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India

विश्व गुरु कोई पोलिटिकल कांसेप्ट नहीं है कि सारी दुनिया में हमारा राज होगा : राहुल देव वरिष्ठ पत्रकार

विश्वगुरु भारत : उद्यमिता से सिद्धि ” विषय पर राष्ट्रीय गोष्ठी और सम्मान अर्पण समारोह


25 जून को दिल्ली विश्वविद्यालय के पीजीडीएवी सांध्य महाविद्यालय के सभागार में राष्ट्रोक्ति वेबपोर्टल ,पर्वतीय लोकविकास समितिऔर ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की ओर से एक राष्ट्रीय संगोष्ठी और सम्मान अर्पण समारोह का आयोजन किया गया | गोष्ठी का विषय था -“विश्वगुरु भारत : उद्यमिता से सिद्धि | ” समारोह के अतिविशिष्ट अतिथियों में पंजाब केसरी दैनिक की निदेशक और वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की चेयरपर्सन श्रीमती किरण चोपड़ा,वरिष्ठ साहित्यकार और जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. महेंद्र पाल शर्मा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पर्यावरण गतिविधि से जुड़े वरिष्ठ कार्यकर्ता श्री मल्लिकार्जुन | वक्ताओं के पैनल में वरिष्ठ पत्रकार श्री राहुल देव,भारतीय जनसंचार संस्थान ,नई दिल्ली के डीन प्रो. गोविंद सिंह और सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता एडवोकेट नवीन कुमार जग्गी | समारोह का प्रारंभ आचार्य मोहन भट्ट,महावीर नैनवाल और आचार्य रमेश भट्ट द्वारा प्रस्तुत गायत्री मंत्र और वैदिक मंगलाचारण के साथ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ | कॉलेज के थींम सॉन्ग के बाद महाविद्यालय की छात्रा कुमारी आकांक्षा ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की | पीजीडीएवी सांध्य महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो रवींद्र कुमार गुप्ता ने स्वागत वक्तव्य के साथ “विश्वगुरु भारत : उद्यमिता से सिद्धि ” विषय पर राष्ट्रीय गोष्ठी का विषय प्रवर्तन किया | समारोह की अतिविशिष्ट अतिथि पंजाब केसरी दैनिक की निदेशक और वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की चेयरपर्सन श्रीमती किरण चोपड़ा ने कहा कि भारत विश्वगुरू था ,है और भविष्य में भी रहेगा।। आज आदिवासी क्षेत्र से पाठशाला से वंचित एक महिला शिक्षिका बनकर,पंचायत चुनाव जीतकर,विधानसभा में प्रतिनिधि बनकर राज्यपाल बनती हैं और फिर देश के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति के लिए नामांकित हो रही हैं तो यह नए भारत के विश्वगुरु होने का ही तो संकेत है।
गोष्ठी के विषय पर अपना बीज वक्तव्य रखते हुए वरिष्ठ पत्रकार श्री राहुल देव ने कहा कि यह महत्त्वपूर्ण विषय है | भारत का भविष्य बनाने वाला युवा श्रोता यहाँ मौजूद है ,हम लोग अब भविष्य नहीं,अतीत हैं |वास्तव में तो विश्व गुरु की जो कल्पना है उसमें उद्यमिता उतनी नहीं जितना कि ज्ञान आता है , सिद्धि साधना से ही आती है |ज्ञान में भी उद्यम होता है ,उद्योग होता है ,जीसे अध्यवसाय कहते हैं ,ज्ञान के लिए साधना और समृद्धि के लिए उद्यमिता बहुत आवश्यक है | स्वामी विवेकानंद और श्री अरविंद का विचार हमें आत्मविश्वास से भरता है। श्री अरविंद ने 1947 में ,15 अगस्त को अपने जन्मदिवस पर पांच सपनों की बात की थी। उनकी स्पष्ट मान्यता थी कि भारत केवल अपने आध्यात्मिक ज्ञान के कारण पुनः विश्व में प्रतिष्ठा को प्राप्त होगा। उनका जो अंतिम संदेश है भारत के लिए उसको हमको बार -बार पढ़ना चाहिए।,श्री अरविंद ने पिछले 300 वर्ष पूर्व के भारत में जो मनस्वी,सिद्ध,आध्यात्मिक विभूतियां,चिंतक और दार्शनिक हुए वैश्विक चेतना और मानवीय चेतना का जितना बड़ा महत्त्वाकांक्षी और भविष्य का चित्र अंकित किया। उनका स्पष्ट विचार था कि उस महद चेतना (super Mind ) का अवतरण होगा इस धरती पर,हमें अपनी चेतना का विकास करके उस तक पहुंचना है,तब मनुष्य दैवीय चेतना से युक्त बन जायेगा।


