CrimeCrimes

7वें दिन भी दलित अफसर का न पोस्ट मार्टम हुआ, न अंतिम संस्कार

7वें दिन भी दलित अफसर का न पोस्ट मार्टम हुआ, न अंतिम संस्कार
★ दलित संगठनों ने महापंचायत करके आरोपी, डीजीपी और एसपी की गिरफ्तारी न होने पर चंडीगढ़ शहर का कचरा न उठाने का फरमान जारी किया,
★ राज्य सरकार शोकमग्न परिवार का भरोसा जीत नहीं पाई
★ स्युसाइड नोट में लिखे आइपीएस अफसरों के नाम एफआइआर में आरोपियों वाले कॉलम में नहीं हैं

हरियाणा के दिवंगत IPS अफसर वाइ. पूरन कुमार की कथित खुदकुशी के आज सातवें दिन राज्य सरकार और शोकमग्न परिवार के बीच तनाव गहरा गया है। पीड़ित परिवार ने दिवंगत अधिकारी का लैपटॉप चंडीगढ़ पुलिस को जाँच के लिए देने से इनकार करने के अलावा उनकी IAS अधिकारी पत्नी अमनीत पी. कुमार ने भाजपा के किसी भी मंत्री से मिलने से इनकार कर दिया।

देश के इतिहास में शायद पहली बार ऐसा हुआ है जब एक दलित आइपीएस का शव एक हफ्ते से अस्पताल के मुर्दा घर में रखा है।

लाश का अभी तक न तो पोस्टमार्टम हो सका है और न ही उसका अंतिम संस्कार हो सका है। इस वजह से गतिरोध और बढ़ गया है। दुखी परिवार मामले में दर्ज FIR में नामजद वरिष्ठ अधिकारियों की गिरफ्तारी की माँग पर अड़ा है।

सोचिए कि एक दलित अफसर के मामले में सरकार किस तरह से आरोपियों को बचाने के लिए एक हफ्ते से उसके अंतिम संस्कार के रास्ते में रोड़ा बनी हुई है।

अब चंडीगढ़ के रविदास मंदिर में दलितों के 36 संगठनों ने महापंचायत करके आरोपी, डीजीपी और एसपी की गिरफ्तारी न होने पर पूरे चंडीगढ़ शहर का कचरा न उठाने का फरमान जारी कर दिया है। संगठनों ने साफ कहा है कि जब तक गिरफ्तारी नहीं होगी तब तक पोस्टमार्टम नहीं होगा। अगर चंडीगढ़ पुलिस आरोपी अधिकारियों को गिरफ्तार नहीं करेगी तो आंदोलन को उग्र किया जाएगा। पूरे देश में इसको लेकर जाया जाएगा। बावजूद इसके हरियाणा सरकार इंसाफ के नाम पर अपना मुँह सिले बैठी है।

इस देश में दलितों को इंसाफ दिलाने की जिम्मेदारी बहुसंख्यक सवर्ण समाज की है क्योंकि उनकी तथाकथित जातीय श्रेष्ठता और दलितों के प्रति घृणा की वजह से एक आइपीएस को देश का सिस्टम जीने लायक नहीं छोड़ता और मरने के बाद भी उसके साथ इंसाफ नहीं करता।

पूरन कुमार के परिवार को सरकार पर भरोसा नहीं है, होगा भी तो कैसे? क्योंकि एफआइआर तक दुरुस्त नहीं लिखी गई। अमनीत पी. कुमार ने साफ कहा है कि उनके पति के विस्तृत स्युसाइड नोट में जिन आइपीएस अफसरों के नाम हैं उनके नाम आरोपियों के कॉलम में क्यों नहीं हैं?

क्या ऐसी स्थिति में पीड़ित परिवार को अदालत से न्याय मिल सकेगा?

सोचिए एक दलित के लिए इंसाफ मिलना कितना कठिन होता है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, सोनिया गाँधी, केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले, पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला समेत कई सांसदों और पार्टियों ने कहा इंसाफ दो लेकिन हरियाणा सरकार अड़ी हुई है।

सरकार पूरी ताकत लगा कर किसी भी तरह से वाइ. पूर्ण कुमार के परिवार को पोस्टमार्टम और अंतिम संस्कार के लिए राजी हो जाए लेकिन वह इंसाफ के लिए न कहे।

आखिर हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर ने भाज पार्टी की ऐसी कौन सी कमजोर नस दबा रखी है कि इतने संगीन आरोपों के बावजूद उन्हें बचाने की कोशिश की जा रही है? क्या इसलिए कि वे हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के करीबी हैं और मनोहर लाल खट्टर करीबी हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के?

पूरन कुमार सिकंदराबाद (तेलंगाना) के रहने वाले थे। परिवार के सारे लोग पढ़े-लिखे और प्रभावशाली पदों पर हैं। यानी दो-तीन पीढ़ियों से उनका परिवार साधन संपन्न और उच्च शिक्षै है। परिवार के लोग बड़े पदों पर कार्यरत हैं लेकिन दो-तीन पीढ़ी के बाद भी वह जाति के जहर से पीछा नहीं छुड़ा पाए।

जरा सोचिए कि आइपीएस वाइ. पूरन कुमार के साथ ऐसा हो सकता है तो गाँव-देहात के गरीब-गुरबा दलित को कितने भयानक संत्रास से गुजरना पड़ता होगा।

दलितों के हिस्से में कब आएगा बिना लड़े इंसाफ? दलितों को कब लगेगा कि यह देश उनका भी है। दलितों को कब महसूस कराओगे कि वे भी इंसान हैं? कब लागू होगा इस देश में मुकम्मल संविधान?

#एकदा_जंबूद्वीपे ( From FB)
SHYAM SINGH RAWAT ( VIEWS EXPRESSED ARE The PERSONAL VIEWS OF THE WRITER AND UKNATIONNEWS IS NOT Responsible FOR The NEWS )

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button