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Uttrakhand

इस हाड़ कंपा देने वाली ठंड में दिल्ली दरबार पहुंचा उत्तराखंड के पैंशनरों का आन्दोलन।
महामहिम राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री भारत सरकार को सौंपा ज्ञापन।



५ जनवरी को दिल्ली के जन्तर- मन्तर पर उत्तराखंड से यहां पहुंचे सैकड़ों पैंशनर्स का धरना प्रदर्शन दिन भर जारी रहा. शायं 4 बजे महामहिम राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपने के बाद ही धरना समाप्त किया गया.
धरना स्थल पर सभा को संबोधित करते हुए उत्तराखंड गवर्नमेंट पैशनर्स संगठन के अध्यक्ष तुला सिंह तड़ियाल ने कहा है कि महज़ पैंशन से असंवैधानिक कटौती को बन्द किए जाने को लेकर चलाया गया यह आन्दोलन अब तीसरे वर्ष में प्रवेश कर गया है।

तड़ियाल ने कहा कि, सरकार ने बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराये जाने के नाम पर पैंनशनरों की सहमति लिए वगैरह उनकी पैंशन से 250, 450, 650, व 1000 रुपए की मासिक कटौती कर दी।

शुरू के दिनो में पैंशनर्स इस योजना को लेकर उत्साहित थे उन्हें लगा बुढ़ापे में यह योजना उनके लिए सहारा बनेगी और उन्हें किसी पर आश्रित नहीं होना पड़ेगा धीरे-धीरे इस योजना की कलई उतर गई आज पैंशन से कटौती को पूरे दो साल हो गए हैं अभी तक 90 प्रतिशत लोगों के गोल्डन कार्ड नहीं बने हैं जिसके जरिए पैंशनर्स का इलाज होना है.अस्पतालों के साथ एमओयू नहीं हुआ है जिसके कारण जिनके गोल्डन कार्ड बन चुके हैं उन्हें भी इलाज की कोई सुविधा नही मिल रही है।

यहां के सरकारी अस्पताल भी इस गोल्डन कार्ड को स्वीकार नहीं कर रहे हैं पैंशन से वसूली गई धनराशि की बंदरबांट हो रही है इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की पहली वर्षगांठ पर ही 59,37,008 रुपए खर्च किए गए केवल प्रचार प्रसार पर 2,84,77,600 रुपए खर्च हुए 6,52,333.50 रुपए मासिक किराये पर एक आफिस लिया गया। अस्पतालों में डॉक्टर से लेकर सफाई कर्मचारी तक को प्रोत्साहन राशि इसी पैसे से दी जानी है। भारी भरकम स्टाफ को सेलरी व तमाम तरह के खर्चे भी पैंशन से वसूली गई धनराशि से ही पूरे किए जाने हैं।

यहां के पैंशनरों को ब्रिटिश काल से मिलने वाली चिकित्सा प्रतिपूर्ति की व्यवस्था को समाप्त किया गया है यहां तक कि, केन्द्र सरकार द्वारा संचालित आयुष्मान भारत योजना से भी यहां के पैंशनर्स को वंचित कर दिया गया है प्रदेश में पैंशनर्स/ सीनियर सिटीजन के इलाज के सारे रास्ते बंद हैं पिछले दो वर्षों से राज्य के पैंशनर्स इस अन्याय के खिलाफ सड़कों पर हैं परन्तु सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है यही वजह रही आज उत्तराखंड के पैंशनर्स दिल्ली दरबार आ धमके।

श्री तड़ियाल ने कहा कि, सरकार ने उत्तराखंड राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण नाम का यह एनजीओ पैंशनरों की जेबों पर डाका डालने के लिए डिजाइन किया है प्रदेश के महालेखाकार कार्यालय भी इसके खर्चें की जांच नहीं कर सकता। सरकार के इन काले कारनामों को राष्ट्रीय फलक पर उठाने के लिए

आज़ दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना प्रर्दशन के माध्यम से भारत के प्रधानमंत्री व महामहिम राष्ट्रपति महोदय को ज्ञापन देने का कार्यक्रम रखा गया है। बैठक को सेवानिवृत्त जिला विद्यालय निरीक्षक श्री डी एस नेगी, के एन कबडवाल, गोपाल दत्त भगत, बाला दत्त मठपाल, नवीन चन्द्र रिखाड़ी, उत्तराखंड क्रांति दल के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष कैलाश थपलियाल, पी एस शाही, मीनाक्षी घिडियाल, दीपक भाकुनी, एक्टू के दिल्ली प्रदेश सचिव सूर्य प्रकाश सहित दर्जनों लोगों ने सम्बोधित किया।

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