Skip to content
  • Sunday, 20 July 2025
  • 2:26 pm
  • Follow Us

UK nation news

  • Home
  • About Us
  • Disclaimer for Uknationnews
  • Home
  • Privacy Policy for Uknationnews
  • Sample Page
  • TERMS AND CONDITIONS
  • Home
  • सिंगापुर यात्रा के संस्मरण!
World

सिंगापुर यात्रा के संस्मरण!

aasthanegi Nov 2, 2023 0



एक जून को रात साढ़े दस बजे के आस-पास सिंगापुर के चांगी एयरपोर्ट पर एयर इंडिया का हमारा विमान उतरा. बाहर तापमान ज्यादा होने की घोषणा हो चुकी थी. पर दिल्ली वालों को तापमान की क्या चिंता! वहां के तापमान से अधिक तो दिल्ली में रहता है. विमान से उतरने के बाद इमिग्रेशन चेक पहुंचे. वहां भीड़ अधिक नहीं थी और सामने बैठे इमिग्रेशन अधिकारी से कोई सवाल भी नहीं आया.
बेल्ट से अपना सामान उठाकर ट्राली में रखा और बाहर की ओर रुख किया. मुझे लेने दामाद कौशिक पहुंचा हुआ था. उसने मुझे देख लिया और अभिवादन की औपचारिकता के पश्चात उसने मेरी ट्राली संभाल ली. कॉफी के लिए एक रेस्तरां में रुके. अधिकतर चीनी पृष्ठभूमि के लोग वहां बैठे जलपान कर रहे थे. कुछ मलय और कुछ दक्षिण भारतीय मूल के लोग आस-पास के रेस्तरां में काम कर रहे थे. मुझे कुछ-कुछ ताइवान की याद आ गयी जहां चीनी लोग बहुसंख्यक हैं और ऐसे ही दिखते हैं. हां, वहां मलय और भारतीय मूल के लोग नहीं के बराबर होंगे.
रास्ते भर सुंदर भवनों, करीने से सजाये गए पार्कों और ख़ूबसूरत सड़कों को निहारता रहा और साथ ही सोचता रहा कि ऐसे अच्छे दिन भारत में कब आयेंगे! सबकुछ ऐसा लग रहा था मानों किसी कलाकार ने सुंदर-सुंदर विशाल चित्र बनाकर टांग दिए हों. बीच-बीच में निर्जन वनप्रांतर क्षेत्र (वाइल्डरनेस) भी मिले जिनके कोणों वनकर्मियों या मालियीं ने इस प्रकार सुंदर बना दिया था कि उनसे सटे पार्कों के साथ उनका विलयन सहजता के साथ हो रहा था. भारत में एशिया देखने को बहुत कम मिलता है, इसलिए आत्म-ग्लानि भी हुयी.
मार्गदर्शक सूचक हों या कोई अन्य पट्टिकाएं, सबपर चार भाषाओं – अंग्रेजी, चीनी, मलय और तमिल — में लिखा था. कौशिक ने बताया कि ये चारों राजकीय भाषाएं हैं.
एयरपोर्ट से मेरी बेटी और दामाद का घर काफी दूर था. एक घंटे से अधिक का समय चांगी से नॉर्थवेल पहुंचने में लगा जो छोछूकांग इंटरसेक्शन के पास स्थित है. समय रात्रि के बारह के आस-पास का था. बहुत ही आत्मीयता के साथ गार्ड ने हमारे वाहन को भीतर आने का इशारा किया. अंदर पहुंचाते ही काफी बड़े तरणताल के दर्शन हुए. उसके भीतर निर्मल जल देखकर उसमें कूदने का मन हुआ पर तैरना तो सीखा ही नही!
दसवें माले पर बेटी-दामाद का घर था. बेटी नताशा, उसका बेटा कबीर और दो माह से वहीं रह रही पत्नी शोभा हमारी प्रतीक्षा कर रहे थे. कबीर देखते ही खुशी के मारे अंदर के कमरे की ओर भाग गया. मैंने सीधे वहीँ पहुंचकर उसे गोदी में उठा लिया. अद्भुत क्षण था यह मेरे लिए. पोते को गोदी में लेने की सुखद अनुभूति इस बार कुछ विचित्र ढंग से हुयी. कुशल-क्षेम और भोजन के बाद सोने के लिए चला गया. दिल्ली में सुबह नींद जो जल्दी टूट गयी थी!
अगली सुबह जागा और सीधे खिड़की पर पहुंचा. सामने कि बिल्डिंग के पीछे मेट्रो रेल जाती दिखाई दी और एक सुंदर पार्क का कोना भी. नीचे तरणताल में बचे, बूढ़े और युवा तैराकी में मशगूल थे. कुछ पिता अपने छोटे-छोटे बच्चों स्विमिंग सिखा रहे थे. एनी लोग अपने काम से इधर-उधर आते-जाते दिखाई दे रहे थे. कुछ भारतीय मूल के और अधिसंख्य चीनी लोग.
