१० जून से बढे बिजली के बिल आएंगे दिल्ली के उपभोक्ताओं को , गैस और कोयले के महंगे होने की वजह हुई ये बढ़ोतरी
दिल्ली में पानी फ्री , बिजली सस्ती , अस्पतालों में फ्री औषधियों और सरकारी विद्यालयों की स्थिति में क्रांतिकारी और आमूलचूल परिवर्तन लाने का दावा करने वाली आप सर्कार के राज में अब दिल्ली के एक करोड़ से अधिक उपभोक्ताओं को महँगी बिजली की मार झेलनी पड़ेगी . यूँ तो दिल्ली क्या देश का आम जनमानस घरेलु गैस पेट्रोल डीज़ल और आस्मां छूती महंगाई से पहले ही कुंठित और पीड़ित है , अब दिल्ली की जनता को बिजली के बढ़ते दामों की मार झेलनी पड़ेगी. इस वक़्त दिल्ली में बिजली के २०२०-२१ में दिल्ली में ६४ लाख बिजली उपभोक्ता थे जिनकी संख्या अब एक करोड से ऊपर पहुंच गयी है, एक अनुमान के मुताबिक .
राजधानी दिल्ली में बिजली खपत भी काफी है ख़ासकर गर्मियों में. एक स्टडी के मुताबिक़ २०१७ १८ में दिल्ली का कुल इलेक्ट्रिसिटी कंस्स्म्पशन ( खपत) ३८५१० मिलियन यूनिट्स थी जो अब कहीं अधिक बढ़ गयी है . बढ़ती गैस और कोयले की कीमतों का ही नतीजा है की अब दिल्ली में १० जून से बिजली के टेर्रिफ्स में बढ़ोतरी होने जा रही है .
मौजूदा खबरों के मुताबिक दिल्ली विद्युत् विनियामक आयोग ( दिल्ली स्टेट रेगुलेटरी कमीशन) ने दिल्ली में अब अलग अलग बिजली कंपनियों के लिए अलग अलग पावर परचेस एग्रीमेंट यानी पी पी ऐ सी की घोषणा कर दी हैं जिनके मुताबिक दस जून से बिजली की बढ़ी हुई दरें लागू हो जाएंगी जो जुलाई के बिलों के जरिये आपके घर पहुंचेंगी.
इस समय दिल्ली में अम्बानी बी इस ई एस्स, राजधानी , बी एस्स ई एस यमुना , टाटा पावर आदि बिजली का वितरण कर रहे हैं . दिल्ली विद्युत विनिमायक आयोग के नए आदेश के मुताबिक बी एस ई एस यमुना क्षेत्र में ६ परसेंट , बी एस ई एस राजधानी क्षेत्रों में चार परसेंट , और टाटा पावर डिसकाम क्षेत्रों में २% बिजली दामों में बढ़ोतरी क जायेगी . दरअसल अपने आदेश में दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन ने स्पष्ट तौर पर सूचित किया कि दिल्ली बिजली वितरण कम्पनियॉं की निरंतर मांग रही है कि चूँकि बहार से आयात किये जा रहे कोयले और गैस की कीमतों में बढ़ोतरी हो गयी है इसलिए उन्हें भी अपनी दरों में बढ़ोतरी करनी होगी .
ताकि निरंतर २४ घंटे बिजली आपूर्ति हो सके और उनका कॅश फ्लो भी कायम रहे. इन डिस्कॉम्स ने अपने घाटे का भी िकर किया जिसके मुताबिक बी एस ई एस मई माह २०२२ तक १६६ करोड़ रुपये के घाटे पर चल रही है जबकि बी इस ई एस यमुना को ३८ करोड़ का फायदा हुआ. वहीँ दूसरी तरफ उसने १६३ करोड़ रुपयों का पावर परचेस पेमेंट को लंबित कर दिया और ७४ करोड़ के न्य खर्चो को भी डिले कर दिया जिसका कारण बताया ७४ करोड़ उपाय का शॉर्टफॉल. इसी प्रकार बी आर पी एल ने १७८ करोड़ रूपए के पावर परचेस पेमेंट को ही लंबित कर दिया क्यों उन्हें प्राप्ति नहीं हो सकी.इसी प्रकार टाटा पावर ने भी शार्ट टर्म लोन्स के जरिये ४२२ करोड़ रुपयों का शार्ट फॉल बताया .
आज तक के मुताबिक बीवाईपीएल ने 17.16%, और बीआरपीएल ने 20.22% बढ़ोत्तरी की मांग सितंबर 2022 तक के लिए की थी. जबकि टाटा पावर ने मार्च 2023 तक के लिए 25% का इजाफा मांगा था. कमीशन ने डिस्कॉम की इन मांगों पर विचार किया और पाया कि गर्मियों में बिजली की मांग बढ़ने से थर्मल पावर प्लांट को अपनी क्षमता बढ़ानी पड़ी, लेकिन घरेलू कोयले की कमी की वजह से जेनेरेशन पर असर पड़ा. 28 अप्रैल को केंद्र सरकार ने इंपोर्ट होने वाले कोयले की 10 फीसदी ब्लेंडिंग का आदेश दिया. जबकि उसे 18 मई को 30 फीसदी तक बढ़ाया जो अगले साल 31 अगस्त तक लागू रहेगा. ऐसा करने के लिए बिजली के खरीदारों से अनुमति की जररूत नहीं है. ” आज तक “, ने आगे लिखा की उसके बाद सीईआरसी यानि केंद्रीय विद्युत विनिमायक आयोग ने भी एक पेपर जारी कर बताया कि 30% ब्लेंडिंग की वजह से बिजली की कीमत 100 फीसदी तक बढ़ सकती है. अप्रैल महीने के लिए शॉर्ट टर्म पावर परचेज कॉस्ट को 12 रुपए प्रति यूनिट तक तय किया गया. 100 फीसदी डिमांड को पूरा करने के लिए डिस्कॉम ने अप्रैल के महीने में 240 मिलियन यूनिट पावर एक्सचेंज में खरीदे, जो कि मई के महीने में बढ़कर 450 मिलियन यूनिट पहुंच गया. इस वजह से मई के महीने में पहली बार 7000 मेगावाट बिजली की मांग पहुंचने के बावजूद उसे पूरा किया गया.
अप्रैल के महीने में BRPL, BYPL और TPDDL ने क्रमश: 168 करोड़, 132 करोड़ और 61 करोड़ का नुकसान उठाया, जबकि मई के महीने में BRPL को 166 करोड़ का नुकसान हुआ और उसी दौरान BYPL को 38 करोड़ का सरप्लस रहा.
BRPL ने कहा कि वो बिजली जेनेरेशन कंपनियों के 74 करोड़ का भुगतान नहीं कर पाई है. BYPL ने भी ये डीईआरसी को लिखा कि अप्रैल और मई महीने में उसपर 163 करोड़ की देनदारी है और वहीं TPDDL ने भी लिखा कि उसने 423 करोड़ शॉर्ट टर्म लोन लेकर चुकाए हैं.