उत्तराखंड के कोट ब्लॉक , जिला पौड़ी गढ़वाल के टुंगर गाँव में चोर दो घरों में चोरी कर लाखों के गहने और नकदी लेकर फरार

उत्तराखंड के कोट ब्लॉक , जिला पौड़ी गढ़वाल के टुंगर गाँव में चोर दो घरों में चोरी कर लाखों के गहने और नकदी लेकर फरार हो गए .

इस घटना के बाद कोट कोट ब्लॉक के आस पास के गाँवों के लोग काफी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. टुंगर गाँव में चोरी की इस घटना जिसमे दो घरों से लाखों के गहने और हज़ारों की नगदी लूटी गयी है, से सभी लोग और रेवेन्यू पुलिस सकते में हैं, क्योंकि अमूमन इतनी बड़ी चोरी इस ब्लॉक के गाँवों में पहले कभी नहीं हुई .

कुछ दिन पहले इसी ब्लॉक के कठुड गाँव में एक नरभक्षी बाघ ने तीन लोगों को घायल कर दिया था जिसे वन विभाग ने बाद में पिंजरे में कैद क्र रेस्क्यू किया था.

टुंगर गाँव की इस लाखो के गहनों और नगदी की चोरी के बाद जनता सेहमी हुई है और पुलिस जोर शोर से तफ्तीश में व्यस्त है.

इससे पहले दो माह पूर्व चोर श्रीनगर से 13 किलोमीटर दूर कांडा गाँव के पास लुनेटा गांव में एक सात चार घरों के ताले तोड़कर हज़ारों की नकदी और गहने लेकर चम्पत हो गए थे.

ये शातिर चोर गाँव में रात भर रहे, मुर्गा बनाया , शराब का सेवन किया और बहुत ही इत्मीनान से सोये भी और फिर प्रातः नै दो ग्यारह हो गए.

जिनके घरों के ताले तोड़े गए वे देहरादून दिल्ली या नौकरी के चलते बाहर रहते थे. आज तक शायद इन चोरों का कोई अता पता नहीं .

सूत्रों के मुताबिक इन दिनों उत्तराखंड के विभिन्न शहरों और गाँव में संदिग्ध चरित्र के लोग आये दिन सामान बेचने की आड़ में घूम रहे हैं . इनमे ज्यादातर लोगों का कोई आईडेंटिफिकेशन नहीं है .

ये इस प्रकार की घटनाओं को अंजाम देकर गायब हो जाते हैं . गाँव में रेवेन्यू पुलिस पूरी तरह से नाकामयाब है.

टुंगर गांव की इस चोरी के पीछे कौन जिम्मेदार है ये तो पुलिस ही बताएगी लेकिन इतना अवश्य है की उत्तराखंड में इन दिनों बाहरी तत्वों की व्यापक पैमाने पर पैठ हो चुकी है और देवभूमि उत्तराखंड अपराधियों की सैरगाह बनती जा रही है . इसका स्पष्ट उदहारण ये है की मशहूर सिंगर और रेप्पर सिद्धू मूसेवाला केस के कई संदिग्ध अपराधी देहरादून से पकडे गए हैं .

मुझे अभी भी याद है की कई वर्ष पहले कोट ब्लॉक के कठुड गाँव के क दुकानदार जिनकी आज भी डांडा पानी में गाँव से रात का खाना खाकर दूकान आते वक़्त रास्ते में नेपाल के व्यक्ति ने जो वहीँ काम करता था उनकी हत्या कर दी और चाबी लेकर दुकान गया कॅश की चोरी की और भाग गया. उसका आज तक कोई आता पता नहीं सिर्फ इसलिए की उसक कोई आइडेंटिफिकेशन नहीं था .ये वर्षों पुराणी बात है. प्रसाशन को अब सचेत होने की जरुरत है खासकर इसलिए भी क्योंकि गाँव खाली हो रहे हैं और जो कम आबादी वहां रह रही है वो असुरक्षित है . धीरे धीरे गांव में भीआवांछित तत्त्व ठिकाना ढून्ढ रहे हैं. फेरी वालों के नाम या फिर मजदूरी की आड़ में.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *