इंडियन आर्चरी को मिली एनटीपीसी की उर्जा
भारतीय उप- महाद्वीप में सालों से हम पौराणिक ग्रंथों और कहानियों में धर्नुविद्या की यशगाथा को सुनते आ रहे हैं। इन कथाओं में एकलव्य और द्रोणाचार्य की चर्चा और उदाहरण आम है।इधर भारतीय खेलों में इंडियन आर्चर हमेशा मेडल जीतकर चौंकाते भी रहे हैं। लेकिन टोकियो ओलंपिक के बाद इसकी चर्चा और तेज होती गई। दिलचस्प है कि 2021 के बाद हुए सभी इंटरनेशनल खेल आयोजन में भारतीय खिलाड़ियों ने कुल 49 मेडल जीते , जिसमें बीस स्वर्ण, बीस रजत और नौ कांस्य पदक शामिल थे। हलांकि इस सफलता के पीछे देश की कई कम्पनियों समेत टाटा समूह का विशेष योगदान रहा है। अब सरकार की बारी थी कि आर्चरी के खिलाड़ियों पर अलग से ध्यान दिया जाय। सरकार को लगता है कि अगर खिलाड़ियों को खेल मैदान, ट्रेनिंग सेंटर और नई टेक्नोलॉजी और कोचिंग की सुविधाएं दी गई तो मेडलों का आंकड़ा विश्वस्तरीय हो सकता है। ऐसे में भारत सरकार ने एक विशेष निर्णय लेकर युवा और खेल मंत्रालय के अधीन एनएसडीएफ (नेशनल स्पोर्टस डेवलपमेंट फंड) और उर्जा मंत्रालय के एनटीपीसी के बीच एक करार (एमओयू) किया गया। इस करार के तहत एनटीपीसी देश में आर्चरी को बढ़ावा देने और वर्ल्ड क्लास फैसीलीटी डेवलप करने के लिए एनएसडीएफ के माध्यम से अपने सीएसआर फंड से एक सौ पंद्रह करोड़ की राशि अगले पाँच वर्षों तक खर्च करेगी। दिल्ली में एमओयू के मौके पर केंद्रीय उर्जा मंत्री आर के सिंह और केंद्रीय युवा और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर की मौजूदगी में एनटीपीसी के सीएमडी गुरदीप सिंह ने कहा कि अभी पहली राशि के तौर पर पंद्रह करोड़ दिये जा रहे हैं। बांकि के सौ करोड़ को अगले पाँच वर्षों में बीस करोड़ प्रति वर्ष दिये जायेंगे। ये तमाम राशि आर्चरी के मैदान, ट्रेनिंग सेंटर, और बेहतरीन कोचिंग फेसलीटी, खिलाड़ियों के किट पर खर्च किए जायेंगे। इसके तहत एक पूल प्लेटफार्म भी तैयार किया जायेगा , जहाँ खिलाड़ियों की प्रतिभा पहचान की जायेगी। इस मुहिम में SAI और AAI की मदद से विश्वस्तरीय सुविधा तैयार की जायेगी। साथ ही जूनियर और सीनियर लेवल के चैम्पियन खेल स्पर्धा तैयार किया जायेगा। अबतक एनटीपीसी ने हर बड़े खेल आयोजन यानि नेशनल और इंटरनेशनल आयोजन में भी चढ़बढ़ कर हिस्सा लेता रहा है और सैकड़ों स्कूल, गांव और हेल्थ सुविधाओं में अपना सीएसआर खर्च कर रहा था।
(writer is senior Journalist)