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Delhi news

15-12-2023 को नयी दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में आल इंडिया रेडियो केजुअल आर्टिस्ट्स इर्र्रेगुलर एप्पोइंटीज़ रेगुलराइज़शन यूनियन द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता

(नयी दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया,15 दिसंबर) माननीय सर्वोच्च न्यायलय नयी दिल्ली की संवैधानिक पीठ ने उमा देवी व अन्य के मामले में दिनांक 10-04-2006 को दिए आदेश के अनुच्छेद 44 में दस वर्षों से या अधिक से स्वीकृत एवं रिक्त पदों के विरुद्ध सेवारत अनिमियत कर्मियों को एक मुश्त उपाय के अंतर्गत 6 महीने के अंदर नियमितीकरण की प्रक्रिया आरम्भ कर नियमित किये जाने का आदेश केंद्र व् राज्य सरकारों को दिया था! उक्त आदेश के अनुपालनार्थ भारत सरकार के कार्मिक विभाग ने भी दिनांक 11-12-2006 को आदेश जारी किया था! किंतु प्रसार भारती और आकाशवाणी महानिदेशालय उक्त आदेशों की वर्षों अवहेलना करता रहा! जब 12 वर्ष बीत गए तब 13वें वर्ष में दिनांक 22-08-2019 को प्रसार-भारती नयी दिल्ली ने एक समयबद्ध नियमितीकरण की योजना बनाई और 05/09/2019 के ज्ञापन के संग जारी कर दिया! उक्त ज्ञापन के दिशा निर्देश के अनुसार 04-11-2019 तक अनियमित कर्मियों को अपने अपने केंद्रों में अपने दावों से सम्बंधित ऑफलाइन आवेदन जमा करने कहा गया। 04-12-2019 तक प्राप्त आवेदनों की प्रारंभिक जांच के बाद केंद्रों को आकाशवाणी महानिदेशालय को भेजना था! ये समयबद्ध योजना आकाशवाणी और दूरदर्शन दोनों के सभी अनियमित कर्मियों के एक मुश्त उपाय के अंतर्गत नियमितीकरण के लिए बनाई गयी थी,माननीय सर्वोच्च न्यायलय की संवैधानिक पीठ ने किसी संवर्ग विशेष के अनियमित कर्मियों के संग बीना किसी पक्षपात या भेदभाव के अनुपालन का आदेश दिया था,परन्तु आकाशवाणी महानिदेशालय के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रसार-भारती के ज्ञापन में फेरबदल कर नया परिपत्र जारी किया जो भ्रामकता से भरा था! साथ ही सभी आकाशवाणी केन्द्रों को ई-मेल भेजकर उद्घोषक संवर्ग के अनियमितकर्मियों से आवेदन स्वीकार नही करने का आदेश जारी कर दिया। कई आकाशवाणी केंद्रों में चार पांच महीने आवेदन पड़े रहे जिन्हें 04/12/2019 तक महानिदेशालय नही भेजा गया।केन्द्रों के अधिकारी दावेदारों को ये कह कर उनके आवेदन लौटाने लगे कि ये केजुअल लेबर से माँगा गया है,आप जैसे केजुअल क्वालिफाइड वर्करों से नहीं! ये भी कहकर आवेदनों को केंद्रों द्वारा लौटाया जाने लगा कि आप पार्ट टाइम वर्कर हैं! ये फुल टाइम लेबर के लिए हैं! केन्द्र से प्राप्त ई-मेल की प्रति मिलने पर प्रमाण के संग लिखित रूप से ई-मेल प्रसार भारती के तात्कालिक सीईओ श्री शशि शिखर वेम्पत्ति जी को अवगत कराया गया और उक्त साज़िश का खुलासा करते हुए उसे निरस्त करने,केंद्रों में जमा आवेदनों को सीधा प्रसार-भारती मंगवाए जाने का निवेदन किया गया और जांच की प्रक्रिया से आकाशवाणी महानिदेशालय एवम केंद्रों को दूर रखने का भी आग्रह किया! लिखित शिकायत किये जाने के पश्चात जुलाई 2020 में प्रसार-भारती ने हेरफेर वाले परिपत्र को वापस लेकर पारदर्शिता के नाम पर आईएआरएस पोर्टल (IARS Portal) जारी करने का तथा पुनः दावों के साथ ऑनलाइन आवेदन जमा करने का आदेश जारी किया! आईएआरएस पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन भी दिसंबर 2020 तक जमा कर दिए गए! आईएआरएस पोर्टल पर आवेदनों की जांच पड़ताल के लिए प्रसार-भारती ने एक जांच कमिटी गठित की,जिसके प्रमुख बनाये गए थे श्री एस सी मिश्रा! नवंबर 2021 के अपने परिपत्र के अनुच्छेद-3 में पोर्टल पर जमा आवेदनों की संख्या 5962 बताई तथा अनुच्छेद-4 में जो उल्लेखित किया वो निम्न है-
As determined from captured data of application form on IARS Portal post preliminary screening based on data of joining (DOPT i. e. on or before 11/04/1996) filter,revealed 795 shortlisted applicants. A list of 379 applicants were obtained after further screening as per requirement of the regularisation scheme.

