सुविख्यात पर्यावरणविद चंडी प्रसाद भट्ट सम्मानित
विवेक शुक्ल वरिष्ठ पत्रकार
नई दिल्ली, 19 दिसंबर। भारत को विश्व गुरु बनने के लिए परिस्थितिकी और पर्यावरण की सुरक्षा करनी होगी। इसके अलावा हमें मूल्य आधारित शिक्षा पर भी जोर देना होगा। आज फरीदाबाद में आयोजित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिक्योरिटी एंड सेफ्टी मैनेजमेंट (आईआईएसएसएम) के 33 वें वार्षिक वैश्विक कॉन्क्लेव के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी यह बातें बताई। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से समारोह में शामिल सभी अतिथियों और लोगों को इस समारोह में शामिल होने पर खुशी व्यक्त किया और अपनी शुभकामनाएं दी।
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिक्योरिटी एंड सेफ्टी मैनेजमेंट (आईआईएसएसएम) का 33 वां वार्षिक वैश्विक कॉन्क्लेव 19 से 20 दिसंबर 2023 को होटल ताज विवांता, सूरजकुंड, फरीदाबाद में आयोजित किया जा रहा है। यह जानकारी देते हुए आईआईएसएसएम के संस्थापक एवं कार्यकारी अध्यक्ष, पूर्व सांसद आर. के. सिन्हा ने बताया कि सुरक्षा के क्षेत्र में प्रशिक्षण का विशेष महत्व है। सुरक्षा एजेंसियों को समय-समय पर नई तकनीक से खुद को अपग्रेड करते रहना चाहिए। उन्होंने आईआईएसएसएम की स्थापना के उद्देश्य के विषय में बताते हुए कहा कि जब 1989 में मैं पटना में एक छोटी सी ही सिक्यूरिटी कम्पनी चलाता था तब दिवंगत पद्मश्री के. एन. प्रसाद ने, जो भारतीय पुलिस सेवा के पहले बैच के टॉपर थे, मुझे कहा कि सिक्यूरिटी के प्रोफेशन के उत्थान लिए भी कुछ करना चाहिए। जो लोग प्राइवेट सिक्यूरिटी के क्षेत्र में आ रहे हैं उनके पास अपने क्षेत्र की अच्छी जानकारी तो है, लेकिन उनके पास इस क्षेत्र की बारीकी की ज्यादा जानकारी नहीं होती। उन्हें इस प्रशिक्षण की सख्त ज़रूरत है कि ग्राहक प्राइवेट सिक्योरिटी से क्या अपेक्षा करते हैं?
आज कॉन्क्लेव के दौरान विश्व विख्यात पर्यावरणविद पद्मभूषण चंडी प्रसाद भट्ट को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। साथ ही देश की कई जानीमानी कंपनियों के अधिकारियों को भी उनके बेहतरीन कार्य के लिए प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया। उद्घाटन सत्र में आईआईएसएसएम के चेयरमैन एवं नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के पूर्व महानिदेशक एस के शर्मा, चेयरमैन एवं असम पुलिस के पूर्व डीजीपी जी एम श्रीवास्तव, अध्यक्ष गोपाल पी चौधरी, महानिदेशक एवं एनएसजी के पूर्व महानिदेशक राजन के मेधेकर, उपाध्यक्ष मेजर एम एस गेरेवाल तथा जी बी सिंह और मुख्य सलाहकार प्रोफ़ेसर संतोष कुमार सहित कई गणमान्य की उपस्थिति थी।
कॉन्क्लेव के पहले दिन आज जोखिम और अंतर्संबंधों को समझना: एसडीजी, आपदा, जलवायु परिवर्तन और सुरक्षा, आपदा जोखिम प्रशासन को मजबूत करना: सार्वजनिक, निजी, कॉर्पोरेट, नागरिक समाज और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, बिजनेस रिकवरी के लिए बिजनेस निरंतरता योजना, मानवीय संकट के लिए योजना बनाना, प्रारंभिक चेतावनी, प्रतिक्रिया, राहत, तैयारी, पुनर्प्राप्ति और ज्ञान प्रबंधन जैसे विषयों पर पैनल चर्चाएँ भी हुई।
आई.आई.एस.एस.एम की स्थापना पूर्व विशेष सचिव गृह पद्मश्री के. एन. प्रसाद और श्री आर के सिन्हा, पूर्व संसद सदस्य (राज्य सभा) ने संयुक रूप से 1990 में की थी। आई.आई.एस.एस.एम इन्डियन सोसाइटी एक्ट के तहत 1992 में पंजीकृत एक गैर-लाभकारी शैक्षिक संस्थान है। आई.आई.एस.एस.एम तीन दशकों से सुरक्षा, बचाव और हानि निवारण उद्योग में शिक्षा और व्यावसायिकता के प्रसार में लगा हुआ है। आई.आई.एस.एस.एम एक आईएसओ 9001:2015 प्रमाणित संस्थान है। यह सुरक्षा पेशेवरों के लिए विषयगत और विभिन्न पाठ्यक्रम चलाता है। वर्ष में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और कई सेमिनार आयोजित करता है। यह सुरक्षा और सुरक्षा लेखा परीक्षा आयोजित करता है और भारत सरकार और कॉर्पोरेट्स को परामर्श सेवाएं प्रदान करता है।