स्यारा की खुचकंडी में ‘कन्हैया का कल्यो’ गढ़वाली भाषा के महाकवि कन्हैयालाल डंडरियाल को याद किया, बुरांस साहित्य एवं कला केन्द्र ने किया आयोजन
दिल्ली,गढ़वाली भाषा के मूर्धन्य साहित्यकार कन्हैयालाल डंडरियाल की अठारहवीं पुण्यतिथि पर उन्हें याद किया गया। पूर्वी विनोद नगर स्थित स्यारा रिटेल्स में बुरांस साहित्य एवं कला केन्द्र ने कन्हैयालाल डंडरियाल के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया।
इस अवसर पर पत्रकार एवं साहित्यकार प्रदीप वेदवाल ने गढ़वाली भाषा के महाकवि कन्हैयालाल डंडरियाल के साथ बिताए अपने दिनों को याद करते हुए कहा कि दिल्ली-एनसीआर में मैंने डंडरियाल जी के साथ कई कवि सम्मेलनों का संचालन करते हुए उनसे से बहुत कुछ सीखा और समझा है।
वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार सुषमा जुगरान ध्यानी ने चांठों का घ्वीड़ यात्रा संस्मरण को गढ़वाली साहित्य की अमूल्य निधि बताते हुए कहा कि अपनी इस यात्रा में लेखक कन्हैयालाल डंडरियाल पर्वत,झरने,खेत-खलिहान,नदी-पनघट से लेकर पेड़-पौधों और हवाओं तक से बात-विचार करते नज़र आते हैं। वरिष्ठ पत्रकार व्योमेश चंद्र जुगरान ने कवि कन्हैयालाल डंडरियाल को गढ़ साहित्य का शानदार शिल्पी बताते हुए कहा कि डंडरियाल जी को गढ़वाल और गढ़वाली की गहरी समझ थी। वरिष्ठ पत्रकार व्योमेश जुगरान ने कहा कि डंडरियाल जी जैसे कालजयी गढ़वाली कवियों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए उनकी रचनाओं को गेय शैली में लोगों तक पहुंचाया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट कहा कि जब नरेन्द्र नेगी जी ने महाकवि के गीत (दादू म्यैं परबतू कू वासी…) को स्वर दिया, तब आम लोगों ने कन्हैयालाल डंडरियाल को जाना। उत्तराखंड जर्नलिस्ट फोरम के अध्यक्ष सुनील नेगी ने साहित्यकार कन्हैयालाल डंडरियाल के लेखन को याद करते हुए डंडरियाल जी के सादा जीवन और उच्च विचारों के संस्मरण साझा किए।
युवा पत्रकार दीपिका नयाल दियोपा ने कन्हैयालाल डंडरियाल के अब तक प्रकाशित साहित्य का हिन्दी में अनुवाद करने का सुझाव दिया। विनोद नौटियाल ने कहा कि कवि कन्हैयालाल डंडरियाल पर भगवान कृष्ण की विशेष अनुकंपा थी तभी तो वो नाराजा जैसी कालजयी कृतियां लिख सके,रच सके।
इस अवसर पर बुरांस साहित्य एवं कला केन्द्र के अध्यक्ष साहित्यकार एवं पत्रकार प्रदीप वेदवाल ने स्यारा रिटेल्स की खुचकंडी में कन्हैया का कलेऊ के तौर पर कन्हैयालाल डंडरियाल की अज्वाल़,कुयेडी,नागराजा भाग दो,तीन और चार और चांठो का ध्वीड़ पुस्तकें भेंट की। वेदवाल ने कवि कन्हैयालाल डंडरियाल की पुस्तक अंज्वाल़ में से चुनिंदा कविताओं का पाठ भी किया।
इस मौके पर वासुकी फाउंडेशन के अध्यक्ष पी एन शर्मा, दिल्ली सरकार में उप निदेशक शिक्षा डाॅक्टर राजेश्वरी कापड़ी, वरिष्ठ पत्रकार चारू तिवारी,उत्तरकाशी में नैवाण के पोखरी में सेब उत्पादन का क्रांतिकारी पहल कर रहे अर्जुन सिंह पंवार के प्रतिनिधि हरपाल सिंह, मीना कंडवाल, देवभूमि संवाद के सतेन्द्र नेगी, गरिमा सुन्द्रियाल, विनोद कबटियाल आदि मौजूद थे। इस आयोजन की मेज़बानी का दायित्व निभाया स्यारा रिटेल्स के प्रमोटर दीपक ध्यानी ने जबकि साहित्यकार एवं पत्रकार प्रदीप वेदवाल ने मंच संचालन किया।
Paying richest floral tributes to legendary author, poet, lyricist, literateur and thinker of Uttarakhand, Garhwal Kanahiya Lal Dandriyalji on his 18 th Anniversary at “Syara Retails Store ” at Vinod Nagar East, Delhi , selling Uttrarakhand’s various organic products BARANAZA. Vinod Nautiyal, Himalaya Bachao Andola n journalist Pradeep Bedwal isalso in the pic. The pictures speak for themselves with Mrs Dhayani, literateur, Charu Tiwari, author, journalist and Mr. Dhyani of Syara Retails etc too in the pic along with the social activist and additional Director of Rajya, Sabha Meena Kandwal, Satyendra Negi of Dev Bhoomi media and others. The poems of Dandriyalji in Garhwali dialects were read by the participants and the legend hailed for his simplicity walking barefooted during his entire life as a wandering poet, literateur and, author of several books who though lived in Delhi but worked tirelessly for promoting and preserving our culture, traditions and Garhwali language. His contribution to the Garhwali literateur , poetries and writings were immeasurable said most of the speakers further urging to spread his, works among the masses.
We salute Kanhyalal Dandriyal’s work in literature!