट ने सजा-ए-मौत दी थी उनको बरी कर दिया है? यह निर्भया हत्याकांड के तरीके से ही अत्यधिक वीभत्स हत्याकांड, मेडिकल रिपोर्ट, सारे साक्ष्य, कहाँ सरकार से चूक हुई कि जिन्हें फांसी पर झूलना चाहिए था, वो बरी हो गए! अत्यधिक अविश्वसनीय लगता है सब कुछ, खैर सुप्रीम आदेश है।
जघन्य अपराध के आरोपियों का रिहा हो जाना बहुत ही स्तब्धकारी है , जिस से भी इस सम्बन्ध बात की वह इस निर्णय से बहतु ही निराश दिखाई दिया . इस पर स्वतः संज्ञान के आधार पर मुख्य न्यायाधीश महोदय को हस्तक्षेप कर फिर से विचार की कार्यवाही शुरू होने की प्रार्थना है .