निश्चित रूप से हमारा अतीत अद्वितीय रूप से गौरवशाली रहा है ,इस पर कोई विवाद नहीं है।हम जानते हैं कि इस सृष्टि में उत्थान और पतन का एक चक्र क्रमशः चलता रहता है। कोई भी चीज अनंत काल के लिए एक ही स्थिति में टिकी नहीं रहती। हम आर्थिक और भौतिक,लौकिक-अलौकिक,पार्थिव और आध्यात्मिक सब प्रकार की शक्तियों से पूर्ण थे,ज्ञान विज्ञान की प्रथम वैश्विक लहर भारत से ही निकली। शून्य,गणित,खगोल शास्त्र,धातु विज्ञान,आयुर्वेद,योग और बहुत सारे ऐसे क्षेत्र हैं जहां हम अग्रणी रहे। लेकिन ये भी सच है कि भारत जब आक्रांत नहीं था तब भी अंतर्मुखी हो गया था। भविष्य की नींव वर्तमान पर ही रखी जाती है ,सपनों पर नहीं। भारत के सामने अभी ज्ञान ग्रहण और ज्ञान निर्माण की चुनौती है। हमें एक सशक्त,समर्थ और समृद्ध राष्ट्र बनाना है तो ज्ञान,विज्ञान,अर्थशास्त्र,
भौतिकी ,,आर्थिकी,तकनीकी,आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर जोर देना होगा और ऐसे प्रयास हो रहे हैं।आज हमारी सारी भाषाएं बहुत संकट में हैं, 60 या 70 करोड़ लोगों वाली हिंदी भी अजर अमर नहीं रहेगी ,हमारे पास केवल दो पीढ़ियों का समय है। भारत की गुरूता,भारत की श्रेष्ठता और उसका भारतीयत्व तो संस्कृत आदि इन्हीं भाषाओं में निहित है। जब हमारे बच्चों के बच्चे न रामचरित मानस पढ़ पाएंगे, न महाभारत, न गीता, न सुर,कबीर,प्रेमचंद या आज जो लिखा जा रहा है वो ,तो फिर कैसा भारत बनेगा।

भारत की असली प्रगति की पहली शर्त यही है कि जब हर भारतीय को उसकी अपनी भाषा में काम करने का मौका मिलेगा।प्राथमिक कक्षा से लेकर उच्चतर स्तर तक भारतीय भाषाओं को केंद्र में रखा जाए। बहुत सारी चीजें हो भी रही हैं,नई शिक्षा नीति में सारी भाषाएं केंद्र में रखी गई है ।इंजीनियरिंग में 8 भारतीय भाषाओं में प्रथम वर्ष के लिए 250 किताबें तैयार की गई हैं । एनआईटी, आईआईटी और मेडिकल के साथ ही कानून, मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी में होना शुभ संकेत है ।अपनी भाषाओं को पढ़ाइए,उनको बढ़ाइए,ज्ञान की सिद्धि से हमारी अपनी भाषाओं के समृद्धि बढ़ेगी।