शनिवार अर्थात छुट्टी का दिन था. नाश्ते और दोपहर के भोजन के बाद मॉल जाकर कुछ खरीदारी करने का प्रस्ताव आया. मुझे तो एक स्लिंग बैग के अलावा कुछ विशेष नहीं चाहिए था पर साथ चल दिया. किसी भी समाज को जानने-समझाने के लिए उसका मार्किटप्लेस महत्वपूर्ण होता है. कुछ-कुछ सामान खरीदा और वापस आ गए.
कुल मिलाकर रोज ही अपराह्न बाद कहीं-न-कहीं जाने का कार्यक्रम बनता और नयी-नयी जगहें देखने को मिलतीं – सीबीडी अर्थात सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट – से लेकर सिंगापुर बोटैनिक गार्डन और वेस्टर्न सीशोर तक.
यह कहना यहां प्रासंगिक होगा कि एक-एक सड़क, एक-एक पार्क, एक-एक मेट्रो स्टेशन, एक-एक भवन, एक-एक हाउसिंग सोसाइटी, एक-एक सरकारी कार्यालय और हर प्रकार की बस्ती सब बहुत ही करीने से सजाकर बनाए गए हैं. इसे इंग्लिश में बिल्ट एनवायरनमेंट कहते हैं. पर एक जो बात मैं कहना चाहता हूं, वह यह है कि छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी परियोजना में मन-मष्तिष्क लगाकर काम किया जाता है.
सडकों पर आपको न तो पुलिस और न ही ट्रैफिक पुलिस दिखेगी. हां, कभी-कभी और कहीं-कहीं आपको नौजवान फौजी दिखाई देंगे. सिंगापुर में सेना में न्यूनतम तीन वर्ष सेवा करना अनिवार्य है. इसे इंग्लिश में कांसक्रिप्शन कहते हैं. और कुछ हो न हो, इससे नवयुवकों के जीवन में अनुशासन की भावना अवश्य घर कर जाती है.
एक और जो बात सिंगापुर को भारत से कहिन दूर करती है, वह है इस छोटे से देश का सार्वजनिक व्यवहार. यह बहुत ही सुंदर है. अपरिचित लोग भी मुस्कराकर आपका अभिवादन करते हैं जिससे अच्छी अनुभूति होती है.
कहीं सडकों पर कूड़ा बिखरा हुआ नहीं मिलेगा और राह चलते आपको बदबू का सामना भी नहीं करना पडेगा. कोई जगह खाली नहीं मिलेगी जहां मिट्टी दिखाई देती हो. यदि गरमी न हो तो आप अपने कपड़े कई-कई दिन पहन सकते हैं. अंधड़-मिट्टी इत्यादि से आपके कपड़े गंदे होने वाले नहीं.
सडकों या सार्वजनिक स्थलों पर आपको न कोई गाय मिलेगी और न ही कोई कुता-बिल्ली या कोई और पशु. अनियंत्रित और अबूझा ट्रैफिक भी कहीं नहीं दिखेगा. पशु-वाहन या ऐसा कोई भी वाहन आपको नहीं दिखेगा जिससे ट्रैफिक व्यवस्था में कोई व्यवधान आ सकता हो. सड़क को कहीं से भी पार करते हुए आपको कोई नहीं दिखाई देगा. दूप और वर्षा से बचाने के लिए म्युनिसिपैलिटी ने अधिकतर सडकों के दोनों किनारे शेड्स लगाए हुए हैं. अर्थात, आपके पास छाता न हो तब भी काम चल सकता है. पर, विशेषकर महिलाओं को अक्सर छाता लिए हुए देखा जा सकता है.
अवैध निर्माण कहीं भी नहीं दिखाई देते हैं. धर्मस्थल भी अत्यंत संयमित ढंग से बने हैं और वहां से बाहर किसी प्रकार की ध्वनि नहीं आती है.
पार्कों में पेड़ करीने से लगे हैं और लगभग सभी पेड़ों की जड़ों के चारों ओर मल्च (खर-पतवार) का घेरा बना होता है ताकि पेड़ को प्राकृतिक उर्वरक कम्पोस्ट के रूप में मिलें और साथ ही पेड़ों या वनस्पतियों को मल्च से सीधी धूप से बचाया जा सके.
सरकार कहीं भी प्रकट रूप में दिखाई नहीं देती है पर उसकी उपस्थिति का आभास पल-अल होता है. वह इसलिए कि कोई भी नागरिक या पर्यटक अनुशासन को तोड़ते हुए नहीं दिखाई देता है.
नशीले पदार्थ रखने पर मृत्युदंड का प्रावधान है और आपको कहीं कोई इनका सेवन करते हुए नहीं दिखाई देगा जिस प्रकार आप भारत में ऐसा धर्मस्थलों के आस-पास या पार्कों अथवा अन्य सार्वजनिक स्थलों पर देख सकते हैं.
