सम्मानित किया गया राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर आज प्रेस क्लब में वरिष्ठ पत्रकार विवेक शुक्ला,ललित वत्स, ईरा जोशी को
मान्यता प्राप्त पत्रकार संघ और प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने आज प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में “भारत में मीडिया की स्वतंत्रता” विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया, जिसमें द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अनंत नाथ, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष गौतम लाहिड़ी और एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय शंकर चतुर्वेदी शामिल हुए।
पत्रकारिता में उत्कृष्ट योगदान के लिए तीन प्रसिद्ध पत्रकारों, स्तंभकार और लेखक विवेक शुक्ला, ललित वत्स, इरा झा और एक फोटो पत्रकार कमलजीत सिंह को उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर बोलते हुए, “द वायर” के संस्थापक संपादक, सिद्धार्थ वरदराजन ने कहा कि मौजूदा शासन के दौरान दुर्भाग्य से वरिष्ठ संपादक, रिपोर्टर, यूट्यूबर और यहां तक कि स्टिंग करने वाले भी अपनी कहानियां दर्ज करने के लिए अत्यधिक आशंका और भय में हैं।
द वायर के संस्थापक संपादक मृणाल पांडे, राज दीप सरदेसाई और विनोद दुआ जैसे वरिष्ठ पत्रकारों के खिलाफ देशद्रोह के आरोप लगाए जाने पर अपनी गहरी नाराजगी, गुस्सा और निराशा व्यक्त करते हुए, जिन्होंने लंबे आंदोलन और कोविड 19 महामारी के दौरान किसानों की समस्याओं को पारदर्शी रूप से उजागर किया था, कहा कि अब इस तरह के उत्पीड़न और मीडिया की स्वतंत्रता का गला घोंटने के बारे में लिखने का समय आ गया है।
मीडिया की स्वतंत्रता और संपादकों से लेकर जमीनी स्तर पर रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों पर लगातार हो रहे हमले की कड़ी निंदा करते हुए, श्री वर्दराजन ने कहा कि समय आ गया है कि वैचारिक संबद्धताओं और मतभेदों के बावजूद एकजुट होकर चल रहे उत्पीड़न का दृढ़ता से और एकजुट होकर मुकाबला किया जाए और अखिल भारतीय स्तर पर मीडिया बिरादरी के ख़िलाफ़ आक्रोश।
उन्होंने लोगों और मीडिया बिरादरी से आग्रह किया कि वे सत्ता में बैठे लोगों और लगातार राज्य सरकारों के गलत इरादों को कुचलने और उनका मुकाबला करने के लिए एकजुटता से खड़े हों, जो मीडिया, स्वतंत्रता और पत्रकारिता के अधिकारों को कुचलने पर आमादा हैं।
सिद्धार्थ वरदराजन् ने तमाम उदाहरणों के जरिए बताया कि किस तरह से केन्द्र और कई राज्य सरकारें मीडिया के सामान्य कामकाज पर बाधा खड़ी करने लगी हैं।
उनका कहना था कि पत्रकारों को प्रेस की आजादी पर हो रहे हमलों का मिलकर मुकाबला करना होगा। इस पर सब एक राय थे।
मीडिया की स्वतंत्रता का गला घोंटने की हालिया घटनाओं के बारे में बताते हुए पीसीआई अध्यक्ष गौतम लाहिड़ी ने कहा कि उन्होंने कड़ा विरोध किया है, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ज्ञापन भेजा है और भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर न्याय की मांग की है। उन्होंने शीघ्र प्रतिक्रिया देने और संबंधित अधिकारियों को पत्र/ज्ञापन भेजकर तत्काल उपचारात्मक उपाय करने के लिए कहने के लिए राष्ट्रपति को धन्यवाद दिया हालांकि उन्हें अब तक कुछ नहीं मिला है। उन्होंने भविष्य में ऐसी किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पीसीआई द्वारा प्रतिष्ठित वकीलों, पत्रकारों आदि को शामिल करके गठित किए जा रहे ठोस कानूनी सेल के बारे में भी जानकारी दी।
