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म्यांमार बार्डर तक पहुंचेगी ट्रेन

कुमार कुन्दन
आईजॉल

मिजोरम नार्थ ईस्ट का चौथा ऐसा राज्य बन गया है जहां रेलवे की कनेक्टिविटी पहुंच गयी है। आईजॉल से 15 किलोमीटर की दूरी पर सायरांग स्टेशन है जहां से दिल्ली के लिए डायरेक्ट ट्रेन शुरू होने जा रही है। टीवी9 भारतवर्ष से खास बातचीत में रेलमंत्री अश्विन वैष्णव ने कहा कि आने वाले दिनों में यह ट्रैक म्यांमार बार्डर तक जाएगी।

एनएफआर रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी के के शर्मा ने टीवी9 भारतवर्ष से बातचीत में बताया कि म्यांमार बार्डर तक के लिए रिसर्च का काम पूरा हो गया है। उन्होंने कहा कि डीपीआर बनकर तैयार है जल्द ही इसे अमली जामा पहनाया जाएगा।

बार्डर तक कितने स्टेशन
टीवी9 भारतवर्ष को मिली जानकारी के मुताबिक प्रारंभिक तौर पर 223 किलोमीटर के आईजॉल से म्यांमार बार्डर के बीच कुल 16 स्टेशन होंंगे। इसमें आईजॉल के पास सायरांग, लोअर आईजॉल, अबवॉक, लुंगेसी, साउथ खावलेक, निहलोह, रमलाईशू, लुंगमावी, थिलटांग, मुदराश, साइरेप, थुलथू, फलरांग, शिकाह, लेहरी, डरनामतलंग और अंतिम स्टेशन हिबुचपआ शामिल है।

जल्द पूरा होगा प्रोजेक्ट
मिजोरम के राज्यपाल जनरल वीके सक्सेना ने टीवी9 भारतवर्ष से खास बातचीत में बताया कि यह लगभग बीस हजार करोड़ का प्रोजेक्ट है जिसपर काम चल रहा है़। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट के तैयार होने से कलादान प्रोजेक्ट को और गति मिलेगी और सामान के आवाजाही में काफी मदद मिलेगी।

क्या है कलादान प्रोजेक्ट
कलादान परियोजना भारत और म्यांमार के बीच एक मल्टीमॉडल परिवहन योजना है, जो भारत के पूर्वी बंदरगाहों से म्यांमार के सितवे बंदरगाह तक समुद्री मार्ग से, फिर सितवे से पलेत्वा तक नदी मार्ग (कलादान नदी), और उसके बाद पलेत्वा से भारत के मिजोरम तक सड़क मार्ग से माल और लोगों की आवाजाही सुगम बनाने के लिए बनाई गई है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य भारत के पूर्वोत्तर राज्यों तक पहुँचने के लिए एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करना और सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर निर्भरता को कम करना है। यह परियोजना भारत की एक्ट ईस्ट नीति के तहत आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी और पूर्वोत्तर को दक्षिण एशिया का व्यापारिक केंद्र बनाने में मदद करेगी। यह उम्मीद है कि यह परियोजना 2027 तक शुरू हो जाएगी।

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