वरिष्ठ पत्रकार योगेश भट्ट जी को राज्य सूचना आयुक्त बनाये जाने पर ढ़ेर सारी शुभकामनाएं।
Saraswati P Sati
श्री योगेश भट्ट की सूचना आयुक्त के पद पर नियुक्ति जेठ की तपती दुपहरी में सल्ल से ठंडी हवा का झौंका जैसा है। जब हर तरफ अयोग्यताओं का बोलबाला हो, जहां हर तरफ अराजकता पसरी हो, वहां योगेश को इस महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त किया जाना कुल मिला कर सरकार के प्रति सकारात्मक माहौल बनने का एक कृत्य माना जा सकता है।
योगेश की ढाई दशक की जनपक्षी पत्रकारिता का बेदाग सफर उसके व्यक्तित्व की बानगी भर है। योगेश जो देखा वो लिखा वाली सिखंडी पत्रकारिता से इतर खबर का पेट फाड़ कर जो विश्लेषण करते रहे, वह अपने आप में विलक्षण है। उनके पत्रकारिता जीवन पर कोई भी यह नहीं कह सकता कि वो किसी एक पक्ष की तरफ झुके थे। उनकी पक्षधरता सिर्फ जनपक्ष कही जा सकती है।
योगेश से मेरी मुलाकात शायद 7 नवम्बर 1995 को श्रीयंत्र टापू पर श्रीनगर में हुई थी। जब वो वहां राज्य आंदोलन के तहत चल रहे अनशन में हिस्सा लेने के लिए आए। थे। बाइस तेईस साल का बच्चा। इस दौरान दस नवंबर को हमको बर्बर तरीके से कूट पीट कर सहारनपुर जेल में ठूंसा गया। वहां उन चौदह दिनों में योगेश छोटा भाई बन गया। बदमाश शरारती भी और कुछ हट कर करने का जज्बा रखने वाला भी।। योगेश के धुर विरोधी भी उसके जज्बे के मुरीद हैं।
इस बीच योगेश को जो मैने पाया उससे मेरी उसके प्रति अवधारणा और पुख्ता हुई कि यह लड़का चट्टान की तरह है। इस बीच उसकी जिंदगी में काफी उतार चढ़ाव भी आए। धमकियों से लेकर प्रलोभनों तक योगेश के पास पत्रकारिता के सैकड़ों एक्सपीरिएंस हैं।
मेरा दृढ़ विश्वास है कि योगेश सूचना आयुक्त के रूप में शानदार कार्य करेंगे।
योगेश जी को कोटिशः बधाइयां और सरकार से लेकर विपक्ष को भी साधुवाद।।