वरिष्ठ पत्रकार ,लेखक, स्तंभकार और एक ट्रस्टेड फ्रेंड विवेक शुक्लजी की नयी किताब ” दिल्ली का पहला प्यार -कनाट प्लेस “,
वरिष्ठ पत्रकार ,लेखक, स्तंभकार और एक ट्रस्टेड फ्रेंड विवेक शुक्लजी की नयी किताब ” दिल्ली का पहला प्यार -कनाट प्लेस “, आज मुझे मिल गयी , कुछ दस दिन के इंतज़ार के बाद. बहुत खुशी हुई. विवेक शुक्ल जी को कौन नहीं जानता , उनकी कलम से लिखे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली लेख से भला कौन नहीं वाक़िफ़ होगा. उनका निरंतर लेखन , ख़ास तौर पर सोशल मीडिया की सक्रियता के बाद, सभी पाठकों का रोज़ाना मनोरंजन करते हैं. उनका ” दिल्ली दिल से ” रेगुलर नवभारत टाइम्स का कॉलम भी बेहद सूचनाप्रद और नित नयी अनटोल्ड स्टोरी से राजधानी के पाठकों को रूबरू कराता है . जहाँ तक मेरी सोच है -निरंतर लिखने वाले राजधानी और देश के सवालों और इतिहास पर जितना विवेक शुक्ल लिखते हैं शायद ही कोई लिखता होगा और जो महत्वपूर्ण सूचनाएं और दिलचस्प जानकारी वे इन लेखों में प्रेषित करते हैं सभी उन्हें हाथों हाथ लेते हैं और बेहद प्रसंशा करते हैं. विवेक शुक्ल जी साढ़े तीन दशकों से अंग्रेजी हिंदी में लिख पढ़ रहे हैं . वे कई मीडिया संस्थानों के महत्वपूर्ण ओहदे पर रहे. उनकी दिलचस्पी वाले विषय हैं : दक्षिणी एशिया , भारत का बंटवारा और व्यवसाय. उनकी लेखनी धाररदार हैं जिसका कोई जवाब नहीं. उन्हें दिल्ली के पेड़ों , परिंदों, लोगों , सड़कों , दीवारों , वगैरह को जानना और उनके बारे में लिखना दिली सुकून देता है. अब तक दिल्ली के अनेकों रंगों पर कम से कम ढाई हज़ार से ज्यादा लेख , फीचर और रिपोर्ट्स लिख चुके हैं. गाँधी जी के दिल्ली से संबंधों पर इनकी किताब : ” GANDHI’S DELHI : April 12 1915 – January 30, 1948 and Beyond 2019 में प्रकाशित हुई है. करीब एक दर्जन देशों की यात्रा कर चुके विवेक शुक्ल जी नवभारत टाइम्स बी बी सी , टाइम्स ऑफ इंडिया , हिंदुस्तान टाइम्स , इंडियन एक्सप्रेस थे हिन्दू में लगातार लिखते रहे.
मैं शुक्ल जी के प्रति इसलिए भी कृतज्ञ हूँ कि उन्होंने दिल्ली में रह रहे उत्तराखंड के निवासियों , त्योहारों संस्कृति , फिल्म्स , गढ़वाल हीरोज फुटबॉल क्लब खिलाडियों और शख्सियतों पर जितना लिखा है वह हमें निसंदेह स्तब्ध कर देता हैं. उनका आभार
मेरी उन्हें दिल की गहराईयों से शुभकामनायें .