बाघ से लड़ रही हैं पहाड़ की महिलाएँ
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शीशपाल गुसाईं
उत्तराखंड पहाड़ों में इन दोनों बाघ का आतंक है। पहाड़ की महिलाएं गुलदार से लड़ रही हैं। सेमा गांव की घास लेने के लिए खेत में गई श्रीमती गुड्डी देवी, श्री बालकराम नौटियाल की धर्मपत्नी पर गुलदार ने हमला कर दिया। इस हमले के दौरान इस महिला ने बहादुरी दिखाई और गुलदार को भागते हुए पड़ाव लिया। कुछ रोज पहले श्रीनगर क्षेत्र में भी बाघ ने दादी से पोते का हाथ छीन लिया था। जिससे पोते की मौत हो गई।
उत्तराखंड पहाड़ों में जंगली जानवरों का खतरा हमेशा से रहा है। बाघ और गुलदार इसमें से प्रमुख हैं। यह जानवर जंगलों में निवास करते हैं , और अब गाँव, बस्तियों में दस्तक दे रहे हैं।अक्सर अनुचित हमले की रिपोर्टें आती रहती हैं, जिससे लोगों के मन में डर और खोफ बढ़ जाता है। यह देशी बाघों के प्रजनन स्थलों और उपवनों को और अधिक खतरे में डालता है।
उत्तराखंड पहाड़ों में बाघ और गुलदार के आतंक से निपटने के लिए सरकारी स्तर पर कठोर कार्रवाई जरूरी है। पहाड़ी ग्रामीण जनता के सुरक्षा के लिए बेहतर सुरक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए। प्रशिक्षित वन निगर्षकों को महिलाओं और सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर आवश्यक जागरूकता फैलानी चाहिए ताकि उन्हें बाघ और गुलदार जैसे खतरनाक जानवरों के खिलाफ उचित तरीके से सुरक्षा प्राप्त कर सके। यह भी आवश्यक है कि लोगों को जंगली जानवरों के साथ हमारे प्राकृतिक परिवेश के बीच अनुसंधान करने के लिए ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
उत्तराखंड के बड़े वन अधिकारी इन हमलों में शोध करते हुए रुचिकर नहीं दिखाई दे रहे हैं, वह सिर्फ टाइगर रिजर्व में अध्ययन करते होंगे लेकिन पहाड़ के जंगलों में या उन बस्तियों में वह तबीयत से शोध करने गए, यह किसी को मालूम नहीं रहता।
18 वीं शताब्दी और 1947 तक अंग्रेज लोग उत्तराखंड में इन हरे भरे जंगलों के वजह से प्यार करते थे। लेकिन उन्होंने जंगलों को बढ़ावा देने के साथ-साथ खूब कटान करके राजस्व भी कमाया तथा बाघों के संरक्षण के लिए तमाम योजनाएं भी चलाई , जब अब हमारे पास जब सब कुछ है , आजादी भी है, दिमाग भी है, संसाधन भी है चांद पर जाने का रास्ता भी है तब हम अब ध्यान नहीं दे रहे हैं।
जगह-जगह वन संरक्षण संगठनों द्वारा योजनाएं चलाई जानी चाहिए जो जानवरों की संरक्षण, उनकी बढ़ती हुई संख्या का ध्यान रखने और तालाबों के लिए जल संसाधन का उपयोग करने में मदद करें। जंगली जानवरों की संरक्षा से निपटने के लिए सरकार, स्थानीय जनता और हिम्मतवाले व्यक्ति एकजुट होने की जरूरत है, ताकि हम सभी इस आपदा से लड़ सकें और एक सुरक्षित और हरित अभ्यारण्य तथा पहाड़ी क्षेत्र में जीवन जी सकें। फोटो सौजन्य श्रीमती सुनीता देवी ब्लॉक प्रमुख जाखणीधार ।
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