मेट्रो में लिखा होता है कि आप अपनी सीट अन्य को ऑफर कर अपने स्नेह की अभिव्यक्ति कर सकते हैं. इसी थीम पर छोटी-छोटी फिल्म क्लिप्स मेट्रो स्क्रीन्स पर चलाती भी रहती हैं. प्रतेक मेट्रो स्टेशन के साथ शॉपिंग मॉल अनिवार्य रूप से देखने को मिल जाएगा. मेट्रोकार्ड बसों में भी चलता है और बसों में कोई कंडक्टर नहीं होता. ड्राइवर स्वयं यह काम करता है. आप चाहें तो कैश देकर अपनी टिकट खरीद सकते हैं. सभी बसें वातानुकूलित हैं. दोमंजिला बसें भी आपको खूब देखने में मिल जायेगी. हर बस में मेट्रो की तरह सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. यदि आप बस की उप्परी मंजिल पर हैं और ठीक से नहीं बैठे हैं तो ड्राइवर की दंड खाने के लिए तैयार रहें क्योंकि उसे कैमरे में सबकुछ दिखाई देता है. बच्चों की छोटी-छोटी गाड़ियों को बस के अंदर पार्क करने का स्थान भी बना हुआ है पर आपको ऐसी गाडी को फोल्ड करना पड़ेगा यदि बच्चा बिलकुल छोटा न हो.
यदि आपके पास छोटा बच्च्चा है और टैक्सी चाहिए तब आपको ऎसी टैक्सी लेनी होगी जिसमें बच्चे की सीट और बेल्ट होगी. जिस टैक्सी में ये नहीं होगा, वह टैक्सी आपको नहीं ले जाएगी.
दुकानों, रेस्तरां और मॉल में बिल आपको अनिवार्य रूप से मिलेगा और जीएसटी जैसे टैक्स बचाने कि सलाह कोई दुकानदार आपको नहीं देगा. सिंगापुर की संपन्नता का एक कारण यह भी है कि टैक्स चोरी कोई नहीं करता. टैक्स भी भारत की तरह भारी-भरकम नहीं हैं. सच में सिंगापुर इस मामले में हांगकांग के साथ प्रतिस्पर्धा में रहता है. व्यापार करने वालों के लिए सिंगापुर इसीलिए माकूल जगह माना जाता है.
सिंगापुर में न तो खेती के लिए जगह है न ही उद्योगों के लिए. केवल व्यापार और व्यापार तथा ट्रेडिंग के लिए यह देश है. इसके निर्माताओं को खूब पता रहा होगा कि देश की प्रगति का ठोस मॉडल क्या हो सकता है. अपने देश के निर्माताओं ने ऐसा संभवत: सोचा भी हो पर उस सोच को धरती पर उतारने में उन्होंने कहीं-न-कहीं चूक कर दी. खैर!
सिंगापुर को आधुनिक विकास का मॉडल बनाने में में …. का विशेष योगदान माना जाता है. आज जो विकास वहां दिखाई देता है उस पर उनकी अमिट छाप है. ……
पर, सिंगापुर के विकास को देखकर आधुनिकता पर टिप्पणी करने का मन भी हो रहा है. यह स्पष्ट है कि जिसे हम साधारण शब्दों में विकास कहती हैं, वह तो वस्तुत: पर्यावरण और पारिस्थितिकी का ह्रास है. धरती पर उपलब्ध धरोहरों और संसाधनों के अत्यधिक दोहन के बिना विकास का यह चेहरा दिख ही नहीं सकता है. केवल और केवल एक विशाल भवन को निर्मित करने में कितनी ईंटें, कितना सीमेंट, कितना रेता-बजरी, कितना लोहा, कितना ल्य्मिनियम, कितना कांच, कितनी लकड़ी, कितना कपड़ा और कितना पानी लग जाता है – इसकी क्या हम कल्पना करते है?
सिंगापुर का जो विकास है या अन्य विक्सित देशों का जो विकास है वह विलासिता पर आधारित विकास है. यह विकास मनुष्य की बौद्धिकता का विकास है. इस विकास में धरती को बचाए रखने का कोई संकल्प नहीं दिखाई देता है. काह्लिये मां लेते हैं कि सिंगापुर या पूरी धरती पर सुंदर-सुंदर करोड़ों भवन खड़े हो गए पर जा स्वच्छ वायु, पानी और भोजन का अकाल हो जाएगा तब इन भवनों का कोई भी क्या उपयोग कर लेगा?
आज मानवता गंभीर संकट से जूझ रही है. वैश्विक तापमान बढ़ने से जलवायु परिवर्तन का अनुभव होने लगा है. धरती की नमी कम हो रही है, भूजल का स्तर नीचे और नीचे की ओर खिसक रहा है. हवा सांस लेने लायक कम होती जा रही है और हम विकास की परिभाषा परिस्कृत किये बिना विकास-विकास चिल्ला रहे हैं. हम ऊंची-ऊंची अट्टालिकाओं, सुंदर बिजनेस सेंटरों, पंचतारा होटलों, महंगे शॉपिंग मॉलों और विलासी जीवन को मानव-विकास का मानदंड समझ बैठे हैं!
इसमें परिवर्तन किये बिना धरती और उस पर स्थित मानव सहित सब जीवों का अस्तित्व बचान कठिन होगा.


