आयुष्य: जीवन, समाज और संवेदना का काव्यात्मक दस्तावेज
एम्स के प्रख्यात नेत्र चिकित्सक लिखते कविताएं भी

विवेक शुक्ला
नई दिल्ली- एम्स के डॉ राजेन्द्र प्रसाद आई सेंटर के पूर्व निदेशक डॉ. राजवर्धन आजाद के ताजा प्रबंध काव्य ‘आयुष्य’ का बीते दिनों राजधानी में एक गरिमामय कार्यक्रम में विमोचन हुआ। विमोचन के बाद इस पर गहन चर्चा हुई। इसमें पूर्व सांसद और कवि जनार्दन द्विवेदी, जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर वंदना झा, आत्मा राम सनातन धर्म कॉलेज के प्रधानाचार्य ज्ञानतोष प्रकाश झा, कवि और कथाकार सोनी पाण्डेय वगैरह ने अपने विचार रखे। सब वक्ताओं की राय थी कि – आयुष्य में कवि ने भारतीय समाज का महत्वपूर्ण दस्तावेज प्रस्तुत किया है। जिस समाज, संस्कृति, परिवार में जीवन यापन किया है। उस जीवन दर्शन को बहुत ही गहराई से ग्रहण कर सूक्ष्मता के साथ प्रस्तुत किया है।
डॉ. आजाद की संवेदना का आधार उनके शैशवकाल से लेकर वानप्रस्थ तक की जीवन स्मृतियाँ हैं जो कविता की बुनावट में जरूर फीकी पड़ी हों लेकिन भाव के स्तर पर गहरी और बहुत ही संवेदनशील हैं। जिन स्मृतियों को आज हमारा समाज भूलता जा रहा है। हम आज के दौर में देख रहें हैं कि लोग डिप्रेशन में हैं,दुखी हैं,अकेलापन उनको सता रहा है,क्यों?क्योंकि वो लोग अपने जीवन को,अपने परिवार की छोटी छोटी स्मृतियों को भूल गए हैं,छोटी छोटी खुशियों को,अपनी गौरवशाली परम्परा को,संस्कृति को,अपने आदर्श को,धर्म को,कर्म को, अध्यात्म को,सात्विक जिजीविषा को कवि अपनी ठेठ अभिधात्मक कविता ‘आयुष्य’ के माध्यम से जगाने की कोशिश कर रहा है।
डॉ जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि आयुष्य एक अनूठा प्रबंध काव्य है जो जन्म से मृत्यु तक मानव जीवन के सभी आयामों और ब्रह्मांड की रचना का चित्रण करता है। आयुष्य पर अपना वक्तव्य देते हुए डॉ. राजवर्धन आज़ाद ने कहा कि साहित्य ऐसा होना चाहिए जिसमें सबका हित हो और विज्ञान व अन्य विधाओं का संगम हो।
डॉ आजाद नेत्र रोग विशेषज्ञ के रूप में संसार भर में विख्यात हैं। वे जटिल रेटीना का इलाज करने में सारी दुनिया में जाने जाते हैं। उन्होंने रेटीना के 30 हजार से अधिक ऑपरेशन किए हैं। साहित्य में भी उनकी गहरी रुचि रही है। जहां आपरेशनों द्वारा उन्होंने लाखों लोगों को दृष्टि प्रदान की, देखने की शक्ति दी, वहीं स्वयं उनकी अपनी गहन दृष्टि समाज को, सामाजिक-राजनीतिक गतिविधियों को बहुत गहराई से देखकर, महसूस कर, उसे कविता में ढालने में सक्षम रही। सार्थक सामाजिक बदलाव के प्रति आस्था की अभिव्यक्ति है उनकी कविताओं में।
अपने समय और समाज के द्वंदों को गहराई से विश्लेषित करना और मनुष्य विरोधी गतिविधियों के प्रतिरोध में खड़ा होना कवि का धर्म होता है। किसी भी कवि की संवेदना मनुष्य के पक्ष में होती है। कवि मानवीय मूल्यों को बचाये रखने में विश्वास रखता है। डॉ. आजाद की कवितायें यथास्थिति में बदलाव लाने और एक स्वस्थ , सुखी, सुसंस्कृत समाज बनाने की बात करती हैं।
डॉ. आजाद की कवितायें अपने देश काल की स्थिति को जानने-समझने का प्रयास करती हैं। कवि अपने समय की धड़कनों से रूबरू होता है, उसे सुनता है, समझता है और अपनी कविता में अभिव्यक्त करता है। उसकी कविता निजी अनुभव से बनी आम आदमी और रोजमर्रा के जीवन की कविता है। कवि अपनी संवेदना, कलात्मकता और विचारधारा को अपनी कविताओं में बचाये रखता है।
आयुष्य में अधिकांश कविताएं छोटी हैं, पर समय के यथार्थ का ताप इनमें है। ये छोटी कविताएं मिलकर एक वृहद् जीवन को प्रतिबिंबित करती हैं। कवि प्रतीकों और बिम्बों की आड़ में वक्तव्य नहीं देता, अपितु सीधे स्पष्ट शब्दों में अपनी बात कहता है। कविता का जटिल और आडम्बरपूर्ण भाषा में होना जरूरी नहीं, अपितु उसका सहज, सरल और प्रभावशाली होना जरूरी है। कवि ने बड़े सधे हुये शब्दों में अपनी बात को गम्भीरता से कविता में उकेरा है। ये कवितायें अपनी सहज संवेदना और सरल शिल्प के कारण प्रभावित करती हैं।
डॉ. आजाद अपनी कविताओं के द्वारा राजनीतिक उठा-पटक और सियासत की गंदी चालों पर उंगली रखते हैं। व्यवस्था के छलावों को समझ, छद्म चेहरों को बेनकाब करने की कोशिश करते हैं। वे सत्ता में व्याप्त भ्रष्टाचार, अन्याय, अत्याचार, बीहड़़ताओं में फंसे साधारण मनुष्य की जड़ताओं को उदघाटित करने का जोखिम उठाते हैं। वे बेहद ऊबड़ खाबड़ और खुरदरी जमीन से कविता लाते हैं, जहां से प्रतिरोध के स्वर उभरते हैं, पर प्रतिरोध उनकी कविता में कोलाहल बन कर नहीं आता, न अनावश्यक आक्रोश, न नारेबाजी। वे बड़ी सहजता से अपना विरोध दर्ज कर देते हैं।
डॉ. आज़ाद की साहित्यिक यात्रा हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में फैली है। उनकी प्रमुख साहित्यिक कृतियाँ है- * सोने का हाथ: एक नेत्र चिकित्सक के अनुभवों पर आधारित कहानी संग्रह। नीम का शहद: समकालीन समाज, व्यक्ति और शासन की मजबूरियों को दर्शाने वाला कविता संग्रह। आरम्भ: नयी पुरानी कविताओं का संकलन। अगर बात अंग्रेजी साहित्य की करें तो * Poems on Board। हवाई यात्रा के दौरान लिखी गई ज़मीनी कविताओं का संग्रह।
* Golden Hand: हिंदी कृति “सोने का हाथ” का अंग्रेजी अनुवाद।
कुल मिलाकर, डॉ. राजवर्धन आज़ाद एक बहुमुखी लेखक हैं जिनकी रचनाएँ विभिन्न शैलियों और भाषाओं में हिंदी व अंग्रेजी दोनों साहित्यिक परिदृश्यों को समृद्ध कर रही हैं।