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Delhi news

कलम के सच्चे सिपाही संदीप ठाकुर को शत् शत् नमन

VARISHT PATRAKAR VINOD TAKIAWALA

काल का चक्र महाकाल के ईशारे पर निरतंर-र्निविध्न घुम रहा है। श्रृष्टि के इस नियम का संचार युग युगांतरों से चला आ रहा है।जब से उस अदृश्य सता नें संसार का श्रृजन या निवार्ण किया होगा।तभी तो द्वैत्य का नाम संसार दिया गया।इसका जीता जागता उदाहरण दो से नव श्रृजन हुआ है।मानव भी इसी श्रंख्ला की एक कड़ी है।शिव के संग शक्ति,दिन के साथ रात,सुख के संग दुःख, र्निमाण-विध्वंस,जन्म के साथ मृत्यु।तभी हमारे धर्म ग्रंथों में कहा गया है जिसका इस संसार मे जन्म हुआ उसकी मुत्यु निशचित है।यह अरक्षण कटु सत्य है।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के पत्रकारिता जगत के नीले अंबर में चमकने वाला एक खुबसुरत सा सितारा हमेशा के लिए बुझ गया।आज हम किसी ज्वलंत मुद्दों पर नही बल्कि भारतीय पत्रकारिता जगत के एक ऐसे शकसियत व मीडिया बिरदारी के सिर मौर्य अपने वरिष्ठ पत्रकार मित्र केबारे बताने जा रहे है।जिन्होंने नैश्वर संसार को अलविदा कह दिया । जिसे दिल्ली एन सी आर मीडिया जगत में एक दंबग,मस्त मौला कलम के सच्चे सिपाई के रूप में अपनी पहचान बनाई।

आप नेअपने सम्पूर्ण दायित्वों का र्निवाह करते हुए अपनी विशिष्ट पहचान बनाई।चाहे वह पारिवारिक या समाजिक या पत्रकारिता का।चाहे इस राह में कितने भी विषम व विकट परिस्थिति क्यूं नही हो।एक ऐसा व्यकित्व जिसने ना केवल पत्रकार व पत्रकारिता के जगत को एक नई सोच,नये मुक्काम तक पहुँचाया बल्कि जीने का तरीका व सलीका भी स्वयं जी कर दुनिया वाले को विशेष पत्रकार बन्धुओं को सिखाया।आज हम अपने अजीज मीडिया मित्र, अपने बडे भाई,सच्चे मार्ग दर्शक व रविवार पत्रिका सप्ताहिक व मासिक पत्रिका के परिवार के अभिन्न अंग सम्मानीय संपादक संदीप ठाकुर जी के बारे में बताने का असफल प्रयास कर रहा हूँ।मेरे इस दुसाहस के लिए मै पहले क्षमा माँग रहा हूँ। इस सप्ताह का अन्तिम दिन शनिवार ‘समय ‘ दिल्ली के बातावरण प्रदुषण की घुन्ध छाया हई।श्याद वह भी प्रजातंत्र के इस सच्चे सपूत के सम्मान में आयोजित शोक सभा में अपनी मौन श्रंद्धाजली देने के लिए आतुर सा हो।मै आज प्रेस कल्ब ऑफ इण्डिया के तत्वाधान में आयोजित शोक सभा में उपस्थित विशाल जनसमूह द्वारा दिये गये उद्‌गार से स्पष्ट हो गया कि आप के चाहने की कतार में मेरा नम्बर ना के बराबर है।पी सी आई के परिसर में आप के पत्रकारिता से जुडी यादों को वक्ताओं नें अपने शब्दों की भाव भीनी शब्दाजंली के माध्यम सेयाद किया।आज मै स्तब्ध हुँ ‘ निशब्द व निराश हुँ।जब आप कोई अपना आपको बित बताये कोई बडा निर्णय ले लेता है।आप के व्यकित्व व पत्रकारिता से जुडें कुछ भी बताने असर्मथ पा रहा है।इसलिए मै अपने वरिष्ट मीडिया मित्र व पी सी आई-कार्यकारणी सदस्य बडे भाई सुनील नेगी जी के फेसबुक वॉल की पोस्ट का सहारा ले रहा हुँ।


राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली का पत्रकारिता जगत का एक ऐसा मीडिया रत्न, जिन्हे पूरा मीडिया जगत ठाकुर साहब कह कर सम्मान देता हो।जी हाँ प्रेस ऐशोसिएसन ‘ नेशनल मीडिया सेन्टर नई दिल्ली व प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के वरिष्ठ पत्रकार संदीप ठाकुर के सबसे दुर्भाग्यपूर्ण असमायिक निधन के बारे में सुनकर मै स्तब्ध हुँ।


संदीप ठाकुर ने मुंबई में सांस लेने में तकलीफ के बाद अस्पताल ले जा रही एक एम्बुलेंस में अंतिम सांस ली।उनकी मृत्यु तीव्र हृदयाघात से हुई।हिंदुस्तान टाइम्स और राष्ट्रीय सहारा में लंबे समय तक काम कर चुके संदीप ठाकुर 27अक्टूबर को अपनी इकलौती बेटी से मिलने मुंबई गए थे,जहां उन्हें सांस लेने में बेचैनी महसूस हुई।उन्हें तुरंत ऑक्सीजन पर एम्बुलेंस में अस्पताल ले जाया गया और कार्डियक अरेस्ट के कारण रास्ते में आखिरी सांस लेने के कारण पैरामेडिक्स द्वारा उन्हें बचाया नहीं जा सका।

यह बेहद दुखद लगता है कि हमेशा टोपी और शर्ट के आगे के दो बटन खुले रखने वाला एक उत्साही पत्रकार आमतौर पर काले चश्मे पहनकर प्रेस क्लब में आता है,किस्मत का धनी संदीप ठाकुर कभी नहीं जानता था कि उसकी मुंबई यात्रा के दौरान उसके साथ क्या त्रासदी होने वाली थी,जहां वह खुश पिता के रूप में केवल अपनी इकलौती बेटी को मिलने गए थे


स्वास्थ्य के प्रति जागरूक पत्रकार,आमतौर पर टोपी, स्टाइलिश घड़ी और जूते पहनने वाले अच्छे पहनावे के साथ संदीप ठाकुर रोजाना पैदल चलने के शौकीन थे और स्वास्थ्य के प्रति भी जागरूक थे।

वह एक मीडिया जगत के कीमती रत्न थे।

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने आज वरिष्ठ पत्रकार संदीप ठाकुर के निधन पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा। राष्ट्रीय सहारा और हिंदुस्तान सहित कई प्रकाशनों के लिए काम कर चुके वरिष्ठ पत्रकार संदीप शाम को क्लब का नियमित आगंतुक था I

जहाँ तक मेरा उनसे सम्पर्क व संवाद का सवाल है।मै स्पष्ट कर दुँ कि संदीप भाई का मार्गदर्शन मुझे ऐसे समय मिला जब मै अपना प्रेस एक्रीडेशन के लिए संघर्ष कर रहा था।आपने मुझे कहा कि तकियावाला जी हिम्मत नही हारो,सफलता मिलेगी! आप के संदर्भ में जब मुझे पता चला कि आप अंग प्रदेश भागलपुर के निवासी है तो मेरे लिए खुशी का ठिकाना नहीं था।उसके बाद जब हमारी उनसे मुलाकात हुई,हमेशा ही अंगिका में बातचीत होती थी।रविवार पत्रिका में प्रकाशित लेख,विचार व आप के विशेष मार्गदर्शन के लिए सैदव ऋणी रहेगे।
इस संसार को असमय अलविदा कहना,आपके परिवार,मित्रजनों’ मीडिया मित्रों को हमेशा कमी महसूस होती रहेगी।ईश्वर से हमारी प्रार्थना है कि आपकी आत्मा को शांति प्रदान करे।
ओम शांति ‘
अलविदा।
विनोद तकियावाला

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