श्रीदेव सुमन का संघर्ष व बलिदान प्रेरक- धामी
नई दिल्ली : देवभूमि उत्तराखंड अपने अध्यात्म,शौर्य,साहस और कर्तव्य पालन के लिए भारत में ही नहीं दुनिया में प्रसिद्ध है। चारधामों सहित दिव्य सिद्धपीठ आत्मिक शांति के केंद्र हैं,सीमाओं पर डटे सैनिक वीरता के पर्याय और आज भी घर और बाहर दोनों जगह पुरुषार्थ में लगी माता बहनें शक्ति का स्रोत हैं। श्रीदेव सुमन जैसे इतिहास पुरुष को पाठ्यक्रम का अभिन्न हिस्सा होना चाहिए।
ये विचार गढ़वाल भवन,झंडेवालान नई दिल्ली में अमर शहीद श्रीदेव सुमन की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में वरेण्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं उत्तर क्षेत्र प्रचार प्रमुख श्री कृपा शंकर ने व्यक्त किए।
मुख्य अतिथि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि श्रीदेव सुमन जी ने अत्याचार और दमन के विरुद्ध साहस के साथ संघर्ष किया,वे हमारे इतिहास में प्रेरक व्यक्तित्व हैं। आज उत्तराखंड सरकार देवभूमि की संस्कृति और अपने इतिहास पुरुषों के द्वारा दिखाए मार्ग पर चलकर राज्य को देश के विकसित राज्यों में अग्रणी बनाने को कृत संकल्पित है। आज चाहे बुनियादी सुविधा हों, निवेश हो,रोजगार,शिक्षा,स्वास्थ्य, इन्फ्रास्ट्रक्चर,पर्यटन अथवा कोई भी विकास कार्य ,उत्तराखंड निरंतर प्रगति के पथ पर बढ़ रहा है। समान नागरिक कानून लागू करने के साथ हम देवभूमि की मूल पहचान को बनाए और बचाए रखने को प्रतिबद्ध हैं।
कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों ने भारतमाता और श्रीदेव सुमन जी के चित्रों पर पुष्पांजलि अर्पित की। दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्राओं मेघा और अर्पिता द्वारा प्रस्तुत वैदिक मंगलाचरण के साथ दीप प्रज्वलित किया गया। इस अवसर पर श्रीदेव सुमन जी पर निर्मित गढ़वाली फिल्म “पहाड़ी रतन,श्रीदेव सुमन के प्रोमो और पोस्टर का भी श्री पुष्कर सिंह धामी ने लोकार्पण किया। फिल्म के निर्माता विक्रम नेगी और निर्देशक बृज रावत हैं। इस अवसर पर विश्व हिंदू परिषद दिल्ली प्रांत के संगठन मंत्री आचार्य सुबोध पुरोहित, द्वारका जिला संघचालक श्री प्रेम सिंह नेगी,जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के पीवीसी प्रो.सतीश चंद्र गड़कोटी और गढ़वाल हितैषिणी सभा के अध्यक्ष श्री अजय बिष्ट ने भी श्रीदेव सुमन जी पर अपने विचार रखे।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के मीडिया सलाहकार एवं पर्वतीय लोकविकासमिति के संयोजक प्रो.सूर्य प्रकाश सेमवाल ने कहा कि जिस प्रकार देश की स्वाधीनता के उपरांत केवल एक राजनीतिक परिवार ने अपना इतिहास लिखवाया उसी तरह टिहरी के इतिहास नायकों का नाममेट कर यहां की दमनकारी सत्ता ने अपने जयकारे लगवाए। आज जब अमृतकाल में गुलामी के प्रतीकों को मिटाकर प्रधानमंत्री जी मौलिक इतिहास लिखने का आहवान कर रहे हैं तो श्रीदेव सुमन जी की पुण्यतिथि पर हम यह संकल्प ले रहे हैं। केंद्र सरकार से विगत 5 वर्षों से इतिहास पुरुष श्रीदेव सुमन जी पर डाक टिकट जारी करने की मांग की जा रही है।