विचार गोष्ठी के विषय पर अपना पक्ष रखते हुए प्राचार्य प्रो.रवींद्र कुमार गुप्ता ने कहा कि आज से 7-8 वर्ष पूर्व पीछे झांकने पर हम देखते हैं ,तब भी सेमिनार होते थे,गोष्ठियां होती थीं इसी तरह लेकिन उस समय इस प्रकार के विषय नहीं होते थे। उस समय ये बात तो होती थी कि भारत विश्वगुरू था,लेकिन विश्वगुरु की ओर बढ़ने की बात तो दूर ये देश कभी नहीं सुधर सकता,यहां का कुछ नही हो सकता,दीमक लग गया है,भगवान भी आ जाए ऊपर से तब भी इस देश का कुछ नहीं हो सकता,ऐसी बातें होती थीं।आज हम कह रहे हैं भारत विश्व गुरूता की ओर बढ़ रहा है,हमारा मानस ही बदल गया है। हमारे अंदर जो निराशा की भावना थी,वह आशा में बदल गई है, Mind set बदल गया है,हमारे सोचने की ,चिंतन की दशा बदल गई है,आशा की किरण के साथ Intellectual Imperialism समाप्ति की ओर है।हम आज देख रहे हैं कि विश्व गुरु कोई Political concept नहीं कि सारी दुनिया पर हमारा राज होगा ,जैसे ब्रिटिश साम्राज्य का सूर्यास्त नहीं होगा इस तरह,सैन्यशक्ति बनकर हम सबको दताएंगे अथवा अमेरिका की तरह पैसे के बल पर आर्थिक प्रभुता दिखाएंगे। न संपत्ति के बल पर, न सैन्य शक्ति और न ही आर्थिक शक्ति इसका मानक है। विश्वगुरु के मायने ये हैं कि अपना भारत देश पहले सभी मामलों में और आयामों में आत्मनिर्भर हो। दुनिया संकट के समय भारत से मार्ग पूछे,समाधान पूछे ,यही विश्वगुरु होना है। ऐसा धीरे धीरे ही होगा,जो सिद्धि होनी है वह होगी उद्यमिता से ही।इसी से यह स्थिति आ रही है। रूस और यूक्रेन में युद्ध हो रहा है,अनेक देश कह रहे हैं कि यदि यह लड़ाई रुक सकती है तो भारत के रोकने से। जब वहां भारतीय बच्चे फंसे थे तो ऑपरेशन गंगा के माध्यम से इनको सुरक्षित निकलवाने के लिए दोनों ही देशों ने चार घंटे युद्ध रोककर एक सुरक्षित कोरिडोर उपलब्ध करवाया। दोनों ही देश हमारी बात मान लें ,यह असभव बात थी,तो क्या यह विश्वगुरु होना नहीं है। वैश्विक महामारी कोरोना के समय दुनिया के किस देश ने भारत से हाइड्रोक्लोरोक्वीन नहीं मांगी ,ब्राजील ने तो अपने प्रचार में इसे संजीवनी के रूप में प्रचारित किया | आज मेडिकल टुरिज़म भारत में लगातार बढ़ रहा है,अमेरिका और कनाडा जैसे विकसित देशों के लोग भी यहाँ इलाज करवाने आते हैं | हिंदुस्तान जो पहले ऑफिस ऑफ थे वर्ड कहलाता था अब हमारे बच्चों ने उसे उसे फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड बना दिया है,हमारा गेहूं निर्यात देखिए | पाकिस्तान जैसा देश जब ये कह रहा है कि भारत की विदेश नीति बहुत अच्छी है ,जी-7 के सम्मेलन में भारत को विशेष रूप से आमंत्रित किया जा रहा है ,क्योंकि हमारी बात और हमारी राय उन्हें गुरुता वाली और संयमित लगती है | वसुधैव कुटुंबकम और सर्वे भवन्तु सुखिनः अतीत में ही नहीं भविष्य में भी प्रासंगिक और उपयोगी हैं,बस हमें उद्यम,परिश्रम,तप तथा साधना के साथ कर्म करना पड़ेगा निरंतर ,हम यह उद्यमिता अवश्य करेंगे | गुरुकुल पद्धति और वैदिक जीवनचर्या के साथ भी आज के संदर्भ में भी हम दुनिया के सिरमौर बनेंगे | एक सुंदर इमारत खंडहर में बदल गई,यदि उसमें रहने वाले लोग उसे ठीक करने की सोच लें तो वह इमारत सुंदर और बुलंद बन सकती है,शिखर छू सकती है,उसकी पुरानी आभा और चमक लौट सकती है |
गोष्ठी के अतिविशिष्ट अतिथि जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो.महेंद्र पाल शर्मा, ने कहा कि मैंने लगभग 8 साल विदेश में पढ़ाया ,दक्षिण कोरिया में एक विशेष अनुभव देखने में आया ,1945 में आजाद हुए दक्षिण कोरिया की आधिकारिक भाषा जापानी थी और वहाँ के लोग दुनिया में जिनसे सर्वाधिक घृणा करते हैं वो जापानी ही हैं | वहाँ के विश्वविद्यालय में पढ़ाने के लिए 98 प्रतिशत शिक्षक बाहर के थे ,जो सब अंग्रेजी जानते थे | एक सम्मेलन में कुलपति का भाषण हुआ ,वे अच्छी अंग्रेजी जानते थे लेकिन उन्होंने हजारों लोगों के बीच जिनमें अधिकांश हम विदेशी थे,एक घंटे तक कोरियाई भाषा में भाषण दिया | मैंने कहा सर आपने बहुत अच्छा भाषण दिया लेकिन वो कोरियाई भाषा में था,हम नहीं समझ सके ,उन्होंने कहा -इट इज योर प्रॉब्लम ,यानि कोरियाई भाषा सीखिए | वहाँ के हमारे विद्यार्थी जब भारत आते थे तो कहते थे कि भारतीय हमसे अंग्रेजी में बात करते हैं,जबकि हम उनसे हिन्दी में बात करना चाहते हैं |