सिंगापुर यात्रा के संस्मरण!
aasthanegi

Website: https://uknationnews.com

Related Story
Cases and lawsuits World
Despite best efforts family of late Talal Abdo stuck on retribution in Nimisha Priya’s case as per “Qisas”.
Sunil Negi Jul 17, 2025
Crime World
Will the Kerala origin nurse in Yemen whose hanging has been postponed temporarily be pardoned ?
Sunil Negi Jul 16, 2025
World
Trump warns Russia to bring peace within 50 days failing which he will impose 100 % tariffs on Russia
Sunil Negi Jul 15, 2025
World
Five Communist parties strongly condemn US bombing of Iran
aasthanegi Jun 22, 2025
World
Black money stashed in foreign banks didn’t come back but yes Rs. 37600 crores deposited in Swiss banks in 2024 reveal newspaper reports
Sunil Negi Jun 20, 2025
World
After Israel attacks Iran, the latter retaliates causing extensive damage attacking Israel primary hospital with missiles. Khameini goes underground with family. Israel vows to kill the Iran Supreme leader
Sunil Negi Jun 19, 2025
World
Pak field marshal and Army general Asim Mir invited as chief guest at US Army’s significant event on June 14
aasthanegi Jun 12, 2025
Uttrakhand World
Former union education minister and ex CM Uttarakhand Dr.Nishank’s daughter walks of Cannes at French Rivera’s red carpet with proud as India and Uttarakhand’s daughter
aasthanegi May 22, 2025
Tourism, Travel, Mythology, Environment, Uttrakhand World
Sonam Wangchuk says one government can’t be good and another bad for environmental degradation. We should oppose all governments if our environment or ecology of Himalayas is degraded / harmed. Opposition can’t be selective
Sunil Negi May 21, 2025
India Uttrakhand World
I believe that it was our biggest strategic failure that India’s great friend Sheikh Hasina was overthrown in Bangladesh : Harish Rawat
aasthanegi May 20, 2025

Leave a Reply
Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

YOU MAY HAVE MISSED
Uttrakhand
Chargesheet filed by ED against Dr. Harak Singh
Sunil Negi Jul 20, 2025
Uncategorized
7th Edition of ‘Nirantar Neeraj Series’ Celebrates Literary Excellence with Neeraj Samman 2025 at Press Club precincts in New Delhi
aasthanegi Jul 20, 2025
Uttrakhand
Wild elephant attacks the noise making Kanwarias and overturned their tractor and DJ
Sunil Negi Jul 19, 2025
Uttrakhand
Former Superintendent of AICC who served for more than six decades in Congress Delhi office is no more
aasthanegi Jul 19, 2025

Copyright © 2024 | Powered by WordPress | Provo News by ThemeArile