देवभूमि उत्तराखंड को भगवान ही बचाए
महेश चंद्र
उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग ने 6 मार्च, 2016 को जिला पंचायत विकास अधिकारी (वीपीडियो) की चयन परीक्षा संपन्न कराई, जिसकी जांच के लिए उत्तराखंड शासन ने कार्यालय ज्ञाप दिनांक 20 मई, 2016 द्वारा अपर मुख्य सचिव उत्तराखंड शासन की अध्यक्षता में दो अन्य सदस्यों सहित जांच समिति का गठन किया और जांच पूरी होने तक परीक्षा के परीक्षाफल को प्रेषित नहीं किए जाने का निर्णय लिया।
परीक्षा में चयनित कतिपय अभ्यर्थियों द्वारा माननीय उत्तराखंड उच्च न्यायालय में विभिन्न रिट याचिकाएं दायर की गई। माननीय उच्च न्यायालय ने समस्त रिट याचिकाओं को एकजाई करते हुए दिनांक 05.04.2017 को आदेश पारित किया कि जांच समिति उस दिन से चार हफ्ते के अंदर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
जांच समिति द्वारा दिनांक 6 जून, 2017 को जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराई गई। उत्तराखंड शासन ने जांच समिति की रिपोर्ट पर निर्णय लिया की दिनांक 06.03.2016 को संपन्न कराई गई परीक्षा को निरस्त किया जाए।
तदनुसार चयन आयोग ने 16 जून, 2017 को समस्त चयन प्रक्रिया को निरस्त कर दिया। सुनने में आया है कि उत्तराखंड शासन ने परीक्षा की अनियमितताओं पर कार्यवाही के भी आदेश किए थे लेकिन उन आदेशों पर क्या कार्रवाई की गई यह देखने में नहीं आया।
इस वर्ष एक बार फिर चयन आयोग की परीक्षा की गड़बड़ी पर बड़े सवाल उठे। उत्तराखंड शासन ने एसटीएफ को जांच सौंप दी। एसटीएफ ने नकल माफिया के अनेक अपराधियों को पकड़ा और अभी तक केवल चार लोगों को ही जमानत मिली है। इसी कड़ी में एसटीएफ ने 8 अक्टूबर, 2022 को वीपीडीओ भर्ती परीक्षा की जांच के संबंध में चयन आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष, सचिव एवं परीक्षा नियंत्रक को गिरफ्तार किया हैऔर जांच समिति की रिपोर्ट भी जांच में सामिल है।
कल दिनांक 12.10.22 को उत्तराखंड शासन ने श्री गणेश सिंह मर्तोलिया को चयन आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया है। उत्तराखंड शासन ने वीपीडीओ चयन परीक्षा, 2016 की जांच के लिए अपर मुख्य सचिव उत्तराखंड शासन की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय जांच समिति गठित की थी, जिसके दूसरे सदस्य श्री गणेश सिंह मर्तोलिया जी थे।
जब 2016 की परीक्षा की गड़बड़ी के कारण एसटीएफ ने तत्कालीन अध्यक्ष, सचिव एवं परीक्षा नियंत्रक को गिरफ्तार किया है और जब जांच समिति की रिपोर्ट भी एसटीएफ के जांच का विषय है, तब ऐसे समय में जांच समिति के एक सदस्य को चयन आयोग का अध्यक्ष बनाया जाना कहां तक उचित है? प्रायः ऐसे निर्णय जांच में बाधक होते हैं।
अतः इस विषय पर उत्तराखंड की प्रबुद्ध जनता को अवश्य चिंतन मनन करना चाहिए और उत्तराखंड बेरोजगार संघ को भी विचार करना चाहिए, जिससे सही सही जांच हो सके।
( ये लेखक महेश चंद्र के निजी विचार हैं , वे सेवानिवृत एडिशनल डायरेक्टर जनरल इंडियन फॉरेन ट्रेड रहे हौं )