सम्मानित पत्रकार विवेक शुक्ला पिछले 35 सालों से मीडिया में एक्टिव हैं। उन्होंने इस दौरान हिन्दुस्तान टाइम्स, दैनिक भास्कर और न्यूज 24 जैसे मीडिया संस्थानों में शिखर पदों पर काम किया। वे आजकल नवभारत टाइम्स, टाइम्स आफ इंडिया, दि ट्रिब्यून और बीबीसी के लिए लगातार लिखते हैं। Navbharat Times के लिए वे पिछले आठ सालों से दैनिक और साप्ताहिक कॉलम लिख रहे हैं। उन्होंने गांधीज दिल्ली नाम से अंग्रेजी में सन 2019 में और इस साल दिल्ली का पहला प्यार कऩॉट प्लेस नाम से दूसरी किताब लिखी। उन्होंने भारत के दो प्रधानमंत्रियों क्रमश: चंद्रशेखर और इंद्र कुमार गुजराल के अलावा ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉन मेजर, पाक के प्रधानमंत्री इमरान खान और त्रिनिडाड के प्रधानमंत्री वासुदेव पांडे के भी लंबे इंटरव्यू किये हैं। विवेक शुक्ला मुख्य रूप से साउथ एशिया, बिजनेस और दिल्ली से जुड़े मामलों में लिखते-पढ़ते और शोध करते हैं।
सम्मानित पत्रकार ललित बेखौफ क्राइम रिपोर्टर हैं। ये दोनों मित्र टाइम्स ग्रुप में हैं। 1982 में दिल्ली के कुछ स्थानीय समाचार पत्रों में खबर और लेख से पत्रकारिता में शुरुआत की I
नवंबर, 1984 में नवभारत टाइम्स के लिए स्ट्रिंगर के रूप में नियमित कार्य। कई बड़ी चर्चित खबरों के बाद टाइम्स समूह में स्थायी नियुक्ति मिली। नवभारत टाइम्स और सांध्य टाइम्स के लिए बतौर क्राइम रिपोर्टर की गई दर्जनों खबरें चर्चा में आईं। उनमें कुछ राष्ट्रीय नेताओं के परिजन से जुड़ी खबरें भी थीं। 1992 से 1997 तक दिल्ली क्राइम रिपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे। पंजाब और जम्मू-कश्मीर में आतंक के चरम के वर्षों में वहां जाकर भी रिपोर्टिंग की। इस दौरान राजेंद्र माथुर, एसपी सिंह, राम कृपा ल, सत सोनी, मधुरेंद्र सिन्हा जैसे संपादकों से सराहना भी मिली। सांध्य टाइम्स से बतौर प्रिंसिपल कॉरेस्पोंडेंट 2016 में रिटायर। उसके बाद से भी सांध्य टाइम्स के लिए राष्ट्रीय राजनीति, जांच एजेंसियों, अंतर राष्ट्रीय विषयों पर नियमित रिपोर्टिंग की।
कमलजीत ने टाइम्स ग्रुप में लेबर के रूप में भी काम किया। वे आगे चलकर इसी ग्रुप में फोटो जर्नलिस्ट बनe I
सम्मानित पत्रकार इरा झा देश की पहली महिला हिंदी पत्रकार हैं जिन्होंने दो राष्ट्रीय अखबारों में मुख्य डेस्कों की कमान संभाली।
इनके लेख और रपट हिंदुस्तान में भी छपे। ये कानूनी,
पर्यावरण जैसे अहम मुद्दों के अलावा उस अंचल की विसंगतियों पे लिखती थीं जिनसे दुनिया तब तक नावाकिफ थी।
दैनिक हिंदुस्तान में साल 2003 में छत्तीसगढ़ के पहले विधानसभा चुनाव परिणाम की इनके द्वारा सटीक भविष्यवाणी बेहद चर्चित हुई।
बस्तर के घने जंगलों में मीलों पैदल जाकर नक्सलवादी कैंप से की गई इरा झा की रिपोर्ट भी खूब सराही गई। नक्सलवाद, आदिवासी और पर्यावरण के साथ ही कानूनी मसलों पर भी इनकी विशेष पकड़ है।
हिंदुस्तान में वरिष्ठ समाचार संपादक और एनसीआर संस्करण की प्रभारी रहीं I
उसके बाद अनेक वर्ष ये नवभारत अखबार की दिल्ली में राजनीतिक ब्यूरो चीफ रहीं।
इन्होंने स्पेन, थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, इंडोनेशिया, उज्बेकिस्तान आदि देशों की यात्रा भी की है।
इन्हें राजेंद्र माथुर,सुरेंद्र प्रताप सिंह,सतसोनी, वेदप्रताप
वैदिक,विष्णु खरे,राजकिशोर, मृणाल पांडे, सूर्यकांत बाली, आलोक मेहता, मधुसूदन आनंद, श्याम वेताल आदि हिंदी के जानेमाने संपादकों के साथ काम करने का सौभाग्य प्राप्त है। साथ ही शंभूनाथ सिंह, विश्णु नागर, पंकज षर्मा, अरविंद मोहन मिश्र, वीरेंद्र बड़थ्वाल, इब्बार रब्बी, हरीश अग्रवाल, अरुण रंजन,संजय पुगलिया, शैलेश, रंजीत कुमार आदि भी इनके
सहकर्मी रहे हैं।
इन्होंने नवभारत टाइम्स एवं दैनिक हिंदुस्तान के अलावा पाटलिपुत्र टाइम्स, दिल्ली प्रेस, युवक धारा, द संडे इंडियन आदि प्रकाषनों में पत्रकारिता की है। इनके अलावा दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, अमर उजाला,
हिंद सत, रविवार दिल्ली, हिंदी न्यूज 18 पोर्टल आदि में भी लेखन किया है।
बेशक, आज के सफल कार्यक्रम के लिए विजय शंकर चतुर्वेदी और सुनील नेगी को क्रेडिट देना होगा। इन दोनों की सरपरस्ती में सारा आयोजन सफल रहा जिसमें बड़ी संख्या में नए-पुराने अखबारनवीस मौजूद थे।