google.com, pub-9329603265420537, DIRECT, f08c47fec0942fa0
ObituaryUttrakhand

अरुण जी का जाना

MANU PANWAR

अरुण नौटियाल जी नहीं रहे. आज की सुबह इसी मनहूस ख़बर से हुई. दिल बैठ गया. दिमाग सुन्न हो गया. तब से मन बहुत विचलित है.

अरुण जी शुरुआती दिनों में TVI और सहारा होते हुए आज तक पहुँचे थे. बाद में बरसों तक स्टार न्यूज़/abp न्यूज़ में रहे. हमारे बॉस थे. आउटपुट एडिटर हुआ करते थे. करीब सालभर तक ज़ी न्यूज़ में भी रहे, लेकिन पिछले दिनों वहां से त्यागपत्र दे चुके थे. वह उनकी आखिरी नौकरी थी.

पता चला कि आधी रात को हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई. बिटिया को पढ़ाई के लिए विदेश भेजना उनका सपना था. रात को ही बिटिया विदेश के लिए रवाना हुई थी. अरुण जी बिटिया को छोड़ने एयरपोर्ट जा नहीं पाए. पत्नी गई थीं. फिर अरुण जी इतनी गहरी नींद में चले गये कि उठे ही नहीं. अचेत होने पर उन्हें अस्पताल भी ले जाया गया, लेकिन अरुण जी को बचाया नहीं जा सका.

अरुण जी टीवी न्यूज़ के मास्टर आदमी थे. बड़े मौकों/ बड़े इवेंट के सबसे विश्वसनीय और सबसे स्किल्ड बंदे. यह हुनर उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से ख़ुद हासिल किया था. टीवी के बड़े-बड़े महारथी उनके भरोसे बड़े से बड़ा काम सौंपकर आश्वस्त हो जाते थे कि ये काम न सिर्फ़ होकर रहेगा, बल्कि बहुत कायदे से होगा. जब वो ख़बर टीवी स्क्रीन पर चमकती तो अरुणजी की छाप उसमें साफ-साफ दिखती.

मूल रूप से उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जिले के अरुण नौटियाल जी मुझे कई बार टीवी न्यूज़ की दुनिया में एक दौर के दक्षिण अफ्रीकी ऑलराउंडर लांस क्लूज़नर जैसे लगे, जिन्हें कि वर्ल्ड कप में हैंसी क्रोनिए सबसे मुश्किल घड़ी में उतारा करते थे और वो न सिर्फ़ मैदान मारकर लौटते बल्कि अपनी टीम की ऐसी धाकड़ फतह सुनिश्चित करते कि हर कोई दंग रह जाता.

अरुणजी की सबसे बड़ी खूबी ये थी कि वो हमेशा डाउन टू अर्थ और लो-प्रोफाइल रहे. दूसरों को चमकाते रहे. वह स्टार न्यूज़ की लॉंचिंग से जुड़े हुए थे. लेकिन अरुण जी को याद करने की कई वजहें हैं. वह बहुत सरल, सहज, शालीन थे. अल्पभाषी थे और मृदुभाषी भी थे. मैंने न्यूज़ रुम में कभी उनको किसी पर ग़ुस्सा करते नहीं देखा. सारा लोड खुद पर ले लेते. अगर कभी किसी को डांटते भी तो ऐसा डांटते कि सामने वाले को बुरा भी लगे.

अरुण जी ख़ूब पढ़ाकू भी थे. देश-दुनिया के किसी भी मसले पर उनकी पकड़ बेमिसाल थी. न्यूज़ रूम में उनके केबिन में जाने का मतलब ताज़ा-तरीन किताबों से बावस्ता होना भी था. टीवी न्यूज़ की दुनिया में ऐसा होना अब दुर्लभ होता जा रहा है. लेकिन अरुण जी से एक शिकायत रही कि वो अपनी चीजों को कभी शेयर नहीं करते थे. पूछने या टटोलने पर अक्सर एक चौड़ी मुस्कान के साथ टाल जाते थे. पता नहीं उनके ज़ेहन में क्या चल रहा था. इसे कोई नहीं भांप पाया. अब तो हम क्या ही जान पाएंगे.

आप बहुत जल्दी चले गए अरुण सर

श्रद्धांजलि. 🙏

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button