लीजिए अतीत की सैर का आनंद , मिलिए मितेश्वर से,

बुरांस साहित्य एवं कला केन्द्र ने भारतीय धरोहर सभागार नोएडा में ‘हैंडल-पैंडल’ कहानी संग्रह पर परिचर्चा का आयोजन किया। मिलिए ‘मितेश्वर’ से,संभालिए साइकिल का हैंडल, लीजिए अतीत की सैर का ‘आनंद’ कार्यक्रम के तहत युवा लेखक मितेश्वर आनंद से उनके पाठक,लेखक, आलोचक और पत्रकार रूबरू हुए। वरिष्ठ पत्रकार सुषमा जुगरान ध्यानी ने हैंडल-पैंडल पुस्तक पर समीक्षात्मक वक्तव्य देते हुए है कि यह पुस्तक युवा लेखक द्वारा युवाओं की दिनचर्या और मनोविज्ञान की बेहतर बानगी है। साथ ही सुषमा जुगरान ने पुस्तक के शीर्षक में पैंडल शब्द की व्याकरण सम्मतता पर सवाल उठाते हुए कहा कि पैंडल शब्द की जगह पैडल शब्द ज्यादा सटीक है।
वरिष्ठ पत्रकार और सोशल एक्टिविस्ट चारु तिवारी ने हैंडल-पैंडल कहानी संग्रह पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मितेश्वर आनंद की इन छोटी-छोटी कहानियों के बड़े-बड़े मायने हैं। चारु दा ने उत्तराखंड में बिक्रीकर अधिकारी मितेश्वर आनंद को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उम्मीद है कि तमाम विभागीय व्यस्तताओं के बावजूद उनका लेखन और निखार के साथ निरंतर जारी रहेगा।

शिक्षिका और लेखिका बीना नयाल ने मितेश्वर आनंद की कहानी मद्दी का रावण पर बोलते हुए कहा कि मद्दी की तरह वो भी अपने बचपन में दहन के लिए रावण का पुतला बनाया करती थी। वहीं आज तक न्यूज़ चैनल के उत्तराखंड तक की एंकर सरिता तिवारी, साहित्य अकादमी में कार्यरत रेणुका पंचूरी,अंजना गौड़, लोकेश गैरोला, अमित चौहान ने हैंडल-पैंडल पुस्तक की कहानियों की विषय वस्तु पर अपने विचार व्यक्त किए।
भारतीय धरोहर के सभागार में उपस्थित लोगों से रूबरू होते हुए लेखक मितेश्वर आनंद ने कहा कि हैंडल-पैंडल की सभी कहानियां उनके और मित्रों के जीवन की आपबीती हैं। मितेश्वर ने कहा कि बेशक आलोचकों को हैंडल-पैंडल की कहानियों के भाषाई संस्कार साहित्यक मानक के ना हो लेकिन कहानियां सच्ची घटनाओं से उपजे विचारों की अभिव्यक्ति है।
मिलिए मितेश्वर से संभालिए साइकिल का हैडल, लीजिए अतीत की सैर का आनंद कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के पूर्व राज्यमंत्री ,समाजसेवी वीरेंद्र सेमवाल ने किया। कार्यक्रम का आयोजन बुरांस साहित्य एवं कला केन्द्र के अध्यक्ष प्रदीप कुमार वेदवाल ने किया। इस मौके पर अतुल देवरानी,चंद्रशेखर पोखरियाल, सिद्धार्थ नेगी,गोपाल नेगी, सत्येंद्र नेगी, सुभाष देवरानी, संतोष ध्यानी, हरपाल सिंह,शिवाकांत शर्मा आदि मौजूद थे। कार्यक्रम में मितेश्वर के साथ-साथ इस उनके स्कूल टाइम के मित्र मदन कांडपाल भी मौजूद थे। लेखक ने बताया कि मद्दी का रावण के पात्र मदन कांडपाल ही हैं।
कार्यक्रम का सफल संचालन वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार प्रदीप कुमार वेदवाल ने किया।

2 comments
Niharika Ghia

Interesting enough to get an idea.
This article is not meant for us living in Mumbai as our level of understanding Hindi language /literature in the purest form is rock bottom pathetic. Appreciate this one

Suwarn Rawat

‘हैंडल-पैंडल’ के ज़रिए अतीत का सैर कराने के लिए शुभकामनाएं

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