समारोह की अतिविशिष्ट अतिथि पंजाब केसरी दैनिक की निदेशक और वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की चेयरपर्सन श्रीमती किरण चोपड़ा ने कहा कि हम आज जो कर रहे हैं ,जिस दिशा की ओर चल रहे हैं वह गुरु होने का ही मार्ग है | हमारा देश ज्ञान का गुरु रहा है,इसमें तरह-तरह के ज्ञानी हुए हैं | शून्य हमने दिया,आयुर्वेद,योग,दशमलव दिया ,गुरु तो वही होगा जिसका सब अनुसरण करें और जिसकी बातें सब मानें | कोरोना में दुनिया ने अब मास्क पहने ,हमारे जैन गुरुओं ने तो इनको पहले से ही प्रयोग किया है |

आज देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बनने जा रही हैं ,वह एक महिला हैं,किस समाज से हैं,वो ऐसी महिला हैं जिनके समय पाठशाला नहीं थी ,उन्होंने पढ़ा ही नहीं अध्यापन को चुना,पंचायत चुनाव लड़ीं ,विधानसभा पहुंचीं,गवर्नर बनीं और अब राष्ट्रपति ,यह विश्वगुरु बनने की भारत की कसौटी है | हम सब ताकत रखते हैं समाज को बदलने की ,देश को बनाने की ,हम सब में युग परिवर्तन की क्षमता है | ऐसे में क्यों नहीं हमारा देश विश्वगुरु होगा ,निश्चित रूप से यह पहले जहां सोने की चिड़िया था अब सोने का शेर बनेगा |स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि हमें आत्मनिर्भर होना है,सबको रोजगार मिलेगा,देश के एक -एक व्यक्ति के मन में सैनिक बनने की इच्छा जागेगी ,जिस तरह इजराइल में हर परिवार का व्यक्ति सेना से जुड़ता है हमें भी ऐसे युवकों और लोगों की जरूरत है जो देश के लिए सोचें और देश के साथ आगे बढ़ें |

साहित्यकार और पत्रकार समाज में चेतन जगात है ,समाज की अच्छाइयों और बुराइयों को उद्घाटित करता है | मन में संकल्प होना चाहिए 18 वर्ष पूर्व जब सब कहते थे कि बुजुर्गों के लिए वृद्धाश्रम होने चाहिए ,तब मैंने कहा नहीं ,उन्हें घर,परिवार और अपनों का साथ मिले | हमने बोलकर,लिखककर सबको समझाया कि जहां आज बुजुर्ग हैं,कल आप होंगे और जहां आप आज हो,कल वहाँ आपके बुजुर्ग थे |आज पत्रकारिता धनादया लोगों के पास पहुन्छ गई है लेकिन हमारी पत्रकारिता यानी पंजाब केसरी ने सदैव राष्ट्रहित और राक्षत्रसेव को सर्वोपरि माना और आज भी पत्रकारिता को मिशन मानकर चलते हैं |

