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मुझे पापा की तरह बनना है,मुझे अपने पापा के सपनों को पूरा करना है: आस्था रावत

वह रोज सुबह उठकर अपने दोनों हाथों को नेत्रों के आगे लाकर इस मंत्र का जाप करते थे कि कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती,करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम।

वह प्रतिदिन सुबह सवेरे अपने ईष्ट-मित्रों, नाते-रिश्तेदार,समाज में साथ उठने बैठने वाले संगी साथियों को अपने सुविचार के साथ सुबह सवेरे की राम-राम भेजकर सबकी कुशल-मंगल पूछ लिया करते थे। यह किसी को नहीं मालूम था कि वह कब घर पहुंचते हैं और कब सोते हैं। अक्सर देर रात को भी वह किसी से फोन पर बात करते तो फोन रिसीव करने वाला यह निश्चिंत रहता था कि सामने वाले को उनकी परवाह है या फिर फोन करने वाले उनसे कितना अपनत्व और लगाव रखते हैं। यहां पर हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड समाज के एक ऐसे समाजसेवी की जो उत्तराखंड के समाज और संस्कृति के प्रति सततभाव से काम करते रहे और लगभग पचास वर्ष की आयु में उत्तराखंड समाज खासतौर पर उत्तराखंड के सिनेमा के प्रचार-प्रसार में अहम योगदान देकर इस संसार से विदा हो गए। हम बात कर रहे हैं सतेंद्र सिंह रावत जी की, जिनका 18 अक्टूबर 2025 को हृदयाघात से आकस्मिक निधन हो गया।

दिल्ली के गढ़वाल भवन में सतेंद्र सिंह रावत की याद में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। “सतेंद्र की याद,सतेंद्र के बाद” श्रद्धांजलि सभा आयोजित करवाने वाले वरिष्ठ समाजसेवी आर.पी.घिल्डियाल ने नम आंखों से अपने करीबी मित्र सतेंद्र सिंह रावत को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि दिल्ली-एनसीआर में उत्तराखंड के सिनेमा के प्रचार-प्रसार में सतेंद्र के अमूल्य योगदान को सदैव याद रखा जाएगा। वरिष्ठ रंगकर्मी खुशहाल सिंह बिष्ट और उत्तराखंड की फिल्मों की पुरानी अदाकारा संयोगिता ध्यानी ने भी दिवंगत रावत से जुड़े अनेक संस्मरण साझा किए। वरिष्ठ समाजसेवी विनोद कबटियाल ने सतेंद्र सिंह रावत को अपना अभिन्न मित्र बताते हुए रूंधे गले से कहा कि विगत पांच वर्षों में उनके साथ कई अनमोल क्षण हमने व्यतीत किए जो अब यादें बनकर रह गई हैं। वरिष्ठ पत्रकार ब्योमेश चंद्र जुगराण ने कहा कि सतेंद्र सिंह रावत और उनका साथ बहुत कम समय का रहा लेकिन इतने कम समय में सतेंद्र सिंह रावत अपने व्यक्तित्व की अमिट छाप छोड़ गए हैं।
वरिष्ठ पत्रकार,साहित्यकार एवं शिक्षाविद प्रोफेसर प्रदीप कुमार वेदवाल ने सतेंद्र सिंह रावत को याद करते हुए कहा कि वो एक उत्साही,कर्मठ और नेकदिल इंसान थे। कम उम्र में ही उनका निधन हो जाना वास्तव में बहुत दुखद है। उत्तराखंड के सिनेमा की अभिनेत्री रिया शर्मा ने सतेंद्र सिंह रावत के आकस्मिक निधन को उत्तराखंड के सिनेमा के लिए अपूरणीय क्षति बताया। श्रद्धांजलि सभा में उषा ममगाईं ने दिवंगत सतेंद्र सिंह रावत के निश्चल व्यक्तित्व से जुड़े संस्मरण साझा करते हुए दिवंगत आत्मा को स्मरण किया। श्रद्धांजलि सभा का संचालन करते हुए गढ़वाल हितैषणी सभा के पूर्व अध्यक्ष एवं रंगकर्मी अजय बिष्ट ने उत्तराखंड की फिल्मों के प्रचार-प्रसार में सतेंद्र सिंह रावत की शख्सियत और अहमियत से जुड़े संस्मरण याद किए। उत्तराखंड के सिनेमा से जुड़े राकेश गौड़ और देवा धामी ने अपनी-अपनी यादें साझा करते हुए कहा सतेंद्र सिंह रावत ने दिल्ली-एनसीआर में उत्तराखंड की फिल्मों को दर्शक से जोड़ने की जो मुहिम चलाई थी हमें उस मुहिम को और गति देनी होगी।
“सतेंद्र की याद,सतेंद्र के बाद” श्रद्धांजलि सभा में सतेंद्र सिंह रावत के परिजन और रिश्तेदार भी उपस्थित थे। श्रद्धांजलि सभा का माहौल उस वक्त और भी अधिक भावुकतापूर्ण हो गया जब स्वर्गीय सतेंद्र सिंह रावत की बड़ी बेटी आस्था रावत ने बहुत ही भावुकता में लेकिन पूर्ण आत्मविश्वास के साथ कहा कि मुझे अपने पापा जैसा बनना है, मुझे अपने पापा के सपनों को पूरा करना है। उन्होंने कहा कि आज मेरे पिता को याद करने के लिए सभागार में समाज के विभिन्न क्षेत्रों से इतनी बड़ी संख्या में लोगों का आना मुझे इस बात का अहसास कराते हैं कि मेरे पिता में समाज के प्रति अपने दायित्व के निर्वहन में अहम योगदान दिया है।
सतेंद्र सिंह रावत को श्रद्धांजलि देने वालों में गढ़वाल हितैषणी सभा के पदाधिकारी, टिहरी-उत्तरकाशी जनविकास परिषद के पदाधिकारी, डांस डायरेक्टर कोमल राणा नेगी, हाई हिलर्स नाट्य ग्रुप के अध्यक्ष डाक्टर सतीश कालेश्वरी, पत्रकार एवं सोशल एक्टिविस्ट चारू तिवारी, पत्रकार सतेंद्र सिंह नेगी, प्रताप थलवाल, अनिल गौड़, शैलेंद्र मैठाणी, रंगकर्मी शशि बड़ोला, रंगकर्मी हरेंद्र सिंह रावत, रंगकर्मी कुलदीप असवाल,उत्तराखंड के सिनेमा से जुड़े दीवान सिंह,यासिका,आनंद, संजय उनियाल आदि थे।

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