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India

मणिपुर दुर्घटना पर बवाल से शुरू हुआ संसद का मानसून सत्र


संसद का मानसून सत्र गुरुवार को मणिपुर में दो नगा महिलाओं को खुलेआम नग्न अवस्था में घुमाए जाने की शर्मनाक घटना पर हुए बवाल से शुरू हुआ।
इस मामले में सरकार विपक्ष के हमलों का सामना करने में नाकाम रही। नतीजतन, संसद के दोनों सदनों को बिना किसी कार्यवाही के दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अमानवीय कृत्य की घनघोर निंदा सदन के बाहर की जबकि विपक्ष की मांग थी की इस संवेदनशील मुद्दे पर संसद में एक सार्थक बहस हो और प्रधानमंत्री बयान दें।सरकार ने कहा कि वह बहस को तैयार है। पर यह नहीं बताया कि वे मणिपुर में हिंसा की घटनाओं को 83 दिन बीत जाने के बाद भी वहां क्यों नही गए।
संसद में आज के हालात को देखते हुए इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि मणिपुर की घटना आने वाले कई दिनों तक संसद की कार्यवाही का अहम हिस्सा बनी रहेगी।
संसद का मानसून सत्र खासा हंगामखेज रहने वाला है क्योंकि दोनों पक्षों ने अगले साल होने वाले लोक सभा चुनावों के लिए कमर कस ली है। जहां एक ओर सत्तारूढ़ एनडीए ने अपने गठबंधन के विस्तार की प्रक्रिया शुरू कर दी है वहीं विपक्ष ने भारतीय राष्ट्रीय विकासोन्मुख, समावेशी गठबंधन इंडिया नामक एक मोर्चा खड़ा करके सत्ताधारी गठबंधन को एक कड़ी चुनौती पेश की है।
इस बार टक्कर तगड़ी है क्योंकि अबके विपक्षी गठबंधन में शामिल दलों की ताकत सत्तारूढ़ गठबंधन से कहीं ज्यादा मजबूत है। एनडीए में 15 दल ऐसे हैं जिनका एक भी निर्वाचित प्रतिनिधि नही है।
मणिपुर के अलावा जो अन्य मुद्दे संसद के मानसून सत्र में विपक्ष द्वारा उठाए जाने हैं वे हैं ईडी और सीबीआई का गलत इस्तेमाल, दिल्ली अध्यादेश, बाढ़ की स्थिति, महंगाई, रेल सुरक्षा, बेरोजगारी, संघीय ढांचे पर हमला और भारत चीन सीमा पर तनाव।
इन सब मुद्दों पर एकजुट विपक्ष निश्चित तौर पर सरकार को घेरेगा खासतौर पर दिल्ली अध्यादेश को लेकर। इस मसले पर विपक्षी एकता सरकार को परेशानी में डाल सकती है क्योंकि राज्य सभा में उसके पास बहुमत नहीं है और वह उन दलों के भरोसे पर है जो विपक्षी गठजोड़ के दायरे से बाहर हैं जैसे बीएसपी, बीजू जनता दल, वाईएसआरसीसीपी, टीडीपी और जेडीएस।

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