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India

बाबासाहेब स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और सामाजिक न्याय के लोकतांत्रिक सिद्धांतों के समर्थक थे : मल्लिकार्जुन खरगे

14 अप्रैल 2023

बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर की १३२ जयंती पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे ने कहा : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से हम आज डॉ बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर की 132 वीं जयंती पर उनके अतुलनीय योगदान को श्रद्धापूर्वक नमन करते हैं।
बाबासाहेब स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और सामाजिक न्याय के लोकतांत्रिक सिद्धांतों के समर्थक थे।
वे आर्थिक और सामाजिक रूप से भारत और उसके समाज के परिवर्तन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के प्रति दृढ़ थे। उन्होंने बड़ी संख्या में मजबूत संस्थानों की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और Caste Discrimination, Gender Inequality और Divisive Politics को समाप्त करने के लिए कई महत्वपूर्ण interventions किए।


उस समय के एक प्रमुख अर्थशास्त्री के रूप में,भारत की खेती, इसके Water Resource Management और हमारे बैंकिंग Sector में RBI की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
उनकी बेहतरीन विरासत को संरक्षण के लिए निरंतर देखभाल की जरूरत है।
आज हमारे संवैधानिक लोकतंत्र की नींव हमारे आधुनिक भारत के महान निर्माताओं जैसे – पंडित नेहरू जी , सरदार पटेल जी , मौलाना आज़ाद जी और नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी ,ने जिस चीज की कल्पना की और बनाई, वह गंभीर खतरे में है।
संसद बहस के बजाय युद्ध के अखाड़े में तब्दील हो गई है। विपक्ष द्वारा नहीं, बल्कि सत्ता पक्ष द्वारा ही। यह याद करने का समय है कि डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने कहा नवंबर 1949 में संविधान सभा में अपना समापन भाषण देते हुए और मैं उद्धृत करता हूँ –
“संविधान की प्रभावशीलता पूरी तरह उसकी प्रकृति पर निर्भर नहीं है। संविधान, केवल राज्यों के अंगो – जैसे विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका — का प्रावधान कर सकती है। राज्य के इन अंगों का प्रचालन जिन तत्वों पर निर्भर है, वे हैं जनता और उनकी आकांक्षाओं तथा राजनीति को संतुष्ट करने के उपकरण में उनके द्वारा गठित, राजनीति दल। कौन कह सकता है कि भारत के लोग और उनकी पार्टियां कैसा व्यवहार करेंगी?”

किसी पर भी जबरन चुप्पी साधने की संस्कृति- विपक्षी दल हों, civil society समूह, activists, गैर सरकारी संगठन, न्यायपालिका, मीडिया और आम नागरिक – और उन्हें ‘देशद्रोही’ के रूप में ब्रांडिंग करना एक खतरनाक चलन है,जो हमारे लोकतंत्र को खत्म कर देगा और हमारे संविधान को नष्ट कर देगा।
बाबासाहेब ने हमें भारतीय राजनीति के संदर्भ में ‘हीरो-पूजा’ या ‘भक्ति’ की बुराइयों के बारे में चेतावनी दी थी।
उन्होंने कहा “भारत में, भक्ति या जिसे भक्ति या नायक-पूजा का मार्ग कहा जा सकता है,वह दुनिया में किसी भी अन्य देश की राजनीति में निभाई जाने वाली भूमिका से परिमाण बहुत अधिक रूप से अपनी भूमिका निभाता है।धर्म में भक्ति आत्मा के उद्धार का मार्ग हो सकता है। लेकिन राजनीति में, भक्ति या नायक-पूजा पतन और अंततः तानाशाही के लिए एक निश्चित मार्ग है।”
मेरे साथी नागरिकों,
यह गंभीर आत्मनिरीक्षण का समय है, क्या हम अपने लोकतंत्र के पतन की अनुमति देंगे और तानाशाही के लिए मार्ग प्रशस्त करेंगे? या हमारे संविधान निर्माताओं के बेहतरीन आदर्शों की रक्षा करने का प्रयास करेंगे?
इसका चुनाव केवल हमें — “हम भारत के लोगों” को तय करना है।

इसी बीच राजधानी स्वतंत्र पत्र लेखक मंच एवं अखिल भारतीय स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखक संघ के राष्ट्रीय महामंत्री शिक्षाविद् दयानंद वत्स के सान्निध्य में आज संघ के मुख्यालय बरवाला में भारत रत्न बाबा साहेब
इस अवसर पर दयानंद वत्स ने कहा कि डॉ, अंबेडकर समूचे विश्व की धरोहर हैं। उनकी शिक्षाएं और आदर्श आज भी वैश्विक जगत के लिए प्रासांगिक हैं। उन्होने कहा था शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो। उनका यह कथन विश्व के सबसे बडे लोकतांत्रिक देश भारत के संदर्भ में मील का पत्थर साबित हुआ है। डॉ. अम्बेडकर ने शिक्षा को अंगीकार करने पर सबसे अधिक बल दिया था। वत्स ने कहा कि बाबा साहब के आदर्शों और सिद्धांतों पर चलना ही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी।


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