अमर शहीद जगत नारायण जी और रमेश प्रकाश जी ने पहले आजादी के लिए और आजादी के बाद देश की एकता और शांति के लिए आवाज उठाई | पत्रकार देश की चेतन को जगाते हैं ,वे समाज का द होते हैं | हम विश्वगुरु बनाने की ओर चल पड़े हैं ,बहुत मुसीबतों का सामना करने के बाद भी हम आत्मनिर्भर हो रहे हैं |परिवर्तन से आक्रोश भी बढ़ लेकिन सरकार लगातार प्रयास करके आगे बढ़ रही है | हमें पूर्ण विश्वास है कि भारत विश्वगुरु बनेगा | यदि हम सब अपने-अपने क्षेत्र में काम करना शुरू करें तो चाहे कितनी भी चुनौतियाँ हों लेकिन हम एक दिन अवश्य कामयाब होंगे | विचार गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए शीर्ष शिक्षाविद,प्रशासक,मीडिया विशेषज्ञ और हरियाणा उच्चतर शिक्षा आयोग के अध्यक्ष प्रो.बृज किशोर कुठियाला ने कहा कि विश्व में एक श्रेष्ठ राष्ट्र बनने की राह पर भारत बुलेट ट्रेन में बैठ चुका है,यह कहने के तीन शोध आधारित आधार हैं | पेंटागन ने 2018 में भारत और अमेरिका के संदर्भ में,यूरोपियन यूनियन ने 2018 में 2050 के विश्व की कल्पना पर और सीआईए ने ने भविष्य में विभिन्न राष्ट्रों की संभावित स्थिति पर शोध करवाया | तीन अध्ययनों में से दो ने कहा कि भारत 2030 में विश्व का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र होगा | पेंटागन ने कहा कि 2050 में भारत बड़ी शक्ति होगा या चीन लेकिन अमेरिका नहीं होगा | यूरोपियन यूनियन ने प्रो. मेडिसिन से 0 वर्ष से लेकर 17 वीं शताब्दी तक का इतिहास लिखने को कहा और सबकी जीडीपी और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की स्थिति जानने को कहा | इस अवधि में विश्वभर में भारत का सबसे ज्यादा 36 प्रतिशत हिस्सा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में रहा | इसलिए भारत के विषवगुरु बनने की भविष्यवाणी का आधार हमारा सर्वश्रेष्ठ और सर्वोत्तम राष्ट्र रहा है | विश्व के अन्य राष्ट्रों को नेतृत्व और मार्गदर्शन भारत दिखाए ऐसी स्थिति बन चकई है | आज केवल दुनिया के 17 ऐसे देश हैं जिनमें भारतीय मूल का कोई व्यक्ति शीर्ष पद पर नेतृत्व नहीं कर रहा है | यूरोप के 11 देशों में हो या अमेरिका में ही भारतीय मूल के लोग सबसे ऊपर हैं | अमेरिकी राष्ट्रपति जो. बाइडेन की टीम के 22-23 लोगों में भारतीयों की संख्या सबसे अधिक औ सबसे ऊपर है | इसके बाद भी यदि भारत के विश्वगुरु होने पर किसी को संदेह है तो फिर सोचने वाली बात तो वही है |

समारोह में उपस्थित अतिथियों और आगंतुकों का आभार पर्वतीय लोकविकास समिति के चेयरमैन श्री विनोद नौटियाल ने व्यक्त किया। इस अवसर पर ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की ओर से प्रो. हरीश अरोड़ा, प्रो. सुषमा चौधरी, बलवंत सिंह, डॉ. योगेश शर्मा, योग विशेषज्ञ श्री रमेश कांडपाल, राज्यसभा में कार्यरत श्रीमती मीना कंडवाल, वरिष्ठ पत्रकार सुनील नेगी, चारु तिवारी, प्रदीप वेदवाल, सामाजिक कार्यकर्ता एस. एन. बसलियाल, विपिन थपलियाल, देवेश नौटियाल, उदय बर्तवाल, बिजेंद्र ध्यानी, कवि बीर सिंह राणा, नीरज बवाड़ी और साक्षी जोशी को भी सम्मानित किया गया।

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