वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी अधिवक्ता एस के शर्मा ने स्वर्गीय मुलायम सिंह को पद्मविभूषण से सम्मानित करने को उत्तराखंड का अपमान बताया
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उत्तराखंड पृथक राज्य आंदोलन में अत्यंत सक्रीय रहे आंदोलनकारी जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट से लेकर अल्लाहाबाद हाई कोर्ट में पृथक राज्य आंदोलन और मुजफ्फर नगर के शर्मनाक काण्ड को लेकर तादेंन उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक , डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट और राज्य सर्कार को कटघरे में खड़ा किया और उन्हें कठोरतम सजा दिए जाने की वकालत की – अधिवक्ता एस के शर्मा ने मुलायम सिंह को पद्मविभूषण से सम्मानित की प्रक्रिया का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि यह कदम उत्तराखंड राज्य आंदोलन के शहीदों वा उत्तराखंड वा देश की जनता का अपमान है। मुलायम सिंह के राज में ही उत्तराखंडी महिलाओं से बलात्कार वा निर्दोष आंदोलनकारियों की।हत्या हुई वा इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक निर्णय दिया। मुझे गर्व है की भगवान बद्रीविशाल जी ने मुझे न्यायालय की लड़ाई लड़ने को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि आज मेरा सिर शर्म से झुक गया। ये मानवता वा मानवाधिकारों का भी उल्लंघन है। जिसके हाथ राम भक्तों के खून से सने हों क्या उसको सरकार द्वारा सम्मानित करना उचित है। दुःख इस बात का भी है की उत्तराखंड में नकली वा असली आंदोलनकारी, उत्तराखंड की सरकार जो इस मुद्दे पे सत्ता में आई चुप क्यों है?उन्होंने सवाल किया वहां के सांसदों, विधायको की आत्मा मर गई है क्या? उत्तराखंड वा देश के पत्रकारों की चुप्पी क्यों? कहां गए उत्तराखंड के अधिवक्ता वा न्यायाधीश वा देश की न्याय व्यवस्था? सब कटघरे में हैं। क्या इसके लिए उत्तराखंड की राज्य सरकार से पूछा गया? क्या लिखूं जिसकी आस्था वा राज्य आंदोलन से जुड़ी हो उसका उद्वेलित होना स्वभाविक ही है। मुझे आशा है की देश वा उत्तराखंड की जनता निर्णय लेगी। अफसोस की इस मुद्दे पे उत्तराखंड की जुझारू जनता, पत्रकार, सांसद, विधायक,सरकार, वकील, बुद्धिजीवियों की आवाज वा अंतरात्मा मर गई है क्या?