मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूकेएसएसएससी पेपर लीक घोटाले की सीबीआई जांच की मांग स्वीकार की

आज मुख्यमंत्री Pushkar Singh धामी द्वारा धरना स्थल पर स्वयं पहुंचकर युवाओं की भर्ती पेपरलीक मामले में CBI जांच की मांग को न केवल स्वीकार किया बल्कि तत्काल संस्तुति करना युवाओं की एकजुटता की सबसे बड़ी जीत है l
लोकतंत्र की सबसे बड़ी खूबसूरती यह है कि इसमें सत्ता और जनता के बीच संवाद के रास्ते हमेशा खुले रहने चाहिये l जब जनभावनाएं प्रखर हो जाएं और सत्ता उनसे टकराने के बजाय उन्हें संवाद करने का प्रयास करे, तभी लोकतंत्र जीवंत और मजबूत बनता है।
मुख्यमंत्री का यह कदम न केवल राजनीतिक दृष्टि से परिपक्वता दर्शाता है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि जनता के बीच जाकर सुनना ही सही नेतृत्व का दायित्व है। अक्सर देखने में आता है कि बड़े आंदोलन या विरोध के समय सत्ता प्रतिनिधि बातचीत के बजाय दूरी बना लेते हैं, जिससे अविश्वास की खाई और गहरी हो जाती है। जैसे कि 7 दिनों तक ऐसा दिखा भी गया मगर आज युवाओं के बीच जाकर मुख्यमंत्री ने यह साबित किया कि संवाद से बड़ा कोई समाधान नहीं है। हालाँकि सरकार को दबाव में लाने में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत जी के सीबीआई जाँच वाले बयान की भूमिका भी अनदेखा नहीं किया जा सकता l
इस पूरी प्रक्रिया में युवाओं की भूमिका भी उतनी ही महत्वपूर्ण रही। सात दिनों तक लगातार संयम और अनुशासन के साथ गांधीवादी तरीक़े से शांतिपूर्ण धरना देना कोई छोटी बात नहीं है। आज के समय में, जब छोटे से उकसावे पर आंदोलन हिंसक हो जाते हैं, सत्तापक्ष द्वारा उनको चिढ़ाने के भरसक प्रयास स्वयं मुख्यमंत्री , बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष , मंत्रियों विधायकों के बयानों से हुए लेकिन इन युवाओं ने यह साबित किया कि शांति और धैर्य के साथ भी सत्ता को झुकाया जा सकता है। उनकी एकजुटता ने सत्ता के अहंकार को पिघलाया और बेरोज़गारों की आवाज़ को सम्मान दिलाया।
लोकतंत्र में स्वस्थ आलोचना और प्रशंसा दोनों का संतुलन ज़रूरी है। जिस तरह ग़लत नीतियों पर सवाल उठाना हमारा कर्तव्य है, उसी तरह सही और सकारात्मक कदमों की सराहना भी होनी चाहिए। मुख्यमंत्री द्वारा संवाद का रास्ता अपनाना और युवाओं द्वारा संयमित संघर्ष दोनों ही लोकतंत्र की मजबूती के संकेत हैं l
Raghubir Bisht