सुनीता विलियम्स के लिए ये 9 महीने सिर्फ समय नहीं थे, बल्कि हर पल अपने इरादों को और मजबूत करने की घड़ी थी।

ANAMIKA JAIN AMBER
कल्पना कीजिए—एक असीम सूनापन, जहाँ चारों ओर बस अंधकार और अनिश्चितता है। हर दिन सूरज उगता और ढलता है, लेकिन वहाँ, अंतरिक्ष में, समय जैसे थम गया हो। 9 महीने तक अकेले रहना… न कोई अपना, न कोई आवाज़, बस धैर्य की परीक्षा!
लेकिन हौसला अटूट था!
यह वही जज़्बा था, जो एक माँ अपने गर्भ में पल रहे शिशु के लिए रखती है—हर दर्द सहकर भी, हर मुश्किल झेलकर भी, बस आगे बढ़ते रहने का विश्वास।
सुनीता विलियम्स के लिए ये 9 महीने सिर्फ समय नहीं थे, बल्कि हर पल अपने इरादों को और मजबूत करने की घड़ी थी। जब तकनीकी खराबी ने उनकी धरती पर वापसी की राह कठिन बना दी, तब भी उन्होंने हार नहीं मानी। हर दिन, अपने अंदर के डर को हराकर, खुद को संभाला, रिसर्च जारी रखी और मन में भरोसा बनाए रखा—”मैं लौटूंगी!”
धरती पर लोग उनकी बहादुरी की कहानियाँ सुन रहे थे, उनके साहस की मिसालें दी जा रही थीं। बच्चे, महिलाएँ, युवा—हर कोई उनसे प्रेरणा ले रहा था कि मुश्किलें आएंगी, लेकिन आत्मविश्वास के आगे कोई भी बाधा टिक नहीं सकती।
और फिर वह दिन आया! अंतरिक्ष यान से बाहर कदम रखते ही, उनकी आँखों में खुशी के आंसू थे। लेकिन चेहरे पर वही आत्मविश्वास था, जो उन्होंने हर कठिन घड़ी में बनाए रखा था।
उन्होंने दुनिया को सिखाया कि धैर्य, साहस और आत्मविश्वास के आगे कोई भी कठिनाई टिक नहीं सकती।
जब मन में दृढ़ निश्चय हो, तो कोई भी चुनौती असंभव नहीं!
घर-वापसी मुबारक हो सुनीता विलियम्स!
सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर 9 महीने से अधिक समय तक अंतरिक्ष में रहने के बाद आज 19 मार्च, 2025 को स्पेसएक्स के ड्रैगन अंतरिक्ष यान के जरिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आइएसएस) से पृथ्वी पर सकुशल वापस लौट आए।
दोनों अंतरिक्ष यात्री 5 जून, 2024 को धरती से गए थे, जिनका आइएसएस पर रुकने की योजना थोड़े समय के लिए ही थी।
नासा ने सुनीता को लाने के लिए SpaceX के ड्रैगन क्रू कैप्सूल को चुना। यह कैप्सूल अपने बनने के बाद से अब तक 49 बार लॉन्च हो चुका है। इस कैप्सूल ने 44 बार इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की यात्रा की है और 29 बार रीफ्लाइट हुई है।
इन अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी की प्रक्रिया 18 मार्च, 2025 को शुरू हुई थी और वे आज मध्यरात्रि के बाद सफलतापूर्वक पृथ्वी पर समुद्र में लैंडिंग (स्प्लैशडाउन) कर गए। उनका इतने दीर्घकाल तक अंतरिक्ष में फँसे रहने के दौरान ऐसी स्थिति भी आई जब उनके जीवित लौटने की उम्मीद बहुत कम हो गई थी। इनकी पृथ्वी पर सकुशल वापसी मानव-जाति के लिए ऐतिहासिक है।