google.com, pub-9329603265420537, DIRECT, f08c47fec0942fa0
Uttrakhand

78 वर्ष बीत जाने के बाद आज भी सरकारी उदासीनता के कारण अल्मोड़ा मे Badri Dutt Pandey ji की मूर्ति स्थापित नही हो पाई : Dr.Amrita Pant

SUNIL NEGI

15 फरवरी को उत्तराखंड फिल्म एवं नाट्य संस्थान द्वारा कुमाऊँ केशरी बद्रीदत्त पांडे की 144वीं जयंती के अवसर पर उत्तराखंड सदन,चाणक्यपुरी में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें बद्रीदत्त पांडे जी की सुपौत्री श्रीमती अमिता पंत एवं श्रीमती अमिता पंत की सुपुत्री डाॅक्टर इशिता पंत ने भी अपनी उपस्थिति दी। कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए संस्थान के सलाहकार श्री बी.लाल शास्त्री ने सभी विद्वतजनों का सूक्ष्म परिचय देते हुए बताया कि परसों ही उत्तराखंड के जाने माने हास्य कलाकार घनानंद (घना भाई) का स्वर्गारोहण हुआ है और कल ही सुविख्यात पर्यावरणविद स्व. सुंदर लाल बहुगुणा की पत्नी का स्वर्गारोहण हुआ है। अतः सर्वप्रथम इन पुण्यात्माओं की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा गया। तदुपरांत श्रीमती अमिता पंत ने अपने दादा जी (बद्री दत्त पांडे) जी के साथ बिताए यादों को साझा करते हुए बताया कि दादा जी द्वारा चलाए गए कुली बेगार आंदोलन मे दादी जी का भी बहुत बड़ा योगदान था। भरे गले से एक घटना का उल्लेख करते श्रीमती पंत ने बताया कि आंदोलन के कारण जब दादा जी जेल में थे तो मेरे एक चाचा जी की मृत्यु हो गई थी और इसी सदमें मे बुवा भी स्वर्ग सिधार गई थी।चार दिन के अंदर दो मौतें होने के बावजूद दादा जी ने अपना हौंसला कम नही होने दिया और जब तक कुली बेगार प्रथा समाप्त नही हो गई तब तक अपना आंदोलन और जन जागृति का कार्यक्रम जारी रखा। उन्होने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए बताया कि आजादी के 78 वर्ष बीत जाने के बाद आज भी सरकारी उदासीनता के कारण अल्मोड़ा मे उनकी मूर्ति स्थापित नही हो पाई है।
इसी चर्चा को आगे बढाते हुए पूर्व राज्य मंत्री श्री पी.सी. नैनवाल जी ने आश्वासन दिया के वे अल्मोड़ा मे बद्रीदत्त पांडे जी की मूर्ति स्थापना के लिए अपना हर संभव प्रयास करेगें। विचार गोष्ठी में हिंदी अकादमी के पूर्व सचिव श्री हरि सुमन बिष्ट जी ने कहा कि आज आवश्यकता है कि बद्रीदत्त पांडे जी के पदचिन्हों पर चलकर समाज में ब्याप्त सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ा जाए। चर्चा में अपनी बात रखते हुए प्रसिद्ध रंग कर्मी एवं साहित्यकार श्री हेम पंत जी ने बद्रीदत्त पांडे जी की जीवनी का विस्तृत वर्णन करते हुए गौरी दत्त पांडे (गौर दा) द्वारा रचित कविता:- मुल्क कुमाऊं का सुण लियो यारो। झन दियां कुली बेगार। चाहे पड़ी जौ डंडे की मार,झेल जाण ले होवा तैयार।। का पाठ किया। शिक्षाविद श्री पवन मैठानी जी ने बताया कि कुली बेगार प्रथा बर्बर शासक द्वारा जनता पर जुल्म करने की एक कुप्रथा थी,जिसमें बिना मेहनताना के जनता से काम करवाया जाता था। कभी-कभार ऐसे काम करवाए जाते थे कि इंसान को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ता था। शांतिपूर्ण आंदोलन से ऐसी कुप्रथा को बंद करवाने पर महित्मा गांधी भी श्री बद्रीदत्त पांडे से मिलने बागेश्वर आए थे।
सुविख्यात जादूगर श्री के.सी. पांडे ने कहा कि कुमाऊँ केशरी की जीवनी को आज की पीढी तक पहुंचाने का प्रयास किया जाना चाहिए। डां.इशिता पंत ने श्रीमती संयोगिता ध्यानी और उत्तराखण्ड फिल्म नाट्य संस्थान का धन्यवाद करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम में शामिल होकर मैं जिस गौरव की अनुभूति कर रही हूं उसका वर्णन करना भी असंभव है।
प्रसिद्ध रंगकर्मी श्री हरि सेमवाल जी ने समय-समय पर इस प्रकार के आयोजनों पर बल दिया। संस्थान के साहित्यिक सचिव श्री दर्शन सिंह रावत ने बताया कि संस्थान वर्ष 2016 से लगातार इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन करता आ रहा है। संस्थान के पूर्व प्रशासक श्री बृजमोहन शर्मा ‘वेदवाल’ ने आपसी एकता पर बल दिया। संस्थान की तरफ से श्री उमेश बंदूनी, श्री शशि बडोला, श्री दीन दयाल जुयाल ने भी अपने विचार रखे।
अंत में संस्थान की अध्यक्ष श्रीमती संयोगिता ध्यानी ने सभी मेहमानों का धन्यवाद करते हुए बताया कि अगले वर्ष बद्रीदत्त पा॔डे जी की जयंती पर उनकी जीवनी पर आधारित नाटक का मंचन किया जाएगा। विचार गोष्ठी में श्रीमती अमिता पंत, डाक्टर इशिता पंत, पी.सी. नैनवाल, के.सी.पांडे, हरिसुमन विष्ट, हेम पंत, संयोगिता ध्यानी, बी एल शास्त्री, दर्शन सिंह रावत, सतेंद्र फरंडियाल, कुसुम बिष्ट, संतोष बडोनी,अंजू भण्डारी, मंजू भट्ट,धर्मेंद्र प्रसाद, रामपाल किमोली, किरण रामपाल, अक्ष रामपाल,उमेश बन्दूनी, लक्ष्मी वेदवाल, शशि कांत बडोला, पुष्पा देवली, बबली अधिकारी, वीना ढौंडियाल, हरी सेमवाल,रवि रावत ,बृजमोहन शर्मा ,अंजु पुरोहित,वंदना भट्ट, दीनदयाल जुयाल,लक्ष्मी जुयाल, सुनीता खर्कवाल,रिया शर्मा,रविंद्र पांडे ,सचिन आदि शामिल थे।
विचार गोष्ठी का कुशल संचालन संस्थान के प्रकाशक
श्री बी.लाल शास्त्री जी द्वारा किया गया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button