विकास को तरस रहे हैं कारगिल के शहीदों के गांव, जर्जर अवस्था में हैं उनके स्मारक
जिन्होंने दिया बलिदान, उनके गांवों को मिला उपेक्षा का दंश; शहीदों के याद में बने स्मारक भी जर्जर कारगिल युद्ध में अपनी वीरता से दुश्मन देश को परास्त कर अपने देश का गौरव बढ़ाने वाले शहीदों के गांव के साथ ही उनके परिजन उपेक्षित हैं। शहीदों के गांव विकास को तरस रहे हैं।
कारगिल युद्ध में अपनी वीरता से दुश्मन देश को परास्त कर अपने देश का गौरव बढ़ाने वाले शहीदों के गांव के साथ ही उनके परिजन उपेक्षित हैं। शहीदों के गांव विकास को तरस रहे हैं। लांसनायक हरीश देवड़ी के गांव देवड़ा में आज तक सड़क नहीं पहुंची। शहीद मोहन सिंह बिष्ट के गांव की सड़क बदहाल है। शहीदों की याद में बने स्मारक भी जर्जर हैं और उनकी निशानी मिट रही है इसे देखने वाला कोई नहीं है।
कारगिल युद्ध में अल्मोड़ा के वीरों ने अपने पराक्रम से देश का गौरव बढ़ाया। कैप्टन आदित्य मिश्रा, हवलदार तम बहादुर क्षेत्री, नायक हरि बहादुर घले, लांस नायक हरीश सिंह देवड़ी, हवलदार हरी सिंह थापा, पीटीआर राम सिंह बोरा, सिपाही मोहन सिंह ने कारगिल युद्ध में देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है। चार शहीदों के परिवार अन्य शहरों में बस गए हैं लेकिन जिन्होंने गांव नहीं छोड़ा वह विकास को तरस रहे हैंI