राजबब्बर ने ऐसा ग्वालियर में क्या कहा ? क्यों कहा जो उन्होंने टूंडला ,आगरा,दिल्ली और मुंबई में भी कभी नही कहा , आपको जानना जरूरी है क्योंकि उनके द्वारा वह बात मेरे नही आपके बारे में ही कही गयी है …..
ग्वालियर के तानसेन रेसीडेंसी का सभागार ..देश मे पत्रकारिता को समृद्ध बनाने के लिए समर्पित ग्रामीण पत्रकारिता विकास संस्थान का हमेशा की तरह… एक और अनूठा और गरिमापूर्ण आयोजन।
मुम्बई में रहने वाले लेकिन ग्वालियर के सपूत देश के जाने – माने पत्रकार ,कथाकार श्री हरीश पाठक द्वारा लिखी गयी #राज_बब्बर Raj Babbar ..दिल में उतरता फसाना नामक पुस्तक का लोकार्पण । इसके मुख्य अतिथि थे सप्रसिद्ध सिने अभिनेता खुद राज बब्बर जो कि सपा और कांग्रेस से 26 वर्ष सांसद रहे और उनका और #हरीश पाठक जी Harish Pathak का सम्मान किया हमारे ग्वालियर के सांसद श्री विवेक नारायण शेजवलकर Vivek Narayan Shejwalkar ने। यह ग्वालियर की धरती पर ही संभव है कि साहित्यिक आयोजन में राजनीति ड्योढ़ी पर ही खड़ी रह जाती है। शेजवलकर साहब की सादगी से तो हम बाकिफ है ही लेकिन मंच में राज बब्बर की सादगी से उनकी टक्कर हो गई। यह पहला मौका था जब अध्यक्षता कर रहा व्यक़्क्तित्व कहे ये मेरे राज जी ग्वालियर के मेहमान है इसलिए मैं उनका स्वागत माला पहनाकर करूंगा और मुख्य अतिथि बोले – हमारे अध्यक्ष इतने सहज और सहृदय है कि उन्होंने मिलते ही मेरा दिल जीत लिया । मै उनका पुष्पाहार से स्वागत करूंगा। मंच संचालक का सारा क्रम गड़बड़ा गया जब सभापति और मुख्य अतिथि खड़े होकर तालियों की गड़गड़ाहट के बीच एक दूसरे को पुष्पाहार पहना रहे थे और यहां एक बार फिर ग्वालियर की सादगी की जय हो रही थी।
राज बब्बर जैसी बहुआयामी हस्ती द्वारा मेरा आमन्त्रण स्वीकार करने के बाद मेरी चिंताएं बढ़ गईं थी क्योंकि वे लोकप्रिय फ़िल्म अभिनेता हैं और बड़े राजनेता भी । मुझे आयोजन को इन दोनों से बचाना था इसलिए अंतिम समय तक मैने इसका कोई प्रचार प्रसार नही किया। हम इसमें राज बब्बर का महिमा मंडन नही करना चाहते थे बल्कि नई उदीयमान और प्रतिभावान पीढ़ी को उनके मुख से वह कहानी सुनवाना चाहते थे जिसमें एक किरदार राज यूपी के टूंडला के दो कमरे के घर से निकलकर सुपर स्टार भी बन सकता है और 26 साल सांसद भी । कैसे ? बस इसी सवाल का जबाव उनके मुंह से संघर्षरत मध्यमवर्ग के युवाओं को सुनवाना चाहता था।
अगर सीधे राज बब्बर के मुंह से मेरे कानों तक पहुंचाई गई बात को शब्दशः आप तक पहुंचाऊं तो – देव भाई । मैने अपने जींवन मे हजारों फ़िल्मी, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक आयोजनों में भाग लिया। वे बहुत भव्य भी रहे होंगे लेकिन अपने आगरा में कॉलेज के अध्यययन के बाद इतना भावुक, इतना गरिमापूर्ण और इतना पारिवारिक आयोजन मेरे जींवन का पहला ही था। लगा परिजनों से सुन रहा हूँ और दोस्तों के बीच कह रहा हूँ । यह जादू सिर्फ आप ही कर सकते हो ।
राज बब्बर के मुंह से कही और मेरे कानों में पड़ी इस बात ने मुझे खुशी तो दी लेकिन लजा भी दिया। क्यों ? क्योंकि यह सब हुआ कैसे ? दरअसल अगर मंच पर राज भाई,शेजवलकर जी, संपादक हरीश पाठक, मित्र डॉ राकेश पाठक Dr. Rakesh Pathak , आगरा से पधारे वरिष्ठ पत्रकार समीर चतुर्वेदी और दूरदर्शन के लंबे समय तक़ प्रोड्यूसर रहे राकेश त्यागी न होते , मेरे मित्र ,अनुज और लब्ध प्रतिष्ठित शायर अतुल अजनवी का संचालन न होता , आयोजन में बीते एक माह से अपनी मीडिया की नौकरी से समय चुरा चुराकर रात-दिन एक करने वाले संस्थान के संयोजक भाई तेजपाल सिंह राठौर और अनिल गौर न होते , भिण्ड के मनोज जैन ,मुरैना के सतेंद्र तोमर , रवि शेखर ,पंकज श्रीमाली ,कवि पवन करण , पत्रकार साथी आलोक जैन ,सुरेश तोमर और फोटो जर्नलिस्ट साथी रवि उपाध्याय और तानसेन रेसीडेंसी के जीएम मेरे मित्र संजय मल्होत्रा और उनकी पूरी टीम के लोग, जैसे नींव के पत्थर न होते और मंच के सामने ग्वालियर की कला ,साहित्य,पत्रकारिता, रंगमंच ,राजनीति और समाजसेवा में लगीं हस्तियां मौजूद न होती तो यह आयोजन वह गरिमा ही नही पा सकता कि राज बब्बर कह पाते कि यह आयोजन उनके जींवन का यादगार और सर्वश्रेष्ठ आयोजन है। मेरी यानी देव श्रीमाली की भूमिका बहुत ही सीमित थी । मंच पर स्वागत भाषण देकर विषय प्रवर्तन करने और मंच से उतरते ही आयोजन को लेकर मिले फीडबैक को उंसके असली हकदारों को बांटने की ..इसलिए राज बब्बर हो या हरीश पाठक द्वारा आयोजन को लेकर की गई हर प्रशंसा आपके लिए थी सो आपको ही समर्पित कर मैं अपना बोझ हल्का कर रहा हूँ । हां इस दौरान हुईं खामियों,चूक और दिक्कतों के लिए मैं जिम्मेदार हूँ जिन्हें आगे संभालने की कोशिश जारी रखूंगा।
मुझे खुशी है कि ग्रामीण पत्रकारिता विकास संस्थान को आपका प्यार मिलता है तभी तो वह बीते 18 वर्षों से निरंतर गरिमापूर्ण कर पा रहा है।