अब “गुलदार” ही होंगे पहाड़ से पलायन का सबसे अहम कारण – अजय रावत अजय

■गुलदारों का बदलता मिज़ाज़, पहाड़ पर इंसानी बसर हुआ नासाज़■
●अब “गुलदार” ही होंगे पहाड़ से पलायन का सबसे अहम कारण●

अजय रावत अजय,पौड्डी गढ़वाल


सूचना है कि गढ़वाल जिले के मैठाणाघाट इलाके में एक तेन्दुआनुमा गुलदार किसी घर में घुस गया, हालांकि बताया जा रहा है कि इस गुलदार द्वारा शायद कोई विषाक्त पदार्थ निगल लिया गया था, नतीज़तन इसकी मौत भी हो गयी।
लेकिन इन हिंसक व बड़ी बिल्लियों का बेख़ौफ़ होकर दिन दहाड़े इंसानी बस्तियों में विचरण करने की घटनाएं अब आम हो गयी हैं। हम अपने आँखोंदेखी की बात करें तो हमने स्वयं दिन दहाड़े गुलदार द्वारा चलती ट्रैफिक वाली सड़क पर स्थित बस्ती में घुसकर मुर्गियों के शिकार की करीब आधी दर्जन वारदातों देखा है। यानी कि गुलदार की प्रवृत्ति शिकार के लिए ज्यादा मशक्कत करने के बजाय सॉफ्ट टारगेट पर हमला करने की होने लगी है। ज़ाहिर सी बात है सॉफ्ट टारगेट में पालतू पक्षियों जो अपेक्षाकृत अधिक ऊंचाई तक उड़ नहीं पाती हैं, के साथ इंसान के छोटे बच्चे व महिलाएं ही होती हैं।
वन विभाग के साथ वन्य जीव सम्बन्धी संस्थानों व उनके विशेषज्ञों को अब पहाड़ में गुलदारों की वास्तविक संख्या की गणना के साथ इन बिल्ली प्रजाति के हिंसक जीवों के बदलते मिजाज का अद्ध्यन करना होगा। अमूमन विशेषज्ञों का तर्क होता है कि जंगल में प्राकृतिक शिकार की कमी के चलते गुलदार इंसान या मवेशियों को टारगेट करते हैं लेकिन उन इलाकों में भी अब गुलदार इंसान या पालतू मवेशी व पक्षियों को भी निशाना बना रहे हैं जहां आसपास जंगलों में भरपूर शिकार मौजूद है।
यदि यही हालात रहे तो अभी तक पलायन के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क व बेरोजगारी को कारण बताया जाता था लेकिन भविष्य में पलायन का सबसे अहम कारण शायद गुलदार ही होंगे।

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