उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने मीडियाकर्मियों को विनम्रता से सबक सिखाते हुए कहा कि पत्रकारिता में विश्वसनीयता भी एक चीज है। वे अपने पद से हटाए जाने की अफवाहों से नाखुश हैं

त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उन्हें कटघरे में खड़ा कर दिया

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज मीडिया से मुखातिब थे, लेकिन वे किसी भी तरह से नरमी बरतने के मूड में नहीं थे। उन्होंने मीडिया को नैतिक पत्रकारिता का पाठ पढ़ाते हुए कहा कि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ होने के बावजूद मीडिया की विश्वसनीयता दांव पर लगी हुई है। उनके साथ उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत भी मौजूद थे। पत्रकारों की ओर इशारा करते हुए पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आप सभी युवा पत्रकार हैं और पिछले एक महीने से उत्तराखंड के सीएम के बदलाव की खबरें चला रहे हैं। मैं भी यहां हूं और धन सिंह रावत भी। ऐसी खबरें चलाकर आप किस विश्वसनीयता पर खरे उतरते हैं, इस पर मुख्यमंत्री से एक मीडियाकर्मी ने पूछा कि सीएम बदलने या मंत्रिमंडल विस्तार का मुहूर्त कब होगा? इस पर सहज ही जवाब आया कि सही समय आने पर वे खुद पत्रकारों को सूचित करेंगे और उन्हें आमंत्रित करेंगे। स्मरणीय है कि उत्तराखंड में बढ़ते विरोध प्रदर्शनों के बाद, विशेष रूप से पूर्व मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल के इस्तीफे और महेंद्र भट्ट को हटाए जाने की खबरों, यूकेडी नेताओं आशुतोष नेगी और आशीष नेगी की मनमानी गिरफ्तारी और उन्हें 14 दिनों की हिरासत में भेजे जाने तथा खनन माफिया और स्थानीय प्रशासन के कथित सहयोग से उत्तराखंड में अवैध खनन में वृद्धि के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उनकी सरकार की विश्वसनीयता दांव पर लगी हुई है, साथ ही राज्य सरकार के नेतृत्व में परिवर्तन की खबरें भी आ रही हैं।
आश्चर्य की बात यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार से सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पिछले दिनों लोकसभा में अवैध खनन के मुद्दे पर अपनी ही पार्टी की सरकार पर सवाल उठाते हुए राज्य की स्थिति के बारे में चिंताजनक बात कही थी। उन्होंने हरिद्वार, नैनीताल, उधम सिंह नगर और देहरादून के प्रशासन पर खनन माफिया के साथ मिलकर नदियों से टनों प्राकृतिक संसाधनों को निकालने और रात के समय सैकड़ों ट्रकों को खनन से भरे हुए भेजने का आरोप लगाया था। इन ट्रकों के कारण कई लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। यह आरोप सीधे तौर पर उनकी अपनी सरकार पर लगाया गया है। यह आरोप विपक्षी कांग्रेस पार्टी और यूकेडी के आरोपों को सही साबित करता है। हालांकि त्रिवेंद्र सिंह रावत का बयान सही है और राज्य के गौरव के लिए मानव सुरक्षा पर केंद्रित है, लेकिन यह देखना बाकी है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इसे गंभीरता से लेते हैं या नहीं। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि संसद में त्रिवेंद्र सिंह रावत का यह बयान इस बात का पूर्व संकेत है कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री निकट भविष्य में राजनीतिक गुमनामी में चले जाएंगे। हालांकि इस बारे में कुछ भी आधिकारिक नहीं है, यह केवल अटकलें हैं। लोकसभा में बोलते हुए पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार से सांसद ने सत्ता पक्ष के सांसद की बजाय विपक्ष के नेता की तरह बात की, जिससे सभी को आश्चर्य हुआ। पिछले उदाहरणों से सभी यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि उत्तराखंड के अन्य चापलूस और अवसरवादी नेताओं की तुलना में भविष्य के परिणामों की परवाह किए बिना बयान देने में वे स्पष्टवादी हैं। रावत ने उत्तराखंड मे हो रहे व्यापक पैमाने पर अवैध खनन को एक अत्यंन्त महत्वपूर्ण , गंभीर और संवेदनशील मामला बताया I

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