हजारों युवाओं के विरोध प्रदर्शन ने आखिरकार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को पेपर लीक घोटाले की सीबीआई जांच की मांग स्वीकार करने पर मजबूर कर दिया।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आखिरकार आंदोलनकारी युवाओं और छात्रों के आगे झुकते हुए खुद देहरादून स्थित धरना स्थल का दौरा किया और यूकेएसएसएससी पेपर लीक घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश करते हुए उनकी लंबे समय से लंबित मांग को स्वीकार करते हुए अपने फैसले की घोषणा की, जिससे पिछले कई दिनों से आंदोलन कर रहे युवाओं को बड़ी राहत मिली है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने पूरे दल-बल के साथ धरना स्थल पर पहुंचे और आंदोलनकारी युवाओं की पूरी संतुष्टि के साथ उनकी मांग पूरी की। मुख्यमंत्री धामी आज खुद धरना स्थल पर पहुंचे और युवा भर्ती पेपर लीक मामले की सीबीआई जांच की मांग को न केवल स्वीकार किया बल्कि तुरंत इसकी सिफारिश भी की, जो युवाओं की एकता की सबसे बड़ी जीत है।
मुख्यमंत्री का यह कदम न केवल राजनीतिक परिपक्वता दर्शाता है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि सच्चे नेतृत्व का दायित्व जनता के बीच जाकर उनकी बात सुनना है। हालांकि, सरकार पर दबाव बनाने में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के सीबीआई जांच संबंधी बयान की भूमिका को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। इस पूरी प्रक्रिया में युवाओं की भूमिका भी उतनी ही अहम रही। गांधीवादी तरीके से संयम और अनुशासन के साथ लगातार सात दिनों तक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करना कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। आज जब जरा सी उकसावे पर विरोध प्रदर्शन हिंसक हो जाते हैं, तो सत्ता पक्ष ने खुद मुख्यमंत्री, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष, मंत्रियों और विधायकों के बयानों के ज़रिए उन्हें भड़काने की पूरी कोशिश की है, लेकिन इन युवाओं ने साबित कर दिया कि शांति और धैर्य से सत्ता को भी दबाया जा सकता है। उनकी एकजुटता ने सत्ता के अहंकार को पिघलाया और बेरोजगारों की आवाज को सम्मान दिया। मुख्यमंत्री द्वारा संवाद का रास्ता अपनाना और युवाओं द्वारा संयमित संघर्ष, दोनों ही लोकतंत्र की मजबूती के प्रतीक हैं।