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उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध गीतकार और गढ़वाली कुमाऊंनी के मर्मज्ञ विद्वान महेशानंद गौड़ “चंद्रा ” का गुरुवार को हल्द्वानी में निधन हो गया।

सबसे लोकप्रिय गढ़वाली लोकगीत "चल रूपा बुरांस कु फूल बणि जौला " लिखा था

UMAKANT LAKHERA

उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध गीतकार और गढ़वाली कुमाऊंनी के मर्मज्ञ विद्वान महेशानंद गौड़ “चंद्रा ” का गुरुवार को हल्द्वानी में निधन हो गया। वे 87 वर्ष के थे तथा कई माह से बीमार थे। उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार सुबह कोटद्वार में होगा। मूल रूप से गढ़वाल में जन्मे महेशानंद गौड़ ने 1960 दशक के मध्य में पर्वतीय क्षेत्र में सबसे लोकप्रिय गढ़वाली लोकगीत “चल रूपा बुरांस कु फूल बणि जौला ” लिखा था आज भी उत्तराखण्ड के प्राचीन लोकगीतों की दुनिया में इसकी धुन पुरानी पीढ़ी के लोगों की जुबान पर है। उनकी लिखी कुमाऊनी बैठकी (शास्त्रीय) होली सबको मुबारक होली* भी बहुत मशहूर है। केंद्र सरकार के प्रशिक्षक के तौर पर वे कई साल जीआईसी अल्मोड़ा और उत्तरकाशी में उनकी पोस्टिंग रही। उनकी बेटी, संगीत शिक्षिका और उत्तराखंडी लोक गायिका आरती उपाध्याय ने कुछ वर्ष पूर्व अपने पिता के द्वारा रचित गीत “चल रूपा…” का भी वीडियो एलबम बनाया जो यूट्यूब पर बहुत लोकप्रिय है। महेशानंद जी के दामाद जाने माने पत्रकार स लेखक हिन्दुस्तान टाइम्स समूह नई दिल्ली में समाचार संपादक रहे हैं।

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