इस नियमितीकरण योजना के अंतर्गत जो चार पैरामीटर निर्धारित किये गए थे उस आधार पर 379 दावेदार योग्य पाए गए। इसके बाद भी आज तक इन 379 शॉर्टलिस्टेड उम्मीद्वारों को नियमित नही किया गया,उन्हें आज तक भी नियुक्तिपत्र नही दिए गए है और मामले को जानबूझकर अतिरंजित किया/लटकाया जा रहा है।

जबकि सच्चाई यह है कि आकाशवाणी महानिदेशालय नयी दिल्ली ने प्रसार-भारती लागु होने के पूर्व भी समान रूप से स्थित दिनांक 30-06-1992 को एक कम योग्य प्रारम्भ में नियुक्त किये गए केजुअल उद्घोषक मुहम्मद हसन मीर को एक वर्ष बाद ही दिनांक 29-04-1994 को स्थाई उद्घोषक ग्रेड-4 पद पर नियमित कर दिया। इतना ही नहीं श्री रमेश मरहट्टा केजुअल उद्घोषक को भी दिनांक 13/14-02-1991 को स्थाई उद्घोषक ग्रेड में ग्रेड-4 पद पर नियमित कर दिया गया! फिर डॉक्टर शबनम अशाई अप्रैल 1993 में प्रारंभिक रूप से केजुअल न्यूज़-रीडर के रूप में नियुक्त की गयीं थीं और प्रसार-भारती आने के बाद दिनांक 27-05-2003 को स्थाई उद्घोषक ग्रेड-4 के पद पर नियमित कर दी गयीं! डॉक्टर शबनम अशाई की अप्रैल 1993 से जुलाई 2001 तक लगभग तीन वर्ष के लम्बे अंतराल के बाद भी कुल बुकिंग की संख्या 237 दिन है यानि 8 वर्षों में 237 अर्थात एक वर्ष में 29 से 30 दिन की कुल बुकिंग थी,पता नहीं किस अति विशिष्ट या महत्वपूर्ण व्यक्ति की पैरवी का ये परिणाम था,ये समझ से परे है!
इतना ही नहीं,स्वर्गीय मुहम्मद शफी भट्ट(फ़रयाद)केजुअल स्टाफ की पुत्री सुश्री मारूफ-उल-निशा का अनुकम्पा के आधार पर स्थाई उद्घोषक ग्रेड-4 के पद पर दिनांक 04-09-2002 को नियमित कर दिया जाना आकाशवाणी महानिदेशालय एवं प्रसार-भारती की मिली भगत से पिक एंड चूज के अंतर्गत अपने चहेतों को नियमितीकरण का लाभ मुहैया कराने का जीवंत उदहारण है! इसी तरह समान रूप से नियुक्त कंचन कपूर व् अन्य को तथा पी रामेन्द्र को भी नियमित कर दिया गया,आकाशवाणी महानिदेशालय एवं प्रसार भारती द्वारा ऐसे कई उदहारण भरे पड़े हैं जिन्हें आकाशवाणी महानिदेशालय,प्रसार भारती की मिली भगत से नियमितीकरण का लाभ देती रही है,चाहे वीआईपी पैरवी पर हो या किसी अवैध तरीके से ही क्यों ना हो। ज्ञात हो कि आकाशवाणी में कुल स्वीकृत पदों की संख्या 26129 है जिसमें 10810 पद भरे हुए हैं तथा कुल 15319 पद आज भी रिक्त हैं!


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