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Uttrakhand

भारत के स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में मध्य हिमालय की भूमिका”

आज़ादी का अमृत महोत्सव आयोजन के तहत बुरांस साहित्य एवं कला केन्द्र ने ‘स्वतंत्रता संग्राम में मध्य हिमालय क्षेत्र का योगदान’ विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया। नोएडा सेक्टर 34 स्थित भारतीय धरोहर पत्रिका के सभागार में आयोजित इस गोष्ठी में हिन्दी अकादमी, भोजपुरी-मैथली अकादमी के पूर्व सचिव और साहित्यिकार डाॅक्टर हरिसुमन बिष्ट, पत्रकार और लेखक डाॅक्टर हरीश लखेड़ा, गढ़वाल हितैषणी सभा के पूर्व महासचिव एवं सामाजिक कार्यकर्ता पवन कुमार मैठाणी, भाजपा नेता सीए राजेश्वर पैन्यूली, भारतीय धरोहर पत्रिका के संपादक प्रवीण शर्मा ने स्वतंत्रता संग्राम में उत्तराखंड के योगदान पर अपने विचार रखे।
पवन कुमार मैठाणी ने कहा कि इतिहास गवाह है कि मध्य हिमालय के लोगों ने देश की आजादी की लड़ाई में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। बात चाहे भारतरत्न गोविन्द वल्लभ पंत की हो या फिर वीर चंद्र सिंह गढ़वाली,भवानी सिंह रावत,हरीराम टम्टा और सदानंद कुकरेती की एक लंबी फेहरिस्त है पहाड़ के स्वतंत्रता सेनानियों की। मैठाणी ने पहाड़ के गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों को इतिहास में उचित स्थान दिलाने की मांग करते हुए कहा कि स्वतंत्रता सेनानी भवानी सिंह रावत को इतिहास में वह स्थान नहीं मिला जिसके वो असली हकदार थे।
पत्रकार लखेड़ा ने रिखणीखाल इलाके के स्वतंत्रता सेनानियों का स्मरण करते हुए कहा कि जब वो लखेड़ा वंशावली पर काम कर रहे थे तो लखेड़ा जाति के स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में उन्हें पता चला।
साहित्यकार डाॅक्टर हरिसुमन बिष्ट ने आजादी की लड़ाई में पहाड़ के लोगों की भूमिका को रेखांकित करते हुए अल्मोड़ा अखबार,सल्ड की क्रांति और महात्मा गांधी की अगुवाई में हुए दांडी मार्च में पहाड़ के लोगों की भागीदारी को याद किया।
भाजपा नेता और पेशे से चार्टर्ड अकाउन्टेंट राजेश्वर पैन्यूली ने कहा कि देश को अंग्रेजों के शासन से मुक्त कराने के लिए पौड़ी से लेकर पिथौरागढ़ तक, टिहरी से लेकर टनकपुर तक और चंपावत से लेकर चमोली तक सभी जगह पहाड़ के लोगों ने अपनी-अपनी भागीदारी निभाई। सीए पैन्यूली ने टिहरी के स्वतंत्रता सेनानियों का उल्लेख करते श्रीदेव सुमन,नागेंद्र सकलानी और परिपूर्णानंद के योगदान को बताया।
भारतीय धरोहर पत्रिका के संपादक प्रवीण शर्मा ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड के लोगों में राष्ट्रीयता की भावना एक नैसर्गिक गुण है। यही वजह है कि देश की आजादी के आंदोलन में उत्तराखंड के लोगों ने अपनी भूमिका का सफल निर्वाह किया।
इस अवसर पर मेरू रैबार से हरीश असवाल, वाइस आफ माउंटेन से जगमोहन ‘जिज्ञासु’ उपन्यासकार अर्जुन सिंह रावत ने भी अपने विचार व्यक्त किए। स्वाति व्यास, संध्या रावत, देवभूमि संवाद से सतेंद्र नेगी, लोकभारती के प्रसार प्रमुख नीरज सिंह, हरपाल सिंह, अनंत उनियाल,संजय नौडियाल सहित मीडिया,साहित्य और इतिहास से जुड़े लोग इस अवसर पर मौजूद रहे। विचार गोष्ठी की अध्यक्षता समाजसेवी विनोद कबटियाल ने की जबकि गोष्ठी का संयोजन और संचालन पत्रकार एवं साहित्यकार प्रदीप वेदवाल ने किया।

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