स्व. किरण नेगी और अंकिता भंडारी के लिए न्याय की गुहार कर रहे किरण के पिता और संघर्षरत कार्यकर्ताओं को जंतर मंतर धरनास्थल से हटाया

जंतर मंतर दिल्ली में अपनी बेटी किरण नेगी और उत्तराखंड की बेटी अंकिता भंडारी के कातिलों को फांसी के तखते पर पहुँचाने की मांग को लेकर १२ तारिक़ से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे किरण के माता पिता और सामाजिक कार्यकर्ताओं को पुलिस ने जबरन धरना स्थल से हटा दिया , उनके बैनर पोस्टर फाड़ दिए और जबरदस्ती प्रजांतरिक अधिकार से वंचित कर दिया . ये आरोप है स्वर्गीय किरण नेगी के पिता कुंवर सिंह नेगी का .

१२ मार्च को प्रारम्भ हुए इस धरने में किरण नेगी के पिता कुंवर सिंह नेगी सहित दिल्ली में उत्तराखंड के विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि , सामाजिक कार्यकर्ता , महिलाएं , पत्रकार, साहित्यकार शामिल हुए थे.

ऐसा नहीं है की जंतर जंतर में सिर्फ किरण नेगी के माता पिता और साथियों का धरना था , यहाँ रोजाना कई संगठन के प्रतिनिधि धरना प्रदर्शन करते हैं. लेकिन जिस माँ बाप ने तीन दरिंदों के हाथ अपनी बेटी खोई , जिसका गैंगरेप भी किया गया और जिसके शरीर पर २१ गंभीर घाव पड़े थे , के जघन्य कातिल आज आज़ाद घूम रहे हैं जबकि २०१२ में ही वसंत विहार की दामिनी के बलात्कारियों और खूनियों को पहले ही फांसी दी जा चुकी है.

कितनी दुखद बात है कि २०१२ से आज तक अपना रोजगार खोये किरण नेगी के माता पिता ११ वर्षों के अथक प्रयास और संघर्षों के बाद भी न्याय के लिए दर दर की ठोकरें खा रहे हैं .

२०२२ नवंबर को माननीय सर्वोत्त्म न्यायलय की थ्री जज बेंच ने दिल्ली पुलिस की लचीली इंवेस्टीगेशंस और एविडेन्सेस के आभाव के चलते तीनो अभियुक्तों को नवंबर २०२२ को रिहा कर दिया जिसके विरोध में दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के कई हिस्सों द्वारका और जंतर मंतर पर कई केंडल मार्च और शांतिपूर्ण प्रदर्शन आयोजित किये गए और माननीय उच्चतम न्यायलय में तीन रिव्यु पेटिशन दायर किये गए जिन्हे स्वीकार कर लिया गया है .

दिनांक १२ मार्च को मातृभूमि सेवा पार्टी के बेनर तले जंतर मंतर पर अनिश्चितकालीन शांतिपूर्ण धरना प्रारम्भ किया गया लेकिन दो दिन बाद धरना स्थल से इन्हे पुलिस ने ये कहकर हटा दिया कि उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी गयी.

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