Uttrakhand

कई शिकार करने के बाद एक नरभक्षी ने फिर से पौड़ी गढ़वाल के कोटद्वार के श्रीकोट गांव में एक चार साल की बच्ची को अपना आसान शिकार बनाया।

नरभक्षी तेंदुओं का आतंक कम होने का नाम नहीं ले रहा, बल्कि दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है।

पौड़ी गढ़वाल के कोटी गाँव में एक नरभक्षी ने एक महिला को मार डाला, वहीं डंडरियाल गाँव में घास काटने गई एक 41 वर्षीय महिला गर्दन और कंधे में गंभीर रूप से घायल हो गई, जिसे कोटद्वार अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस घटना के बाद स्थानीय निवासियों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने कल श्रीनगर में यातायात भी बाधित कर दिया।

परिणामस्वरूप वन एवं वन्य जीव विभाग ने डंडरियाल गाँव में लोहे का पिंजरा लगाकर नरभक्षी को आज पकड़ लिया।

मानो यही काफी नहीं था, कल शाम पौड़ी गढ़वाल जिले के कोटद्वार के पास श्रीकोट गाँव में एक चार साल की बच्ची नरभक्षी का शिकार बन गई, जब उसे नरभक्षी तेंदुए ने पकड़ लिया और पास के जंगल में घसीटकर ले गया और बेरहमी से मार डाला। इस घटना से हर तरफ हड़कंप मच गया।

रात के 8:00 बजे थे। चार साल की बच्ची घर के अहाते में खेल रही थी, तभी मानव मांस की तलाश में एक नरभक्षी तेंदुआ उस पर झपटा, उसकी गर्दन पकड़ी और उसे घसीटकर जंगल में ले गया, जहाँ से वह फिर कभी वापस नहीं लौटा।

ग्रामीणों के अनुसार, जो बुरी तरह घबराए हुए थे, वे पास के जंगल में गए और उन्होंने बच्ची का क्षत-विक्षत शव देखा, जिससे चारों ओर दहशत और भय का माहौल फैल गया।

खबर मिलते ही वन विभाग के वन्य जीव विभाग के वन अधिकारी श्री नक्षत्र शाह अपने अन्य अधीनस्थों के साथ घटनास्थल पर पहुँचे और नरभक्षी को जल्द से जल्द पकड़ने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।

वन विभाग ने पिंजरा लगाने और नरभक्षी को पकड़ने का आश्वासन दिया है।

मात्र चार साल की बच्ची की इस जानलेवा और चौंकाने वाली मौत ने बढ़ते मानव-वन्य जीव संघर्ष पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चंपावत, टिहरी गढ़वाल, अल्मोड़ा, नैनीताल और पिथौरागढ़ जिले इन दिनों बड़ी संख्या में नरभक्षी जानवरों के आतंक से बुरी तरह प्रभावित हैं, जो मानव अस्तित्व के लिए सीधा खतरा बन रहे हैं।

नरभक्षी और यहाँ तक कि जंगली भालू भी मानव बस्तियों के आसपास खुलेआम घूम रहे हैं और बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों पर हमला कर रहे हैं। गढ़वाल और कुमाऊँ मंडल में यह एक तरह की आपात स्थिति है, जहाँ सरकार मूकदर्शक बनी हुई है।

इस बीच, असगोली गाँव के स्वर्गीय खड़क सिंह अधिकारी के पुत्र रमेश अधिकारी पर आज शाम लगभग पाँच बजे तेंदुए ने हमला कर दिया। उन्हें एम्बुलेंस से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, गोचर अस्पताल ले जाया गया।

Maneater leopard captured in iron cage by the forest department at Dandriyal village in Pokhra, Pauri Garhwal

62 year old women of Dobhal Dandri village grievously injured by a maneater leopard. People badly enraged. Jammed traffic in Srinagar in protest

After several kills a maneater again makes a four year old girl its easy prey in Shrikot village, Kotdwar, Pauri Garhwal

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2 Comments

  1. *पहाड़ी गांवों में मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने की योजना*

    *स्थान:* विरल आबादी वाले पहाड़ी गांव, जिनमें सिंचाई की सुविधा नहीं है और जमीन मध्यम से अनियमित है और विभिन्न ऊंचाइयों पर स्थित है।

    *मुख्य रणनीतियाँ:*

    1. *वन सीमांकन और बाड़ लगाना:* गांवों और जंगलों के बीच बाड़ लगाकर वन्यजीवों को अलग करना।
    2. *वनस्पति और जल स्रोतों का विकास:* जंगलों में फलदार पेड़ों की संख्या बढ़ाना और जल स्रोतों का निर्माण करना।
    3. *वन्यजीव प्रबंधन:* जंगलों में शाकाहारी जानवरों को प्रबंधित करना ताकि मांसाहारी जानवर जंगल में ही रहें।
    4. *कांटेदार तार की बाड़:* जंगल के बाहरी हिस्से में कांटेदार तार की बाड़ लगाना ताकि वन्यजीव गांवों में न आ सकें।

    *कार्यान्वयन:*

    1. *समुदाय की भागीदारी:* स्थानीय समुदाय को योजना बनाने, कार्यान्वयन और निगरानी में शामिल करना।
    2. *वन विभाग के साथ सहयोग:* वन विभाग के साथ मिलकर बाड़ लगाने और वन्यजीव प्रबंधन की रणनीतियों को लागू करना।
    3. *टिकाऊ आजीविका:* स्थानीय समुदायों के लिए इको-टूरिज्म और टिकाऊ आजीविका के अवसरों को बढ़ावा देना।

    *लाभ:*

    1. मानव-वन्यजीव संघर्ष में कमी
    2. गांव की जमीन और पशुओं की सुरक्षा
    3. जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं में वृद्धि
    4. स्थानीय समुदायों के लिए टिकाऊ आजीविका के अवसर

    इस योजना को विशिष्ट गांव की जरूरतों के अनुसार तैयार किया जा सकता है और चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा सकता है, जिससे पहाड़ी गांवों में मानव-वन्यजीव संघर्ष को प्रभावी ढंग से कम किया जा सकता है।

    उत्तराखंड मुख्यमंत्री जी से साग्रह निवेदन है कि‌ इस विषय पर विषेश प्रभावी आदेश पारित करें‌ तथा प्नगति और प्रंरभाव को निरंतर मानिटर करें। इन घटनाओं/दुर्घटनाओं से मतदाताओं का मनोबल नितप्रतिदिन दुर्बल हो रहा है। यदि सरकार मानवों की वन्य जीवों पर वरीयता समझते हैं तो प्रत्येक काम के ऊपर इस कार्य को प्राथमिकता दें। वरना मुझे डर है कि मतदाताओं का सरकार पर इस असुरक्षित वातावरण में भरोसा न डगमगाए जाये।

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