उत्तराखंड हेमकुंड साहिब से १६००० फ़ीट ऊपर बनने जा रहे नए हेलीपेड का किया ग्रामीणों ने जबरदस्त विरोध , सरकार जो ज्ञापन , आंदोलन की धमकी

हेमकुंड साहिब ऐतिहासिक धार्मिक स्थल के करीब १६ हज़ार फ़ीट की ऊंचाई पर प्रतिबंधित विश्वधरोहर , संरक्षित और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से अतिसंवेदन शील क्षेत्र में हेलीपेड के निर्माण के विरुद्ध क्रोधित क्षेत्रीय जनता खासकर भ्यूंडार.पुलना गाँव के ग्रामीणों ने जमकर आवाज़ उठायी है. भ्यूंडार ग्रामीणों ने इस नवनिर्मित हेलिपैड को हिमलयी शांतिपूर्ण, अतिसंवेदनशील ऐतिहासिक हेमकुंठ साहिब गुरूद्वारे सहित वहां के पर्यावरण के लिए घातक बताते हुए सरकार की इस योजना को जल्द से जल्द रोकने की मांग करते हुए क्षेत्रीय केदारनाथ विधायक को ज्ञापन दिया है और उनकी इस मांग पर गौर न करने की सूरत में आंदोलन को व्यापक बनाने की धमकी दी है. उत्तराखंड केदारनाथ के विधायक को प्रेषित इस ज्ञापन में भ्यूंडार निवासियों ने मांग की है की इस हेलिपैड का निर्माण तुरंत रद्द किया जाए क्योंकि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से इस अतिस्वेदनशील क्षेत्र को बहुत हानि हो सकती है . इस आपातकालीन हेलीपेड निर्माण से कई प्रजापति की वनस्पति , जंगली जानवर जैसे बाघ , चीते रीछ , फूलों की घाटी बुग्याल इत्यादि को जबरदस्त नुक्सान होगा और यहाँ का पर्यावरणीय संतुलन की भी बेतहाशा हानि होगी. इस ज्ञापन को पढ़कर इस बात का स्पष्ट अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये निर्माण किस बेतरतीब तरीके से उत्तराखंड के शांत जीवन और वहां के पर्यावरण को बाधित कर रहे हैं .हिमालय के पर्यावरन के लिए सदैव चिंतित अतुल सती ने अपने ट्वीट में लिखा है की हेमकुंट के आजदीक १६००० फ़ीट की ऊंचाई पर प्रतिबंधित, विश्व धरोहर , संरक्षित , संवेदनशील क्षेत्र में हेलीपेड निर्माण के खिलाफ आज भ्यूंडार पुलना के ग्रामीणों ने ज्ञापन दिया है. उन्होंने मांग की है कि इस हेलिपैड का निर्माण कार्य तुरंत बंद कराया जाय अन्यथा वे आंदोलन को बाध्य होंगे .

4 comments
Onkar Uttarakhandi

अतुल सती और भ्यूंडार ग्राम वासियों की चिंता किसी हद तक सही हो सकती है। परंतु विकास के लिये कुछ तो दांव पर लगाना ही पड़ेगा।
आपातकालीन लैंडिंग सुविधा होना एक बहुत बड़ी आवश्यकता व सहायता साबित होती है। बहुत से तीर्थटकों व पर्यटकों के बर्फानी व कम आक्सीजन वाले क्षेत्र मे फंसने से उनको शीघ्र उचित चिकित्सा हेतु मैदानी चिकित्सालयों मे लाया जा सकता है।
एक हेलीपैड बनाने मे अधिक जगह की आवश्यकता नही होती। वो तो रऊफ टॉप पर भी लैंड कर जाते हैं।
कोई भी निर्णय लेने से पूर्व हानि व उपयोगिता का संतुलित आंकलन कर लेना चाहिये। न्यूज पेपर की हेडलाइंस मे आने के लिये ही विरोध प्रदर्शन करना संभवतः तर्क सम्मत न हो । जिस धरती पर हम खड़े हैं, उसपर भी बहुत सी लाभदायी जड़ी बूटी या बनस्पतियां हो सकती हैं। अतः मात्र तर्क उचित नहीं।

गोविन्द गोपाल

प्रशासन को स्थानीय लोगों के विचार और चिंताएं सुनने की आवश्यकता है . जैसा कि सूचना आ रही है कि पूर्व में वहाँ पर एक हेलीपड बना हुआ है तो दूसरे हेलीपैड को क्यों विकसित किया जा रहा है ? इसे समझाने और समझाने की आवश्यकता है . उत्तराखंड में विकास के नाम पर पहिले ही पर्यावरण के विरुद्ध बहुत उत्पात हो चुका है और विकास कम . नेटवर्किंग में माहिर ठेकेदार से नेता के पिछलग्गू बने बहुत से लोग अचानक एक नया प्रोजेक्ट लेकर पहुँच जाते हैं और फिर हमारे टैक्स के पैसे की बर्बादी कर हल्द्वानी या देहरा दून में आलीशान कोठी बना कर बस जाते हैं, ऐसे में विकास तो हुआ नहीं पर इकोलॉजी का विनाश हो गया है. घ्यान देने की बात है कि विकास और विनाश में अंतर जल्दी समझना होगा . स्थानीय लोगों का मनोबल बहुत बड़ी पूंजी हैं क्योंकि वे प्रथम पंक्ति के अवैतनिक सुरक्षाकर्मी हैं .

गोविन्द गोपाल

प्रशासन को स्थानीय लोगों के विचार और चिंताएं सुनने की आवश्यकता है . जैसा कि सूचना आ रही है कि पूर्व में वहाँ पर एक हेलीपड बना हुआ है तो दूसरे हेलीपैड को क्यों विकसित किया जा रहा है ? इसे समझाने और समझाने की आवश्यकता है . उत्तराखंड में विकास के नाम पर पहिले ही पर्यावरण के विरुद्ध बहुत उत्पात हो चुका है और विकास कम . नेटवर्किंग में माहिर ठेकेदार से नेता के पिछलग्गू बने बहुत से लोग अचानक एक नया प्रोजेक्ट लेकर पहुँच जाते हैं और फिर हमारे टैक्स के पैसे की बर्बादी कर हल्द्वानी या देहरा दून में आलीशान कोठी बना कर बस जाते हैं, ऐसे में विकास तो हुआ नहीं पर इकोलॉजी का विनाश हो गया है. घ्यान देने की बात है कि विकास और विनाश में अंतर जल्दी समझना होगा . स्थानीय लोगों का मनोबल बहुत बड़ी पूंजी हैं क्योंकि वे प्रथम पंक्ति के अवैतनिक सुरक्षाकर्मी हैं .

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