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Defence

TRUBUTES TO COL. KHERA. उन्हें सेल्यूट

अतनु दास, वरिष्ठ पत्रकार , पूर्व पीटीआई
नई दिल्ली , 27 जनवरी, मेरे प्यारे एवं प्रियतम दोस्त कर्नल खेड़ा अब इस दुनिया में नहीं रहे I देश की ओर से उन्हें सेल्यूटI
महान आर्मी पीआर हस्ती और एडीएनआई के संपादक पीएन खेड़ा का निधन
17 साल तक पीआरओ आर्मी और फिर पीआर निदेशक आर्मी, नेवी और एयर फोर्स से रूप में मशहूर रहे, एक बड़ी आर्मी पीआर हस्ती कर्नल प्रेम नाथ खेड़ा का 85 वर्ष की आयु में 25 जनवरी 2024 को हृदयाघात से इस दुनिया को अलविदा कह गये। सेनाओं में भी वे एक हस्ती थे और मनोवैज्ञानिक ऑपरेशन में वे एक नामचीन नाम थे। उन्होंने ‘डिफेंस डॉक्यूमेंट्रीस’ के लिए कई पुरस्कार प्राप्त किये और रक्षा विश्लेषणों की उनकी विशेषज्ञता के लिए उनकी समाचार पत्रों तथा पत्रिकाओं में जबरदस्त मांग थी।
कर्नल खेड़ा ने 30 वर्षो तक भारतीय सेना में अविस्मर्णीय सेवा की, जिसमें से 17 साल तक वे जन संपर्क निदेशालय में रहे। सेवा की शुरूआत उन्होंने सेना शिक्षा कोर (AEC) से की और उन्होंने 1965 तथा 1971 के युद्धों में सक्रिय भाग लिया। 1976 में वे भारतीय सूचना सेवा के लिए भारतीय सेना के मेजर चुने गये। इस कार्यकाल के दौरान, उन्होंने जनरल ओपी मल्होत्रा, जनरल कृष्णा राव, जनरल एएस वैद्य, जनरल के सुन्दरजी, जनरल वीएन शर्मा और जनरल एसएफ रॉड्रिक्स सहित कई सेनाध्यक्षों के साथ काम किया। 1982 में, उन्हें विशिष्ट सेवाओं के लिए विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया गया और तत्कालीन राष्ट्रध्यक्षों ज्ञानी जैल सिंह द्वारा उन्हें आर्मी चीफ का कंमेंडेशन कार्ड प्रदान किया गया। उन्होंने पंजाब, चंडीगढ़ से M.Sc. और भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) जवाहर लाल नेहरू यूनिसर्सिटी से जन संचार में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की।
पहले वह जन संपर्क निदेशालय, रक्षा मंत्रालय में पीआरओ आर्मी के रूप में तैनात हुये। उन्होंने सशस्त्र सेनाओं की सही तस्वीर प्रस्तुत करने का दायित्व सौंपा गया था और उन्होंने दुश्मनों के विपरीत प्रोपागंडा की काट के लिए मल्टी अभियान चलाये। उन्होंने सीमा पार से चलाये जा रहे दुष्प्रचार से सैनिकों को बचाने के लिए कई सूचना अभियान चलाये। 1992 में उन्होंने स्वैच्छिक अवकाश ले लिया और उन्होंने पीटीआई टीवी चीफ एक्जीक्यूटिव का पदभार संभाला, इसके बाद 1997 में उन्होंने अपना प्रोडक्शन हाउस और रक्षा समाचार एजेंसी शुरू की। उन्होंने तीन सीरियल बनाये – जर्नी टू सक्सेस (10 एपीसोड), एशिया डिफेंस (6 एपीसोड) और तैनात (17 एपीसोड)। दूरदर्शन से प्रसारित इन सीरियल में सशस्त्र सेनाओं और राष्ट्रीय सुरक्षा के अभिन्न पहलुओं को रेखांकित किया गया। उनकी एशिया डिफेंस न्यूज इंटरनेशनल (ADNI) एशिया की सबसे बड़ी रक्षा समाचार एजेंसी बन गई, जिसके रक्षा समाचारों से इस्तेमाल देश विदेश की 130 से अधिक समाचार पत्रों और पत्रिकाओं ने किया।
।क्छप् ने एक मासिक पत्रिका एशिया डिफेंस न्यूज भी प्रकाशित की, जिसमें विशेष लेख और सीनियर रक्षा सेना कर्मियों के इंटरव्यू को शामिल किया जाता रहा तथा इसमें भारत की रक्षा तैयारियों के बारे में विश्लेषणों को भी स्थान दिया जाता रहा। इन्हीं मुद्दों पर डॉक्यूमेंट्रीस में आर्मी इज इट एनीवे? आर ह्यूमन राइट फार टेरीरिस्ट ओनली? कश्मीर टुडे, ए न्यू डान? द इंडोमीटेबिल और पिलर ऑफ पीस शामिल हैं।
अपनी समाचार एजेंसी के साथ साथ कर्नल खेड़ा ने हिन्दुस्तान टाइम्स, इंडियन एक्सप्रेस, टाइम्स ऑफ इंडिया, दैनिक जागरण, अमर उजाला, पंजाब केसरी, वीर अर्जुन आदि सहित सु-स्थापित समाचारपत्रों के लिए पैने विश्लेषक रक्षा संपादकीय भी लिखे। अंतराष्ट्रीय विवादों के आलोक में रक्षा स्थिति के बारे में उनके आकलन के लिए पत्रिकाओं और समाचारपत्रों के पत्रकारों द्वारा उनके नियमित इंटरव्यू लिए जाते रहे। भारतीय सेना की ‘योग्यताओं’ को नाजुक संदर्भ में रखने वाले अमरीकी पैसिफिक कमांड की अत्यंत गोपनीय और संवेदनशील रिपोर्ट के बारे में उनकी मशहूर टिप्पणी इस प्रकार थी – ‘भारतीय सेना राजस्थान में 50 डिग्री से अधिक और सियाचिन में शून्य से 50 डिग्री नीचे काम करती है। ये नार्थईस्ट में दलदली और पर्वतीय इलाकों में काम करती है। इनके ऑफिसर की हताहत दर दुनिया में सबसे अधिक है। ये एक अराजनैतिक और अनुशासित सेना है। यूएन मिशन्स में इसकी सेवाओं उत्कृष्ट रही है, जिनकी गवाही अनेक विक्टोरिया और किंग क्रासेस देते हैं। जहां तक अधिक प्रोटोकाल पालन करने की बात है, इसमें कोई बुराई नहीं है, क्योंकि हम भारतीय किसी के पिछलग्गू नहीं हैं, और हम बराबरी में विश्वास करते हैं’।
कर्नल खेड़ा ने एडीएनआई का 77 वर्ष की आयु तक संचालन किया, जिसके बाद उन्होंने यात्राओं का आनंद लिया। नवम्बर 2020 में महामारी के दौरान अपनी पत्नी को खो देने के बाद, उनकी सेहत ढीली रहने लगी थी। फिर भी 22 जनवरी 2024 तक, वे सक्रिय थे, लेकिन अचानक दिल का दौरा पड़ने पर उन्हें दोपहर साढ़े तीन बजे आर्मी रिसर्च एंड रेफरल हास्पीटल में भर्ती कराया गया। 25 जनवरी को रात नींद में ही उन्होंने अंतिम सांस ली। उन्हें प्यार से सीनियर रक्षा साथी ‘मूंछोंवाला खेड़ा’ कहा करते थे।

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