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देवभूमि उत्तराखंड भारत का प्राणतत्व तो हिमालय विश्व का प्रेरक – डॉ. हरीश रौतेला

अपनी धरोहर न्यास द्वारा उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में द्विदिवसीय धरोहर संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। देहरादून के सर्वे चौक स्थित आईआरडीटी सभागार में धरोहर संवाद
के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह क्षेत्र प्रचारक प्रमुख डॉ.हरीश रौतेला थे,जिन्होंने पहाड़ के हरेला पर्व को वैश्विक बनाने के ठोस प्रयास किए हैं। डॉ. हरीश रौतेला ने कहा कि भारत में उत्तराखंड की भूमिका प्राणतत्व सदृश है और लगभग 2600 किमी.क्षेत्र में फैले हिमालय से निकलने वाली गंगा,यमुना,सरस्वती और सिंधु सभ्यता के उद्गम होने के कारण सम्पूर्ण विश्व के लिए सकारात्मक ऊर्जा के प्रेरणा स्रोत हैं। उत्तराखंड की लोक संस्कृति और बोली भाषाएं भी हमारी धरोहर हैं। हमारी परंपराएँ,मेले,त्यौहार और लोक संस्कृति तभी जीवंत रहेंगे जब इनसे जुड़े लोग रोजगार प्राप्त कर आत्मनिर्भर होंगे और हम अपने गीत संगीत,परिधान और बोली भाषा को भी नई पीढ़ी के अनुकूल परिष्कृत और परिमार्जित करेंगे।
धरोहर संवाद के प्रथम दिवस देहरादून के बीजापुर गेस्ट हाउस में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि देवभूमि के पर्व और त्यौहारों तथा बोली भाषाओं को राष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित करने की आवश्यकता है और यह हर्ष की बात है कि कुछ संस्थाएं दशकों से इन अभियानों को बिना सरकारों और उद्योगपतियों के सहयोग के भी आगे बढ़ा रही हैं।
विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचार प्रमुख श्री संजय कुमार ने कहा कि पहाड़ की लोक संस्कृति,पर्यावरण जागरूकता और नवोन्मेष से युवाशक्ति को जोड़कर ही हमारी धरोहर सुरक्षित रह सकेगी। द्विदिवसीय धरोहर संवाद में माणा से आई महिला टोली ने श्रीमती राखी रावत के नेतृत्व में माँ नंदा देवी और श्री बद्रीनाथ भगवान को समर्पित लोकगीत प्रस्तुत किए तो पौड़ी और टिहरी से आई बहनों ने मांगल गीत प्रस्तुत किए।
अपनी धरोहर न्यास के अध्यक्ष श्री विजय भट्ट ने कहा कि उत्तराखंड का भूगोल और संस्कृति हिमालय की भाँति अनूठे हैं। इस विशिष्टता को आज की पीढ़ी तक पहुंचाकर अपनी धरोहर न्यास गौरव का भाव जागृत करेगी। देवभूमि की संस्कृति,विरासत और प्रगति को एकीकृत कर अपनी धरोहर उत्तराखंड राज्य को शीर्ष पर स्थापित करने हेतु संकल्पित है।
अपनी धरोहर संवाद के समन्वयक प्रो.सूर्य प्रकाश सेमवाल ने कहा कि कोरोना के समय स्थापित अपनी धरोहर न्यास ने चार वर्ष की छोटी अवधि में हिमालय,गंगा,उत्तराखंड और प्रवासी समाज के निमित्त प्रभावी संवाद आयोजित किए हैं,जिनके सुपरिणाम प्राप्त हो रहे हैं ।डॉ.हरीश रौतेला जी की पहल और प्रेरणा से संचालित मेरा गाँव मेरा तीर्थ,उत्तरायणी और हरेला अभियान अपनी धरोहर के माध्यम से नए रूप में गतिमान हो रहे हैं।
दो दिन के धरोहर संवाद में सुप्रसिद्ध विश्लेषक श्री अनूप नौटियाल ने जहां उत्तराखंड की सामाजिक,आर्थिक और कुछ महानगरों में जनसंख्या के बढ़ते दबाव पर प्रभावी प्रेजेंटेशन दी, वहीं मैती आंदोलन के संचालक पद्मश्री कल्याण सिंह रावत ने पर्यावरण जागरूकता के साथ ग्लेशियरों और बुग्यालों को बचाने का संदेश दिया। कार्यक्रम में उत्तराखंड भाषा संस्थान की पूर्व निदेशक और पूर्व कुलपति प्रो.सविता मोहन,लेखक हेमचंद्र सकलानी,हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय की हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो.गुड्डी बिष्ट और बागेश्वर की पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती सुनीता टम्टा ने भी अपने विचार रखे।
अपनी धरोहर न्यास के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों की भी इस अवसर पर घोषणा की गई। अध्यक्ष श्री विजय भट्ट,संरक्षक प्रो. दाताराम पुरोहित और श्री हेमन्त बिष्ट,प्रवासी प्रमुख प्रो.सूर्य प्रकाश सेमवाल,उपाध्यक्ष डॉ.श्याम सिंह कार्की,श्री कुन्दन सिंह टकोला,श्री एन.बी. गुणवंत,महामंत्री श्री दिनेश बम,श्री कमल किशोर डिमरी,श्री भुवन कांडपाल,सचिव श्री सतीश पांडे,मंत्री डॉ.नवीन पंत,श्री संजय मठपाल और डॉ. किशोर कुमार पंत, कोषाध्यक्ष श्री कृष्ण चंद्र बेलवाल,प्रचार प्रमुख डॉ. सूरज परमार,सह-प्रचार प्रमुख
श्री हर्षित हरबोला और
श्री ओ.पी.गौड़,
महिला समिति संरक्षक प्रो. गुड्डी बिष्ट,प्रदेश संयोजिका : श्रीमती सुनीता जोशी और
सह-संयोजिका श्रीमती शांति जीना,श्रीमती राखी रावत और श्रीमती सुनीता परमार,
गढ़वाल संयोजिका श्रीमती नीलम जुयाल ध्यानी प्रमुख हैं।
संस्था द्वारा भविष्य में श्री गोल्ज्यू संदेश यात्रा,व्यापारी सम्मेलन,
उत्तराखंड धार्मिक कार्यक्रमों पर सम्मेलन,सीमांत सम्मेलन और महिला सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। द्विदिवसीय धरोहर संवाद का संचालन डॉ.नवीन पंत एवं पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष अंशुल चावला ने किया।

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