राष्ट्रभाषा हिंदी का पुनः अनादर
उमेश जोशी , वरिष्ठ पत्रकार
भाई जी ! सस्नेह अभिवादन। आज का दिन शुभ हो, मंगलकारी हो, कल्याणकारी हो। स्वस्थ रहें, प्रसन्न रहें। दिन भर ‘भाषाई आतंक’ से बचे रहें।
मैं आज भी नहीं बच पाया। सुबह ही उसकी चपेट में आ गया था। रोज़ाना ‘आ बैल मुझे मार’ कहावत का अनुसरण करता हूँ और ख़ुद को जानबूझ कर आकाशवाणी के हवाले कर देता हूँ। बख़ूबी जानते हुए कि यह संस्थान सुधरने वाला नहीं है, फिर भी रोज़ाना आकाशवाणी का बुलेटिन सुनता हूँ और अपनी मातृभाषा हिंदी का अनादर देख दिनभर दुःखी रहता हूँ। दुःख इस बात का है कि नेता और अफसर कोई इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है और हिंदी समाचार बुलेटिनों का स्तर दिन प्रतिदिन लगातार गिर रहा है। कुछ दिन पहले हिंदी न्यूज़ रूम में फोन कर किसी सज्जन को, ज़ाहिर है अधिकारी ही रहा होगा, अपनी पीड़ा व्यक्त की और आग्रह किया कि आकाशवाणी की गरिमा बचाए रखने के लिए कम से कम समाचार वाचकों का स्तर थोड़ा तो सुधारिए। एक वक़्त था जब हिंदी समाचारों में देवकीनंदन पांडे, अशोक वाजपेयी, जयनारायण शर्मा, मनोज कुमार मिश्र, कृष्ण कुमार भार्गव, राजेंद्र अग्रवाल, इंदु वाही, विनोद कश्यप जैसे दिग्गज समाचार वाचकों की आवाज़ सुनाई देती थी। अब अधिकांश समाचार वाचकों का वो स्तर नहीं रहा। क़ायदे से उन्हें हिंदी समाचार कक्ष के आसपास भी नहीं फटकने देना चाहिए लेकिन विडंबना है कि ऐसे समाचार वाचक सुबह 8:00 बजे का महत्त्वपूर्ण बुलेटिन पढ़ते हैं। यह हिंदी का दुर्भाग्य नहीं तो और क्या है! हम अपनी मातृभाषा की दुर्गति पर सिर्फ आँसू बहा सकते हैं। इससे आधिक हमारे हाथ में कुछ नहीं है।
आज की समाचार वाचिक ने अनेक बहुवचनी शब्दों के उच्चारण के लिए अनुस्वार का प्रयोग नहीं किया। मैं ऐसे भारतीय एंकरों और समाचार वाचकों को एक ही बात कहता हूँ कि ईश्वर, अल्लाह वाहेगुरु, गॉड जो भी शक्ति है, उसने हमें मिठाइयों और व्यञ्जनों की खुशबू लेने के लिए ही नाक नहीं दिया है; इसका उपयोग अनुस्वार का उच्चारण करने के लिए भी है। आज भी वही समाचार वाचिका थीं जिसने बहुवचनी शब्दों के उच्चारण के लिए अनुस्वार न लगाने की प्रतिज्ञा कर रखी है। कुछ दिन पहले न्यूज़ रूम में किसी अधिकारी को इन्हीं की शिकायत की थी।
एक तो समाचार वाचक का घटिया उच्चारण, ऊपर से दरिद्र भाषा। भाषा का जनाजा निकला हुआ था। दोनों का मिला-जुला प्रभाव यह हुआ कि अभी तक सामान्य नहीं हो पाया हूँ। प्रातः अभिवादन का संदेश भेजने में विलंब की वजह भी यही है। आकाशवाणी के ‘संपादकीय कौशल’ का एक नमूना नीचे पेश कर रहा हूँ। सिर धुनने का मन करता है।
अमेरिकी महावाणिज्य दूतावास मुंबई ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान वाणिज्य दूतावास बंद होने के कारण जिन सभी आवेदकों की नियुक्तियाँ रद्द कर दी गई थीं, उन्हें पुनर्निर्धारित करने के निर्देश भेजे गए हैं। इसमें कहा गया है कि इस कदम का उद्देश्य आवेदनों के बैकलॉग को संबोधित करना और कई व्यक्तियों की यात्रा योजनाओं को सुविधाजनक बनाना है, जिनकी नियुक्तियाँ महामारी के कारण बाधित हुई थीं।
उपर दी गई इस ख़बर में आवेदकों की नियुक्तियाँ कहाँ से आ गईं। दरअसल, मिलने का समय तय करने के संदर्भ में अँगरेज़ी का Appointment शब्द लिखा होगा। उसका अनुवाद ‘नियुक्तियाँ’ कर दिया। इस ख़बर में एक स्थान पर ‘बैकलॉग को संबोधित करना’ लिखा है। कोई बैकलॉग को भला कैसे संबोधित कर सकता है। दरअसल, यहाँ अँगरेज़ी में बैकलॉग खत्म करने के संदर्भ में Address शब्द इस्तेमाल किया होगा जिसका यहाँ अर्थ होना चाहिए था, ‘बैकलॉग खत्म करने के लिए’। लेकिन, यह हमारी महान आकाशवाणी ‘बैकलॉग’ को भी संबोधित कर देती है।