उत्तराखंड आज २२ वर्ष का हो गया !
Amitabh Srivastav, Sr. Journalist
मैंने हिंदुस्तान टाइम्ज़ के प्रथम संवाददाता के रूप में सितम्बर १९९८ में देहरादून पोस्टिंग ली थी।राज्य बनते बनने में दो साल लग गए।
जब नवम्बर २००० में उत्तराखंड राज्य बना तो वहाँ के निवासियों विशेषकर युवाओं और महिलाओं के सरोकार,उनकी उम्मीदें मेरे भी सरोकार बन चुके थे।
मुझे याद है जब राज्य बनने के ६ महीने के बाद मेरा एक लेख छपा की राज्य बनने से सिर्फ़ फूलों (हारों) की बिक्री बढ़ी है तो मुख्य मन्त्री नित्यानंद स्वामी बहुत दुखी थे।
उन्होंने बड़ी मासूमियत से मुझसे कहा,”मैं आपको अपने सारे कार्यों की सूची भेज दूँगा” तो मैंने उनसे कहा था”वो सूची तो हर चौराहे पर लगी है।अपने कितने लोगों को रोज़गार दिया उसकी सूची भेजिए”।मेरे हिसाब से उस समय मुख्य मन्त्री की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए थी।
आज जब राज्य बने २२ साल पूरे हो चुकें हैं तो रोज़गार के साथ लोगों की अन्य अपेक्षाएँ अच्छी शिक्षा व्यवस्था, पलायन रोकने की कोशिश,और एक सार्थक क़ानून व्यवस्था जिसमें महिलाओं और बच्चों को अपने ही राज्य में कहीं भी कभी भी जाने आने में डर ना लगे भी जुड़ गए।
इन सब बातों को लेकर अगर एक बेबाक़ समीक्षा ना की जाए तो ये ना राज्य बनाने में संघर्षशील लोगों की क़ुर्बांनियों के साथ अन्याय होगा।
तो आज प्रस्तुत है २२ वर्षों की उत्तराखंड की यात्रा पर २२ ऐसे बिंदु जिनके बारे में राज्य के मौजूदा संचालकों को याद दिलाना ज़रूरी है।
तुम्हें याद हो कि ना याद हो-
१.आज नौ नवंबर है
२.आज से ठीक २२ साल पहले धूम-धड़ाके के साथ उत्तराखंड राज्य बना था
३.नया राज्य इसलिये बना था कि वो लखनऊ और
दिल्ली से अलग होगा
४.उत्तराखंड भाजपा और कोंग्रेस के समर्थन से बना था क्योंकि राज्य सभा में भाजपा के पास बहुमत नहीं था जबकि इसके लिए सबसे अधिक संघर्ष उत्तराखंड क्रांति दल ने किया था
५.राज्य बनने के शपथ समारोह के बाद ही स्टेज पर हंगामा और नारेबाज़ी हुई थी
६.वो हंगामा किसने किया था अब तक तो पता चल ही गया होगा।नहीं हुआ तो राज्य के सूचना विभाग के प्रमुख जो आइपीएस हैं आज से जाँच बैठा दें
७.राज्य बनने से सबसे दुखी उत्तराखंड क्रांति दल था जिनके एक नेता ने मुझसे कहा था ‘अब तो झंडा भी गया और चन्दा भी गया’
८.राज्य बनने के एक साल के अंदर ही भाजपा के आंतरिक कलह की वजह से नित्यानंद स्वामी को हटा कर कोश्यारी जी को मुख्य मन्त्री बना दिया गया
९.जिस दिन सत्ता परिवर्तन के लिये सर्किट हाउस में नित्यानंद स्वामी को हटाने की मीटिंग थी बाहर भाजपा समर्थक ठेकेदार नाच कर मिठाई बाँट रहे थे
१०.उत्तराखंड के पहले चुनाव में भाजपा हार गयी थी और कोंग्रेस सत्ता में आ गयी थी
११.इस चुनाव में दिवाकर भट्ट के हारने की ख़बर सुनते ही उनकी पत्नी ने आत्म-हत्या कर ली थी
१२.नये मुख्य मंत्री चुनाव जिताने वाले हरीश रावत की जगह नारायण दत्त तिवारी जी बने थे (नारायण नारायण)
१३.ये तिवारी जी वो थे जिन्होंने कहा था उत्तराखंड उनके मृत शरीर पर बनेगा
१४.बाद में तिवारी जी किसलिए मशहूर हुए सबको याद होगा अगर करोना से याददाश्त नहीं गयी है तो
१५.नए राज्य की राजधानी देहरादून बनी थी क्योंकि वही सबसे कम ख़र्चे में बन सकती थी
१६.लेकिन वो आजतक अस्थायी राजधानी है क्योंकि शोर ग़ैरसेन के लिए ज़्यादा होता है जहाँ कोई जाना नहीं चाहता
ये कहाँ आ गए हम
१७.२००० में देहरादून के स्कूलों की वजह से उत्तराखंड देश भर में अपनी स्कूलों की शिक्षा के लिए मशहूर था और
२०२२ में उत्तराखंड स्कूल की शिक्षा में देश के ३७ राज्यों में ३५वें पायदान पर पहुँच गया है
१८.जिस उत्तराखंड में २००० में क्राइम की ख़बर नहीं मिलती थी आज रोज़ एक नयी ख़बर बना रहा है जिसमें अंकिता भंडारी का नाम अभी अभी जुड़ा है
१९.इसके दोषियों को सज़ा देने की बजाय उनके घृणित कार्यों के लिए सामाजिक बदलावों को ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है
२०.उनके कृत्यों की वजह से उत्तराखंड के सारे रिज़ॉर्ट बन्द करने की तैयारी हो रही है जिससे राज्य की मुख्य आय के स्त्रोत पर्यटन को ज़बरदस्त चोट पहुँचती है
२१.हाँ एक चीज़ जो २२ वर्षों में नहीं बदली वो है उत्तराखंड में दुर्घटनाओं का सिलसिला जिससे राज्य के पर्यटन उद्योग की दुनिया भर में नेगेटिव छवि जाती है
२२.और अब आगे भविष्य क्या-शिक्षा,न्याय और युवाओं को रोज़गार देने के बजाय मौजूदा सरकार की प्राथमिकता है समान नागरिक संहिता लागू करना।सही पकड़े हैं!
Abhinandan 🙏🏼🌸🌅